India Expands Railways : कनेक्टिविटी और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए 375 किमी नेटवर्क
जानें कि ₹7,927 करोड़ की रेलवे परियोजनाएं उत्तरी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल को कैसे बदल देंगी। नए मार्ग, किसान लाभ, कवच 4.0 तकनीक और सतत विकास सभी एक ही पहल में समाहित हैं।
New Delhi: Revolutionizing Railway Connectivity and Economic Growth
भारत में रेलवे को आर्थिक प्रगति की रीढ़ कहा जाता है। इसी सोच के साथ केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) ने तीन बड़े रेल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है। ये परियोजनाएं न केवल मुंबई और प्रयागराज के बीच कनेक्टिविटी में सुधार करेंगी बल्कि कृषि, उद्योग और पर्यटन के विकास को भी बढ़ावा देंगी।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नई दिल्ली के रेल भवन में इन परियोजनाओं का विवरण साझा किया। उन्होंने बताया कि 375 किमी के रेल नेटवर्क विस्तार में जलगांव-मनमाड (160 किमी), भुसावल-खंडवा (131 किमी), और प्रयागराज (इरादतगंज)-मानिकपुर (84 किमी) लाइनों का मल्टी-ट्रैकिंग शामिल है।
1. 375 किमी रेल नेटवर्क: कैसे बदलेंगे हालात?
यह परियोजना उत्तर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और पूर्वांचल के प्रमुख क्षेत्रों को जोड़ने का काम करेगी। खासतौर पर यह कनेक्टिविटी मुंबई-प्रयागराज-वाराणसी और मुंबई-हावड़ा गोल्डन डायगोनल के बीच यात्री और मालगाड़ियों के संचालन में सहायक होगी।
प्रमुख लाभ:
- 50 मिलियन टन अतिरिक्त माल ढुलाई की सुविधा।
- 15 करोड़ लीटर डीजल की वार्षिक बचत, जिससे हरित ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा।
- 271 करोड़ किलोग्राम CO2 उत्सर्जन में कमी, जो 15 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।
- धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा, खासकर नासिक (त्र्यंबकेश्वर), खंडवा (ओंकारेश्वर), वाराणसी (काशी विश्वनाथ), और प्रयागराज के तीर्थ स्थलों के लिए।
2. किसानों की मदद: शेतकरी समृद्धि रेल की सफलता
शेतकरी समृद्धि रेल, जो देवलाली से दानापुर के बीच चलती है, ने 200% ऑक्यूपेंसी के साथ एक नई मिसाल कायम की है। इस ट्रेन में 10 यात्री कोच और 10 कोच कृषि उत्पादों के परिवहन के लिए हैं।
कैसे काम कर रही है यह पहल?
- छोटे किसान अब आधे क्विंटल प्याज या अनार से लेकर 10 क्विंटल सोयाबीन जैसे उत्पादों को आसानी से भेज सकते हैं।
- यह सेवा नासिक के किसानों के सुझाव पर शुरू की गई थी।
- किसानों ने इसे किफायती और लचीला विकल्प बताया, जिससे उनकी उत्पादकता और लाभ बढ़े।
- भविष्य में इस मॉडल को अन्य राज्यों तक विस्तार दिया जाएगा।
3. सुरक्षा में सुधार: कवच 4.0 का क्रांतिकारी कदम
रेलवे सुरक्षा और संचालन दक्षता को बढ़ाने के लिए कवच तकनीक को पूरे देश में लागू किया जा रहा है। कवच 4.0, जिसे RDSO ने जुलाई 2024 में मंजूरी दी, अब तक 1,000 किमी रेल नेटवर्क पर लागू हो चुका है।
प्रमुख विशेषताएं:
- अगले 6 वर्षों में 10,000 लोकोमोटिव कवच तकनीक से लैस किए जाएंगे।
- मुंबई-वडोदरा, दिल्ली-कानपुर, और सवाई माधोपुर-कोटा जैसे प्रमुख रूट्स पर कवच की टेस्टिंग सफलतापूर्वक पूरी हो चुकी है।
- कवच इंस्टॉलेशन की प्रक्रिया बेहद तेज है; केवल 22 घंटे में एक लोकोमोटिव को तैयार किया जा रहा है।
4. जलवायु और पर्यटन के लिए बड़ा योगदान
रेलवे को हमेशा पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा-कुशल माना गया है। ये परियोजनाएं देश की जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में अहम भूमिका निभाएंगी।
टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा:
- अजंता और एलोरा की गुफाएं (UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स)।
- खजुराहो मंदिर।
- देवगिरी और असीरगढ़ किले।
- क्योटी और पुरवा झरने जैसे प्राकृतिक स्थल।
- शिर्डी और चित्रकूट के धार्मिक स्थल।
5. आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
₹7,927 करोड़ की लागत से बनने वाली यह परियोजना 4 वर्षों में पूरी होगी और देश के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव लाएगी।
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आर्थिक लाभ:
- उद्योगों को कम लागत पर माल ढुलाई की सुविधा।
- प्रमुख बंदरगाहों (जैसे जवाहरलाल नेहरू पोर्ट और वाधवान पोर्ट) तक आसान कनेक्टिविटी।
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सामाजिक लाभ:
- धार्मिक स्थलों और सांस्कृतिक विरासत तक आसान पहुंच।
- कृषि उत्पादों का तेज और सस्ता परिवहन।
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