जमशेदपुर में श्रद्धांजलि: वीर शहीद कोंका कमार करमाली की जयंती पर आदिवासी गौरव का सम्मान
जमशेदपुर में वीर शहीद कोंका कमार करमाली की जयंती पर श्रद्धांजलि सभा, आदिवासी समाज के संघर्ष और गौरव को किया गया याद। जानें उनके योगदान की कहानी।
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जमशेदपुर, 21 नवंबर 2024: झारखंड के वीर आदिवासी सेनानी कोंका कमार करमाली की जयंती पर जमशेदपुर के बारीडीह गोलचक्कर में भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई। इस कार्यक्रम का आयोजन कोंका कमार करमाली संघर्ष समिति द्वारा किया गया, जिसमें स्थानीय और क्षेत्रीय नेताओं ने उनकी अमर गाथा को याद किया।
कौन थे कोंका कमार करमाली?
कोंका कमार करमाली, बिरसा मुंडा के सेनापति और करीबी सहयोगी, ने आदिवासी अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। वह उन अनगिनत नायकों में से एक हैं, जिन्होंने झारखंड में आदिवासी आंदोलनों को दिशा दी और ब्रिटिश शासन के खिलाफ बिरसा मुंडा के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण लड़ाइयों में भाग लिया।
झारखंड के जन आंदोलन में कमार समाज का हमेशा से महत्वपूर्ण योगदान रहा है, लेकिन दुर्भाग्य से उनके संघर्षों को इतिहास में उचित स्थान नहीं मिल पाया। आज भी, कोंका कमार करमाली जैसे वीर आदिवासी योद्धा समाज के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।
कार्यक्रम में किन-किन ने दी श्रद्धांजलि?
कार्यक्रम में कई प्रमुख व्यक्तित्वों की उपस्थिति रही, जिनमें शामिल थे:
- बिरसा सेना के संस्थापक प्रमुख बलराम कर्मकार
- विशु लोहार, मंगल कालिंदी
- कृष्णा लोहार, झारखंड जनतांत्रिक महासभा के केंद्रीय अध्यक्ष और जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा के प्रत्याशी
- जागो संगठन के कार्यकारिणी अध्यक्ष रमेश और अन्य स्थानीय प्रतिनिधि।आदिवासी संघर्ष और प्रेरणा
सभा को संबोधित करते हुए कृष्णा लोहार ने कहा,
“कोंका कमार करमाली ने आदिवासी अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और बिरसा मुंडा के नेतृत्व में कई ऐतिहासिक संघर्षों का हिस्सा बने। उनका जीवन हमें सिखाता है कि समाज के अधिकारों के लिए संघर्ष कैसे किया जाता है। झारखंड के हर जन आंदोलन में कमार समाज का योगदान अमूल्य रहा है।”
कृष्णा लोहार ने यह भी कहा कि झारखंड में कई गुमनाम नायक हैं, जिन्हें उचित मान्यता नहीं मिली। ऐसे वीरों की कहानियों को उजागर करना और उनकी विरासत को आगे बढ़ाना आज की जिम्मेदारी है।
आदिवासी समाज के लिए क्यों जरूरी है यह स्मरण?
झारखंड के आदिवासी समाज ने सदियों से अपने अधिकारों और पहचान के लिए संघर्ष किया है। कोंका कमार करमाली जैसे सेनानियों की जयंती सिर्फ श्रद्धांजलि का अवसर नहीं है, बल्कि यह आदिवासी गौरव और उनके इतिहास को समाज में जीवित रखने का प्रयास है।
कोंका कमार करमाली का जीवन आदिवासी युवाओं के लिए एक संदेश है—संगठित होकर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ना और समाज में अपनी पहचान बनाना।
इतिहास की छवि: झारखंड में आदिवासी आंदोलन
झारखंड में बिरसा मुंडा का योगदान जितना प्रसिद्ध है, उतना ही महत्वपूर्ण है उनके सेनापति और अन्य सहयोगियों का संघर्ष। ब्रिटिश शासन के खिलाफ आदिवासी आंदोलन ने झारखंड को उसकी ऐतिहासिक पहचान दी। कोंका कमार करमाली जैसे नायक, जो इतिहास के पन्नों में गुम हो गए, उन्हें पुनः याद करना झारखंड के लिए गर्व की बात है।
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