Bodam Murder: खौफनाक अंत, दहेज के लिए विवाहिता को जिंदा जलाया, 14 दिनों के संघर्ष के बाद तोड़ा दम, पति और ससुराल वाले नामजद
पूर्वी सिंहभूम के बोड़ाम में दहेज के लालच में पिंकी दास को उसके पति और ससुराल वालों द्वारा जलाकर मारने का सनसनीखेज मामला सामने आया है जहाँ 14 दिनों तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूलने के बाद विवाहिता की मौत हो गई। मृतका की माँ के दर्दनाक खुलासे और पुलिसिया तफ्तीश की पूरी कड़वी हकीकत यहाँ दी गई है वरना आप भी समाज के इस घिनौने अपराध के पीछे छिपे सच से अनजान रह जाएंगे।
जमशेदपुर/बोड़ाम, 24 दिसंबर 2025 – लौहनगरी से सटे बोड़ाम थाना क्षेत्र के मुकरुडीह गांव में मानवता को शर्मसार करने वाली एक घटना सामने आई है। एक विवाहिता पिंकी दास, जो महज 4 साल पहले अपने नए घर के सपने लेकर ससुराल आई थी, दहेज की भेंट चढ़ गई। आरोप है कि उसके पति विश्वनाथ दास और ससुराल वालों ने मिलकर उसे जिंदा जला दिया। 14 दिनों तक टाटा मुख्य अस्पताल (TMH) और फिर MGM अस्पताल में तड़पने के बाद मंगलवार सुबह पिंकी ने अपनी अंतिम सांस ली। इस मौत ने न केवल एक मासूम 3 वर्षीय बच्चे से उसकी माँ छीन ली है, बल्कि समाज के सामने 'दहेज प्रथा' के उस खूनी चेहरे को एक बार फिर लाकर खड़ा कर दिया है।
इतिहास: कोल्हान और छोटानागपुर में दहेज का बदलता स्वरूप
ऐतिहासिक रूप से झारखंड के जनजातीय और ग्रामीण समाज में 'कन्या शुल्क' की परंपरा रही है, जहाँ वर पक्ष वधू पक्ष को सम्मान स्वरूप भेंट देता था। लेकिन 1980 के दशक के बाद बढ़ते शहरीकरण और दिखावे की संस्कृति ने इस पावन परंपरा को 'दहेज' जैसी कुप्रथा में बदल दिया। बोड़ाम और पटमदा जैसे क्षेत्रों में पिछले एक दशक में मध्यमवर्गीय परिवारों के बीच घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न के मामलों में 25\% की वृद्धि दर्ज की गई है। पिंकी दास का मामला इसी ऐतिहासिक गिरावट का नतीजा है, जहाँ 21वीं सदी में भी एक महिला को केवल इसलिए जला दिया गया क्योंकि उसके माता-पिता ससुराल वालों की मांग पूरी नहीं कर सके।
10 दिसंबर की वो काली सुबह: जब लगी ममता में आग
घटना 10 दिसंबर की सुबह की है, जब मुकरुडीह गांव में विश्वनाथ दास के घर में दहेज को लेकर विवाद शुरू हुआ।
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साजिश और जुल्म: मृतका की माँ मंगला दास (हुंडी गांव, तमाड़ निवासी) का आरोप है कि पिंकी के पति विश्वनाथ, ससुर गोराचांद दास और सास द्रौपदी दास उसे लगातार प्रताड़ित करते थे। पिंकी अक्सर फोन पर अपनी माँ से अपनी जान के खतरे का जिक्र करती थी।
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14 दिनों का संघर्ष: 10 दिसंबर को आग लगने के बाद पिंकी को गंभीर हालत में जमशेदपुर के TMH में भर्ती कराया गया। 10 दिनों के इलाज के बाद जब डॉक्टरों ने उसे रिम्स (RIMS) रेफर किया, तो आर्थिक तंगी या लापरवाही के चलते परिजनों ने उसे MGM में भर्ती कराया, जहाँ मंगलवार को उसने दम तोड़ दिया।
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अधूरा बयान: थाना प्रभारी मनोरंजन कुमार ने दुख जताया कि घटना के तुरंत बाद पुलिस को सूचित नहीं किया गया। यदि पिंकी का मृत्यु पूर्व बयान (Dying Declaration) दर्ज हो जाता, तो केस और भी मजबूत होता।
तीन साल का मासूम और 'इंसाफ' का इंतजार
पिंकी की शादी करीब 4 साल पहले हुई थी। घर में अब उसका 3 साल का एक बेटा है, जो इस बात से पूरी तरह अनजान है कि उसकी माँ अब कभी वापस नहीं आएगी। पुलिस ने मृतका की माँ के बयान पर बोड़ाम थाना में प्राथमिकी (FIR) दर्ज कर ली है।
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नामजद आरोपी: पति विश्वनाथ दास, ससुर गोराचांद दास और सास द्रौपदी दास को मुख्य आरोपी बनाया गया है।
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जांच की दिशा: पुलिस अब यह पता लगा रही है कि आग लगने के समय घर में कौन-कौन मौजूद था और क्या इसे 'हादसे' का रूप देने की कोशिश की गई है।
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गिरफ्तारी का पेंच: थाना प्रभारी के अनुसार, अभी मामले की छानबीन चल रही है और फिलहाल किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, जिससे मृतका के मायके वालों में काफी असंतोष है।
दहेज हत्या कांड का संक्षिप्त विवरण (Case Summary)
| विवरण | जानकारी |
| मृतका का नाम | पिंकी दास (24 वर्ष) |
| मुख्य आरोपी | विश्वनाथ दास (पति) एवं अन्य |
| घटना की तारीख | 10 दिसंबर 2025 (आग लगी) |
| मौत की तारीख | 24 दिसंबर 2025 (मंगलवार सुबह) |
| पीछे छूटा परिवार | 03 साल का एक पुत्र |
| थाना क्षेत्र | बोड़ाम थाना, पूर्वी सिंहभूम |
पुलिस का सख्त रुख: 'बख्शे नहीं जाएंगे गुनहगार'
बोड़ाम पुलिस ने आश्वासन दिया है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट और शुरुआती साक्ष्यों के आधार पर बहुत जल्द आरोपियों को सलाखों के पीछे भेजा जाएगा। दहेज उत्पीड़न के इस मामले को 'फास्ट ट्रैक' पर ले जाने की तैयारी है। स्थानीय ग्रामीणों में भी इस घटना को लेकर काफी गुस्सा है, और वे आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
निष्कर्ष: कब थमेगा यह आग का खेल?
पिंकी दास की मौत केवल एक व्यक्ति की हत्या नहीं है, बल्कि यह हमारे कानून और समाज की विफलता है जो एक बेटी को 14 दिनों तक बचाने में नाकाम रही। जब तक दहेज के लोभियों को कड़ी सजा नहीं मिलती, तब तक 'बेटी बचाओ' का नारा केवल दीवारों तक सीमित रहेगा। फिलहाल, बोड़ाम पुलिस की जांच पर सबकी नजरें टिकी हैं।
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