हजारीबाग में मिला 'जासूस गिद्ध', सच्चाई जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे
हजारीबाग के कोनार डैम में मिला ट्रैकर लगा गिद्ध चर्चा का विषय बन गया है। क्या यह जासूसी के लिए था या शोध का हिस्सा?
झारखंड के हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ में कोनार डैम के पास एक गिद्ध पाया गया, जिसके शरीर पर एक ट्रैकर डिवाइस लगा हुआ था। जैसे ही यह खबर फैली, पूरे इलाके में खलबली मच गई। लोग इस गिद्ध को 'जासूस गिद्ध' कहने लगे, क्योंकि इसके साथ जुड़ा डिवाइस बांग्लादेश निर्मित था। पर क्या सच में यह गिद्ध जासूसी के लिए इस्तेमाल हो रहा था? आइए जानते हैं सच्चाई।
शोध का हिस्सा है यह ट्रैकर डिवाइस
जब पक्षी विशेषज्ञ मुरारी सिंह से इस रहस्यमय गिद्ध के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने पूरी घटना की सच्चाई बताई। मुरारी सिंह ने बताया कि यह ट्रैकर डिवाइस किसी जासूसी के लिए नहीं, बल्कि वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए लगाया गया है। यह डिवाइस बांग्लादेश के खुलना क्षेत्र में रॉयल सोसाइटी फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ बर्ड (आरएसबीपी) द्वारा लगाया गया था। भारत में बीएनएस (बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी) इस प्रोजेक्ट में सहयोग कर रही है।
क्यों लगाया गया गिद्ध पर ट्रैकर?
इस ट्रैकर का उद्देश्य गिद्धों की प्रवासी आदतों का अध्ययन करना है। वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि गिद्ध भोजन की तलाश में कितनी दूर तक जाते हैं और उनके प्रवास के स्थान कौन से होते हैं। यह गिद्ध बांग्लादेश से खड़कपुर और धनबाद होते हुए हजारीबाग पहुंचा है, जो एक महत्वपूर्ण अनुसंधान का हिस्सा है।
अफवाहों से बचें: जासूसी नहीं, बल्कि शोध का हिस्सा
इस घटना के बाद कई लोगों ने इसे जासूसी से जोड़ा, लेकिन विशेषज्ञ मुरारी सिंह ने साफ किया कि ऐसा कुछ नहीं है। उन्होंने बताया कि यह ट्रैकर सैटेलाइट से जुड़ा रहता है और इसका उद्देश्य सिर्फ गिद्ध की गतिविधियों पर नज़र रखना है, न कि जासूसी करना।
गिद्ध के पैर में दिखी खास पहचान
गिद्ध के पैर में लगे रिंग पर ढाका लिखा हुआ है और कुछ नंबर अंकित हैं। यह नंबर और स्थान उस इलाके का संकेत हैं, जहां यह गिद्ध ट्रैक किया जा रहा था। इस तरह के ट्रैकर डिवाइस दुनिया भर में पक्षियों की प्रवासी आदतों और संरक्षण की दृष्टि से लगाए जाते हैं।
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