हेलो, मैं तिरंगा - आलोक सिंह, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
हेलो, मैं तिरंगा , एक प्रश्न पूछना था ! तुम्हें कौन सा रंग पसंद है ?.........
हेलो, मैं तिरंगा ,
एक प्रश्न पूछना था !
तुम्हें कौन सा रंग पसंद है ?
जी तुम्हें कौन सा रंग पसंद है !
केसरी रंग पसंद,
अच्छा तुम "ह" वाले हो ?
जी, हाँ हम कट्टर "ह" वाले हैं ,
मुझमें रत्ती भर "म" नहीं है ।
और तुम्हें
हाँ, जी, आप से पूछ रहा हूं !
तुम्हें कौन सा रंग पसंद !
जी, आपको हरा!
अच्छा
आप "म" वाले हो !
जी, मुझे कौड़ी भर "ह" से मतलब नहीं है !
मुझे! आप मुझसे ही पूछ रहें हैं अब !
हा हा हा हा ...
अच्छा
मुझे सफ़ेद पसंद है ।
और हम "ह" मतलब तुम ,
और "म" मतलब तुम हां जी तुम ,
मतलब हम"हम" वाले हैं ।
जो नीला चक्र लिए, निरंतर चल रहा है ।
और आप दोनों को साथ लिए बढ़ रहा है ।
लेकिन यह विकास की रफ़्तार, बहुत धीमी है !
अपनेपन की चादर बहुत झीनी है ।
काश! तुम दोनों भी मुझसे जुड़ पाते ,
काश! तुम दोनों मुझसे मिल पाते ।
काश!
मुश्किल सा होता ढूंढना,
कहाँ से कौन सा रंग शुरू , कौन सा रंग ख़त्म,
वैसे ही जैसे इंद्रधनुष में ,
एक रंग खत्म होते होते ,
दूसरे रंग में बदल जाता है ।
या यूँ कहें, दूसरे रंग में मिल जाता है ।
काश! तुम अपने अपने रंग का कपड़ा लिए,
दिल की धड़कनों की सिलाई से सिल पाते ।
काश! तुम भी इस हवा संग फहर पाते ।
काश! तुम जुड़े रह पाते, अहिंसा के डंडे से,
काश ! तुम सभी मेरे संग तिरंगा हो पाते !
फिर देखते रफ़्तार,
जब एक कदम तुम्हारा होता ,
और एक कदम तुम्हारा ।
देखते जब दिल की धड़कन में ,
"लव" वाली धुन तुम्हारी होती ,
और "डव" वाली तुम्हारी ।
तो शायद!
हमको विश्व गुरू बनने की,
कोशिश न करनी पड़ती ।
हम स्वतः ही विश्वगुरु हो जाते!
तो शायद !
हम विकासशील देश न होकर,
विकसित देश हो जाते !
तो चलो फिर से,
एक नई कोशिश का आगाज़ किया जाए ।
तो चलो,
इन तीन अलग अलग रंगों की पट्टियों को,
तिंरगा कर दिया जाए ।
इन तीन अलग अलग रंगों की पट्टियों को,
तिंरगा कर दिया जाए ।
जय हिंद, जय भारत
आलोक सिंह,
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
What's Your Reaction?