फूल और कांटे - योगेश रामदुलार शाहू जी, महाराष्ट्र
फूल और कांटे - योगेश रामदुलार शाहू जी, महाराष्ट्र , phool or kante
फूल और कांटे
फूलों के बदन तुम भी लहूलुहान देखिए
बिकते है जहां कांटे वो दुकान देखिए
दिखता नहीं है फूल और कांटों सा कहीं प्यार
लड़ते है भाई भाई हर मकान देखिए
पर काट के उड़ने की आजादी मिली है
अपने ही घर में कैद हिंदुस्तान देखिए
फाको से गुजारा भला कब तलक होगा
बेचते है यहां बेटियां इंसान देखिए
क्यों रह नही सकते है फूल और काटो की तरह
खुदा का ये हमसे इम्तेहान देखिए
कचरे की टोकरी में मिल जायेगा कहीं
" योगेश" की ग़ज़ल सा ये हिंदुस्तान देखिए
योगेश रामदुलार शाहू जी
गद्दी गोदाम नागपुर
महाराष्ट्र
What's Your Reaction?