Ramgarh Fire: भूचूंगडीह के बंद कोयला मुहानों में अचानक धधकी आग, आसमान तक पहुंची लपटें!
रामगढ़ के रजरप्पा क्षेत्र के भूचूंगडीह में बंद पड़े अवैध कोयला मुहानों में भीषण आग लग गई। आग की भयावहता ने गांववालों को दहशत में डाल दिया। जानिए आग की वजह, प्रशासन की प्रतिक्रिया और इतिहास से जुड़े सवाल।

रामगढ़ जिले के रजरप्पा क्षेत्र के भूचूंगडीह गांव में सोमवार की अहले सुबह कुछ ऐसा हुआ, जिसने पूरे गांव को हिलाकर रख दिया। बंद पड़े सात अवैध कोयला मुहानों से अचानक तेज आग की लपटें उठने लगीं। आग इतनी भीषण थी कि पूरे आसमान में काले धुएं का गुबार छा गया और लोग अपने घरों से बाहर निकलकर भय और चिंता से आसमान की ओर टकटकी लगाए देखने लगे।
अवैध खनन का नतीजा या लापरवाही?
इन मुहानों में पिछले कुछ दिनों से आग सुलग रही थी, लेकिन किसी ने इस पर गंभीर ध्यान नहीं दिया। सोमवार को जब आग ने रौद्र रूप धारण किया, तब जाकर प्रशासन हरकत में आया। यह घटना न सिर्फ प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी सवाल खड़े करती है कि आखिरकार इन बंद पड़े अवैध मुहानों को सुरक्षित क्यों नहीं किया गया?
इतिहास भी गवाह है, रामगढ़ का दर्द पुराना है
रामगढ़ और रजरप्पा क्षेत्र में कोयला खनन कोई नया मामला नहीं है। दशकों से यहां CCL और अन्य खनन एजेंसियों का संचालन रहा है, लेकिन अवैध खनन और खतरनाक मुहानों की अनदेखी हमेशा जानलेवा रही है। 1990 के दशक में भी इसी क्षेत्र में एक बड़ा हादसा हुआ था, जब अवैध खनन से धंसी जमीन ने कई घरों को निगल लिया था।
घटनास्थल तक नहीं पहुंच सकी फायर ब्रिगेड
जिस वक्त आग लगी, तब अग्निशमन विभाग की टीम को मौके पर बुलाया गया, लेकिन दुर्भाग्यवश घटनास्थल तक पहुंचने का रास्ता इतना संकीर्ण और जर्जर था कि फायर ब्रिगेड की गाड़ी बीच रास्ते में ही अटक गई। इस कारण समय पर आग पर काबू नहीं पाया जा सका, और लपटें और ज्यादा फैलती चली गईं।
प्रशासन पहुंचा मैदान में, जलती जमीन को ठंडा करने की कोशिश
घटना की सूचना मिलते ही सीसीएल के अधिकारी और रजरप्पा महाप्रबंधक कल्याणजी प्रसाद मौके पर पहुंचे। साथ ही रामगढ़ उपायुक्त चंदन कुमार, एसडीओ अनुराग तिवारी, सीओ दीपक मिंज और माइनिंग इंस्पेक्टर राहुल कुमार भी स्थिति का जायजा लेने पहुंचे।
उपायुक्त ने तुरंत निर्देश दिया कि भैरवी नदी से पंप मशीन के जरिए पानी मुहानों के अंदर डाला जाए, ताकि आग को रोका जा सके। लेकिन यह भी साफ है कि यह कदम बहुत देर से उठाया गया।
गांववालों की हालत गंभीर, डर और आक्रोश साथ-साथ
भूचूंगडीह गांव के लोग इस घटना से बुरी तरह डरे हुए हैं। कई लोगों ने शिकायत की कि उन्होंने पहले ही प्रशासन को आग लगने की आशंका जताई थी, लेकिन समय रहते कोई कदम नहीं उठाया गया। अब स्थिति यह है कि लोग अपने ही गांव में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे।
क्या सीसीएल और प्रशासन लेंगे सबक?
यह घटना सिर्फ एक आग की घटना नहीं है, बल्कि एक बार फिर उस गंभीर लापरवाही को उजागर करती है जो अवैध खनन से जुड़े क्षेत्रों में अक्सर देखने को मिलती है। सीसीएल को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि बंद पड़े मुहानों को पूरी तरह से भरकर सुरक्षित किया जाए।
अगर इस बार भी चेतावनी नहीं ली गई, तो अगली बार यह आग सिर्फ जमीन नहीं जलाएगी, बल्कि लोगों की जान भी ले सकती है।
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