ग़ज़ल - 15 - रियाज खान गौहर, भिलाई

आज उन्से मेरा राब्ता हो गया  था जो दुश्मन अचानक मेरा हो गया .....

Aug 27, 2024 - 11:00
Aug 27, 2024 - 10:53
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ग़ज़ल - 15 - रियाज खान गौहर, भिलाई
ग़ज़ल - 15- रियाज खान गौहर, भिलाई

गजल 

आज उन्से मेरा राब्ता हो गया 
था जो दुश्मन अचानक मेरा हो गया 

जर जमीं का जिसे भी नशा हो गया 
खून से भी वो अपने जुदा हो गया 

हो मुखालिफ जमाना मुझे गम नहीं 
दुख तो ये है के तू भी खफा हो गया 

आज फैशन का है बोलबाला यहां 
सादगी गर्क बेड़ा तिरा हो गया 

मैं वफादार हूं आज भी दोस्तों 
यार मेरा मगर बेवफा हो गया 

मैं दुआ दे रहा हूं उसे आज तक 
एक मुद्दत हुई वो जुदा हो गया 

कल यही जान था रूह था आपकी 
आज गौहर अचानक बुरा हो गया 

गजलकार 
रियाज खान गौहर भिलाई

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।