Congress Alok Munna Murder: कांग्रेस कार्यकर्ता आलोक मुन्ना की हत्या, क्या राजनीति के दबाव ने बढ़ाया अपराध का जहर?

जमशेदपुर के कदमा थाना क्षेत्र में कांग्रेस कार्यकर्ता आलोक मुन्ना की हत्या के मामले में 6 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। जानिए पूरी घटना, आरोपियों का नाम, और राजनीति से जुड़े विवादों के बारे में।

Dec 19, 2024 - 17:03
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Congress Alok Munna Murder: कांग्रेस कार्यकर्ता आलोक मुन्ना की हत्या, क्या राजनीति के दबाव ने बढ़ाया अपराध का जहर?
Congress Alok Munna Murder: कांग्रेस कार्यकर्ता आलोक मुन्ना की हत्या, क्या राजनीति के दबाव ने बढ़ाया अपराध का जहर?

जमशेदपुर के कदमा थाना क्षेत्र में कांग्रेस कार्यकर्ता आलोक मुन्ना की हत्या ने न केवल शहर में, बल्कि पूरे झारखंड में राजनीतिक संघर्ष और सत्ता के दबाव को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। शास्त्रीनगर ब्लॉक नंबर चार में सरस्वती शिशु मंदिर के पास 25 नवंबर 2024 को हुए इस हत्या के मामले में 6 लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई है।

क्या है पूरा मामला?

मृतक आलोक मुन्ना (27) का असली नाम आलोक भगत था, और वह टाइगर क्लब के संचालक के साथ-साथ कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता भी थे। बुधवार की सुबह, आलोक मुन्ना को गोली मारकर हत्या कर दी गई। आरोपियों में आकाश सिंह उर्फ छोटू बच्चा, मोहित सिंह, राजन सिंह, विकास सिंह, मनीष पांडेय, और सुमित सिंह उर्फ छोंटी को शामिल किया गया है। मृतक के भाई मनोज कुमार भगत ने इन नामों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।

राजनीतिक कनेक्शन: हत्याकांड के पीछे क्या है कारण?

एसएसपी किशोर कौशल के अनुसार, इस हत्याकांड का कारण आपसी वर्चस्व है। आलोक मुन्ना पर पहले से ही कई आपराधिक मामले दर्ज थे, जिनमें से कुछ मामले भ्रष्टाचार और भय का माहौल बनाने से जुड़े हुए थे। आलोक मुन्ना के खिलाफ भा.ज.पा. नेताओं की पिटाई का सीसीटीवी फुटेज भी वायरल हुआ था, जिससे यह साफ होता है कि वह कई विवादों में घिरा हुआ था।

इसके बावजूद, इस हत्या को कुछ लोग राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के तौर पर देख रहे हैं। पूर्व मंत्री बन्ना गुप्ता ने इस हत्या को राजनीतिक हत्या करार देते हुए आरोप लगाया कि यह घटना नेताओं के संरक्षण में काम करने वाले अपराधियों के कारण हुई है।

बन्ना गुप्ता और सरयू राय का संघर्ष

बन्ना गुप्ता ने आरोप लगाया कि सरयू राय के नेतृत्व में जमशेदपुर में अपराधियों ने बढ़त बनाई थी, और अब वही अपराधी आपस में लड़ने लगे हैं। उनका कहना है कि जब से सत्ता का दबाव हटने लगा है, बन्ना के संरक्षण में चलने वाले आपराधिक गिरोह आपस में भिड़ गए हैं।

सरयू राय ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि आलोक की हत्या का कारण उसके गिरोह के भीतर की प्रतिद्वंद्विता है, जो लंबे समय से दबाव में थी। उन्होंने कहा कि आलोक की हत्या राजनीतिक उठापटक का परिणाम है।

घटना के बाद शहर में बढ़ी गश्ती

घटना के बाद कदमा और आसपास के क्षेत्रों में पुलिस गश्ती बढ़ा दी गई है। यह कदम शहर में फैल रहे तनाव को शांत करने के लिए उठाया गया है। आलोक की हत्या के बाद इलाके में गुंडागर्दी और अपराधी गिरोहों के बीच बढ़ी प्रतिद्वंद्विता को लेकर कई चर्चाएं हो रही हैं। पुलिस अब आरोपियों के घरों की कुर्की और जब्ती की योजना बना रही है, ताकि अपराधियों पर दबाव डाला जा सके।

क्या कार्रवाई की जा रही है?

अब पुलिस एफआईआर दर्ज कर आरोपियों की तलाश कर रही है। साथ ही, आरोपियों के परिवारों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही हैकांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां इस हत्या को राजनीतिक हत्या मानते हुए सख्त कार्रवाई की मांग कर रही हैं।

क्या है आगे की राह?

आलोक मुन्ना की हत्या ने झारखंड में बढ़ती राजनीतिक हिंसा और अपराध के मुद्दे को एक बार फिर से उजागर किया है। राज्य के मुख्यमंत्री और डीजीपी को इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करना होगा, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। यदि पुलिस और प्रशासन इस मामले में त्वरित कार्रवाई नहीं करते, तो राजनीतिक बवाल और सामाजिक संघर्ष बढ़ सकता है।

इस हत्याकांड से एक सवाल उठता है, क्या यह केवल एक आपराधिक घटना है या फिर इसके पीछे सत्ता के दबाव और गिरोहबाजी का कोई बड़ा कारण है? क्या राजनीतिक संरक्षण में चल रहे अपराधी गिरोह सत्ता के खत्म होते ही आपस में भिड़ने लगे हैं? इन सभी सवालों का जवाब आने वाले दिनों में स्पष्ट हो सकता है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।