Jamshedpur Arresting: गिरिडीह के व्यापारी की गिरफ्तारी से उठा विवाद, 38 लाख की धोखाधड़ी का मामला
जमशेदपुर में गिरिडीह के व्यापारी रामदेव सिंह गिरफ्तार। 38 लाख की धोखाधड़ी में हाईकोर्ट से जमानत रद्द होने के बाद मानगो पुलिस ने की कार्रवाई। केस के कई चौंकाने वाले पहलू सामने आए।
जमशेदपुर के मानगो पुलिस ने सोमवार को गिरिडीह के व्यापारी रामदेव सिंह को धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस घटना ने पूरे झारखंड में सनसनी फैला दी है। मामला 38 लाख रुपये की धोखाधड़ी का है, जिसमें कोर्ट और पुलिस की कई स्तरों पर जांच और कार्रवाई चल रही थी।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला मानगो के पेट्रोल पंप मालिक अनूप राय और गिरिडीह के व्यापारी रामदेव सिंह के बीच का है। आरोप है कि अनूप राय ने रामदेव सिंह से 38 लाख रुपये का कर्ज लिया था। इसमें से 25 लाख रुपये एक बार और 13.5 लाख रुपये दूसरी बार लौटाए गए।
इस लेनदेन के बदले अनूप राय ने एक चेक दिया, जो बाउंस हो गया। इसके बाद रामदेव सिंह ने कोर्ट में चेक बाउंस का केस दर्ज किया। अनूप राय ने अदालत में 38 लाख रुपये जमा कर दिए, जिससे उसे जमानत मिल गई।
लेकिन विवाद यहीं खत्म नहीं हुआ। रामदेव सिंह ने अनूप राय की गिरिडीह स्थित जमीन को अपने कब्जे में ले लिया, जिससे मामले ने तूल पकड़ लिया।
गिरफ्तारी का घटनाक्रम
मानगो थाने में दर्ज केस के बाद रामदेव सिंह की अग्रिम जमानत की अर्जी हाईकोर्ट से रद्द कर दी गई थी। इसके बावजूद वह फरार चल रहे थे। सोमवार को पुलिस ने उन्हें सीतारामडेरा इलाके से गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारी के बाद जब उन्हें मेडिकल जांच के लिए एमजीएम अस्पताल ले जाया गया, तो उनकी तबीयत बिगड़ गई। हालत गंभीर होने पर उन्हें रांची के रिम्स अस्पताल रेफर कर दिया गया।
कानूनी पेचिदगियां और विवाद
यह मामला सिर्फ एक साधारण धोखाधड़ी का नहीं है, बल्कि इसमें कानूनी और नैतिक सवाल भी उठते हैं।
- चेक बाउंस केस: कोर्ट में अनूप राय द्वारा 38 लाख जमा करने के बाद रामदेव सिंह को 19 लाख रुपये मिले। बावजूद इसके, जमीन पर कब्जा करना कानूनी और नैतिक रूप से सवाल खड़ा करता है।
- जमानत का मुद्दा: रामदेव सिंह की जमानत रद्द होने के बावजूद उनकी गिरफ्तारी में देरी क्यों हुई? क्या इसके पीछे कोई राजनीतिक दबाव या अन्य कारण थे?
स्थानीय प्रशासन और पुलिस का रुख
मानगो थाने के प्रभारी निरंजन कुमार ने बताया कि यह मामला 2023 में दर्ज हुआ था। केस की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने रामदेव सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
पुलिस ने यह भी कहा कि अनूप राय की शिकायत के बाद जमीन के विवाद की जांच चल रही है।
व्यापारी वर्ग की प्रतिक्रिया
गिरिडीह और जमशेदपुर के व्यापारी इस घटना से सकते में हैं। एक स्थानीय व्यापारी ने कहा, "यह घटना व्यापारिक समुदाय के लिए शर्मनाक है। इससे व्यवसायियों की साख पर असर पड़ेगा।"
इतिहास में ऐसे मामले
धोखाधड़ी के इस तरह के मामले पहले भी चर्चा में रहे हैं।
- 2015 में रांची: एक व्यवसायी ने 50 लाख की धोखाधड़ी के बाद खुद को दिवालिया घोषित कर दिया था।
- 2018 में धनबाद: एक व्यापारी ने अपने साथी से 1 करोड़ की ठगी की थी।
क्या होगा आगे?
रामदेव सिंह की गिरफ्तारी ने कानूनी और सामाजिक दोनों ही मोर्चों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
- जमीन विवाद: क्या अनूप राय अपनी जमीन वापस ले पाएंगे?
- धोखाधड़ी के नए आयाम: क्या यह मामला अन्य छिपी हुई धोखाधड़ियों को उजागर करेगा?
- पुलिस की भूमिका: क्या पुलिस समय पर कार्रवाई कर रही है, या फिर इसमें देरी के अन्य कारण हैं?
जमशेदपुर में हुई यह घटना सिर्फ एक कानूनी लड़ाई का मामला नहीं है, बल्कि यह दिखाती है कि किस तरह व्यापारिक लेनदेन में भरोसे का संकट पैदा हो रहा है। रामदेव सिंह की गिरफ्तारी के बाद क्या अनूप राय को न्याय मिलेगा, यह देखना बाकी है।
इस मामले से जुड़े नए खुलासे क्या होंगे, यह वक्त बताएगा, लेकिन फिलहाल यह मामला जमशेदपुर और गिरिडीह दोनों ही जगहों पर चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
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