Jamshedpur BJP Protest : शरीयत को संविधान से बड़ा बताने वाले बयान पर BJP का उग्र विरोध
जमशेदपुर में भाजपा कार्यकर्ताओं ने झारखंड के मंत्री हफीजुल हसन के उस बयान पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने शरीयत को संविधान से बड़ा बताया। जानिए इस बयान के पीछे की पूरी राजनीति और बढ़ते विवाद का इतिहास।

Jamshedpur से उठा एक नया राजनीतिक बवंडर, जिसने न सिर्फ झारखंड की राजनीति में हलचल मचाई बल्कि देशव्यापी बहस को भी हवा दे दी। मामला जुड़ा है झारखंड सरकार के मंत्री हफीजुल हसन अंसारी से, जिन्होंने अपने बयान में शरीयत को भारतीय संविधान से ऊपर बताया। उनके इस बयान के विरोध में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जमशेदपुर में जोरदार प्रदर्शन किया और मंत्री के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
यह कोई मामूली विवाद नहीं है, क्योंकि बात सिर्फ किसी एक धर्म की धार्मिक मान्यता की नहीं, बल्कि भारत के संवैधानिक ढांचे की बुनियाद से टकराने की है। यही कारण है कि भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इसे सीधा “राष्ट्र विरोधी बयान” करार दिया है।
क्या कहा मंत्री ने?
हफीजुल हसन अंसारी का एक बयान सामने आया, जिसमें उन्होंने शरीयत को संविधान से अधिक महत्व देने की बात कही। यह बयान तेजी से वायरल हुआ और राजनीतिक पारा चढ़ गया। हालांकि मंत्री ने सफाई देने की कोशिश की, लेकिन तब तक आग भड़क चुकी थी।
भाजपा का बड़ा विरोध, राजभवन तक पहुंचा मामला
जमशेदपुर महानगर भाजपा के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए। सांसद विद्युत वरण महतो, विधायक पूर्णिमा दास साहू, भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिनेशानंद गोस्वामी, और प्रदेश प्रवक्ता अमरप्रीत सिंह काले समेत तमाम बड़े नेता जिला उपायुक्त कार्यालय पहुंचे और महामहिम राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा।
अमरप्रीत सिंह काले का तीखा बयान
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अमरप्रीत सिंह काले ने इसे केवल बयान नहीं, बल्कि संविधान और लोकतंत्र पर सीधा हमला बताया। उन्होंने कहा, “यह बयान संविधान की मर्यादा का घोर अपमान है। जब एक संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति ही संविधान को चुनौती दे, तो वह उस पद के योग्य नहीं रह जाता।”
इतिहास में भी रहे हैं ऐसे विवाद
यह पहला मौका नहीं है जब किसी सार्वजनिक प्रतिनिधि ने धर्म और संविधान के टकराव वाले बयान दिए हों। 1986 में शाह बानो केस के बाद भी शरीयत बनाम संविधान की बहस देशभर में छिड़ी थी। उस वक्त भी राजनैतिक दलों ने इस मुद्दे को जमकर भुनाया था। यही बहस अब 2025 में फिर गर्म हो रही है, जिसमें धर्मनिरपेक्ष भारत के भविष्य को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।
महिला और युवा मोर्चा की सक्रिय भागीदारी
भाजपा के विरोध प्रदर्शन में महिला मोर्चा, युवा मोर्चा और विभिन्न मंडलों के कार्यकर्ताओं की भी बड़ी भागीदारी रही। सभी ने एक स्वर में मंत्री के इस्तीफे और उन पर कानूनी कार्रवाई की मांग की।
क्या होगी अगली कार्रवाई?
भाजपा ने साफ कर दिया है कि अगर राज्य सरकार इस मामले में चुप्पी साधती है तो वे राज्यव्यापी आंदोलन करेंगे। इस बीच, वकीलों और संवैधानिक विशेषज्ञों का भी मानना है कि मंत्री का बयान भारतीय संविधान की धारा 51A (जो नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों से जुड़ी है) का उल्लंघन करता है।
धर्म बनाम संविधान की बहस फिर तेज
हफीजुल हसन अंसारी के इस विवादित बयान ने एक बार फिर भारतीय राजनीति में धर्म और संविधान की प्राथमिकता पर बहस को तेज कर दिया है। विपक्षी दल इस बयान को “धार्मिक ध्रुवीकरण” की कोशिश बता रहे हैं, जबकि भाजपा इसे “राष्ट्रविरोध” करार दे रही है। सवाल अब सिर्फ बयान का नहीं, बल्कि उस सोच का है, जो संविधान को चुनौती देने की हिम्मत कर रही है।
अब देखना यह है कि झारखंड सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है, और क्या हफीजुल हसन अंसारी के खिलाफ कोई सख्त कदम उठाए जाते हैं या यह मामला भी सिर्फ एक राजनीतिक तूफान बनकर रह जाएगा।
What's Your Reaction?






