Jamshedpur Revolution: इंजन में एसी और शौचालय, लोको पायलटों की जिंदगी में ऐतिहासिक बदलाव

जमशेदपुर में लोको पायलटों के लिए बड़ी राहत, अब ट्रेन इंजन में एसी और शौचालय की सुविधा मिलने जा रही है। टाटानगर लोको शेड में तेजी से हो रहा है काम।

Apr 21, 2025 - 13:47
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Jamshedpur Revolution: इंजन में एसी और शौचालय, लोको पायलटों की जिंदगी में ऐतिहासिक बदलाव
Jamshedpur Revolution: इंजन में एसी और शौचालय, लोको पायलटों की जिंदगी में ऐतिहासिक बदलाव

जमशेदपुर से एक ऐतिहासिक खबर सामने आई है। देश की रेलवे व्यवस्था में एक बड़ा परिवर्तन आने वाला है, जिससे लोको पायलटों की दशकों पुरानी परेशानी अब खत्म होने जा रही है।

जी हाँ, अब लोको पायलटों को ट्रेन इंजन में ही एसी और शौचालय की सुविधा मिलेगी। यह फैसला सिर्फ सुविधा नहीं, बल्कि रेलवे के इतिहास में एक बड़ा इंसानी कदम माना जा रहा है। दक्षिण पूर्व रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी (PRO) सोपान दत्ता ने खुद इसका खुलासा किया। रविवार को टाटानगर स्टेशन-कीताडीह रोड स्थित नई गार्ड एंड क्रू लॉबी में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने यह जानकारी दी।

क्यों है यह बदलाव खास?

भारतीय रेलवे की संरचना जब शुरू हुई थी, तब लोको पायलट को केवल ट्रेन चलाने का ज़िम्मा सौंपा गया था, लेकिन उनकी मानव आवश्यकताओं की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं थी। घंटों तक लगातार ड्यूटी करने के बावजूद उन्हें इंजन के अंदर न तो एसी की सुविधा मिलती थी, न ही कोई शौचालय।

यह स्थिति कई बार स्वास्थ्य और मानसिक तनाव का कारण बनती थी। कई बार लोको पायलटों को अपनी ड्यूटी के बीच में भी असुविधा का सामना करना पड़ता था।

टाटानगर से बदलाव की शुरुआत

इस बदलाव की शुरुआत टाटानगर के न्यू इलेक्ट्रिक लोको शेड से हो रही है, जहाँ पुराने मॉडल के इंजनों में शौचालय और एसी लगाने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। रेलवे कर्मचारियों की एक टीम इसे जल्द से जल्द पूरा करने के लिए लगातार काम कर रही है।

कितने इंजनों में मिली सुविधा?

PRO सोपान दत्ता के अनुसार, दक्षिण पूर्व रेलवे के 1469 इंजनों में से 743 में एसी सुविधा पहले ही जोड़ दी गई है। शौचालय की सुविधा अभी 8 इंजनों में दी गई है, लेकिन यह संख्या जल्द ही बढ़ने वाली है।

रेलवे का लक्ष्य है कि आने वाले महीनों में ज़्यादातर इंजनों को इस सुविधा से लैस किया जाए, ताकि पायलटों को अब अपनी ड्यूटी के दौरान बेवजह परेशान न होना पड़े।

बदलाव की दिशा में बड़ी पहल

इस कदम को रेलवे के मानव केंद्रित दृष्टिकोण की दिशा में एक बड़ा सुधार माना जा रहा है। दशकों से लोको पायलट यह मांग करते आ रहे थे कि जैसे यात्री डिब्बों में सुविधाएँ मिलती हैं, वैसे ही उन्हें भी कम से कम मूलभूत ज़रूरतों की सुविधा दी जाए।

इस प्रेस वार्ता में PRO सोपान दत्ता के साथ स्टेशन निदेशक सुनील कुमार, मुख्य लोको इंस्पेक्टर केपी जायसवाल, एसके गुप्ता और क्रू कंट्रोलर पीके बरीगंजन भी मौजूद थे।

भविष्य में क्या होगा?

अगर यह पहल सफल होती है, तो यह पूरे देशभर के इंजनों में लागू की जा सकती है। ऐसे में न सिर्फ लोको पायलटों की कार्य क्षमता बढ़ेगी, बल्कि उनके स्वास्थ्य पर भी इसका सकारात्मक असर होगा।

रेलवे इतिहास में यह पहली बार है जब इस तरह से इंजन के अंदर एसी और टॉयलेट की सुविधा पर गंभीरता से काम हो रहा है।

जहाँ एक ओर भारत हाई-स्पीड ट्रेनों और सेमी-बुलेट की बात कर रहा है, वहीं यह पहल यह सुनिश्चित करती है कि ट्रेन के सबसे ज़िम्मेदार व्यक्ति – लोको पायलट – भी तकनीकी और मानव संसाधनों से लैस हों। जमशेदपुर से शुरू हुई यह क्रांति अगर पूरे देश में फैलती है, तो भारतीय रेलवे का चेहरा ही बदल सकता है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।