Gandhi Ghat Cleanup: अखिल भारतीय पूर्व सैनिकों ने चलाया सफाई अभियान, मूर्तियों के विसर्जन से की शुरुआत

अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद और अभ्युदय संस्थान ने गांधी घाट पर सफाई अभियान चलाया, मूर्ति विसर्जन से बचने और प्रदूषण रोकने की अपील की। जानिए इस प्रेरक अभियान की पूरी कहानी।

Nov 17, 2024 - 13:40
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Gandhi Ghat Cleanup: अखिल भारतीय पूर्व सैनिकों ने चलाया सफाई अभियान, मूर्तियों के विसर्जन से की शुरुआत
Gandhi Ghat Cleanup: अखिल भारतीय पूर्व सैनिकों ने चलाया सफाई अभियान, मूर्तियों के विसर्जन से की शुरुआत

17 नवम्बर, 2024: गांधी घाट पर अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद और अभ्युदय संस्थान के नेतृत्व में एक विशेष सफाई अभियान का आयोजन किया गया। छठ महापर्व के समापन के बाद घाट पर फैली गंदगी को साफ करने और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से यह अभियान चलाया गया।

सफाई अभियान की शुरुआत

रविवार की सुबह, पूर्व सैनिकों और अभ्युदय संस्थान के सदस्यों ने गांधी घाट पर एकत्र होकर सफाई की जिम्मेदारी संभाली। सबसे पहले, विसर्जित मूर्तियों को हटाने का कार्य किया गया। मूर्तियों पर लगे गहने और प्लास्टिक सामग्री को अलग कर तालाब में प्रवाहित किया गया, ताकि पानी को दूषित होने से बचाया जा सके।

अभियान के दौरान घाट पर मोमबत्तियों, दीपों और पूजन सामग्रियों की सफाई की गई। इस पहल ने घाट को न केवल स्वच्छ बनाया, बल्कि प्रदूषण रोकने की दिशा में भी बड़ा संदेश दिया।

संस्थान का उद्देश्य और संदेश

अभियान के आयोजकों ने नॉन-बायोडिग्रेडेबल वस्तुओं के विसर्जन पर चिंता जताई। उन्होंने सरकार से अपील की कि तालाब और नदियों में प्रदूषण रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं।
अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के सदस्य सत्येंद्र कुमार सिंह ने कहा, "यह अभियान न केवल स्वच्छता के लिए था, बल्कि समाज को यह संदेश देने का प्रयास भी था कि हर नागरिक को पर्यावरण संरक्षण में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।"

पूर्व सैनिकों की प्रेरणादायक भागीदारी

अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के सदस्य निखिल कुमार सिन्हा, आशीष झा, वरुण कुमार, प्रवीण कुमार पांडे, मनोज कुमार सिंह, और छोटू वीरू ने इस अभियान में बढ़-चढ़कर भाग लिया। इन पूर्व सैनिकों ने यह साबित किया कि रिटायरमेंट के बाद भी वे समाज और देश की सेवा में पूरी तरह से सक्रिय हैं।

महापर्व और प्रदूषण की समस्या

छठ महापर्व बिहार और उत्तर भारत का प्रमुख त्योहार है, जिसमें गंगा, तालाब और अन्य जलाशयों में श्रद्धालु सूर्य को अर्घ्य देते हैं। हालांकि, इस पर्व के समापन के बाद घाटों पर भारी मात्रा में गंदगी और कचरा जमा हो जाता है। मूर्तियों और प्लास्टिक की सामग्री के विसर्जन से जल प्रदूषण की समस्या और बढ़ जाती है।
इस सफाई अभियान ने इस गंभीर मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए समाधान के लिए एक मजबूत संदेश दिया।

इतिहास और प्रेरणा

भारत में सफाई अभियानों का इतिहास महात्मा गांधी से जुड़ा है। गांधीजी ने हमेशा स्वच्छता और पर्यावरण की रक्षा पर जोर दिया। उनके विचारों से प्रेरित होकर, अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद और अभ्युदय संस्थान ने इस अभियान को गांधी घाट पर आयोजित किया।

जनता और सरकार से अपील

संस्थान ने जनता और सरकार से यह अपील की कि मूर्तियों और पूजा सामग्री को विसर्जित करने की परंपरा को ध्यान में रखते हुए ऐसी सामग्रियों का उपयोग किया जाए जो पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाए। सरकार को भी इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि जल प्रदूषण पर रोक लगाई जा सके।

आने वाले अभियानों की योजना

अभियान के आयोजकों ने यह भी कहा कि आने वाले समय में वे अन्य घाटों और जलाशयों पर भी सफाई अभियान चलाने की योजना बना रहे हैं। उनकी कोशिश है कि स्वच्छता को समाज का अहम हिस्सा बनाया जाए और लोग इसे अपनी जिम्मेदारी समझें।

गांधी घाट का यह सफाई अभियान न केवल स्वच्छता का प्रतीक है, बल्कि यह समाज को एकजुट करने और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का भी एक सफल प्रयास है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।