Jamshedpur Temple : 5000 दीयों की जगमगाहट से सजा श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर: सरयू राय की पहल ने किया देव दीपावली का अलौकिक आयोजन

जमशेदपुर में सरयू राय की अनोखी पहल पर श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर में 5000 दीयों से मनाई गई देव दीपावली। जानें कैसे यह ऐतिहासिक आयोजन बना श्रद्धा और भव्यता का प्रतीक।"

Nov 15, 2024 - 22:56
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Jamshedpur Temple : 5000 दीयों की जगमगाहट से सजा श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर: सरयू राय की पहल ने किया देव दीपावली का अलौकिक आयोजन
Jamshedpur Temple : 5000 दीयों की जगमगाहट से सजा श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर: सरयू राय की पहल ने किया देव दीपावली का अलौकिक आयोजन

5000 दीयों से सजी देव दीपावली: श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर का अलौकिक दृश्य

जमशेदपुर, 15 नवंबर: जमशेदपुर के श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर, केबुल टाउन में शुक्रवार की रात 5000 से अधिक दीयों की जगमगाहट ने देव दीपावली को भव्यता के शिखर पर पहुंचा दिया। एनडीए प्रत्याशी और जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक श्री सरयू राय की पहल पर इस ऐतिहासिक आयोजन ने न केवल धार्मिक आस्था को प्रकट किया, बल्कि इसे शहरवासियों के लिए एक यादगार पल बना दिया।

दीयों की आभा में डूबा मंदिर परिसर:
मंदिर का हर कोना दीयों की रोशनी से जगमग कर रहा था। श्री हरि, मां लक्ष्मी, श्री गणेश, मां काली और भगवान शंकर के विग्रहों के चारों ओर सजे दीयों ने पूरे माहौल को अलौकिक बना दिया। मंदिर के सामने का बड़ा मैदान भी दीयों से सजा था। चारदीवारी पर जलते दीपकों की श्रृंखला इस अद्वितीय आयोजन को और भी भव्य बना रही थी।

देव दीपावली: पौराणिक महत्व का पर्व

श्री सरयू राय ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनाने का धार्मिक और पौराणिक महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं और देवताओं के आनंद के प्रतीक के रूप में दीप जलाए जाते हैं।

धार्मिक परंपरा और भक्ति का संगम:
श्री राय ने बताया, "भगवान श्री हरि और मां लक्ष्मी के प्रति श्रद्धा अर्पित करते हुए, हमने यह आयोजन किया है। दीयों की रोशनी न केवल हमारे श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे जीवन में प्रकाश और समृद्धि लाने का भी प्रतीक है।"

सरयू राय की पहल: आस्था और समर्पण का प्रतीक

यह दूसरा साल है जब श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर में देव दीपावली इतनी भव्यता से मनाई गई। श्री राय की पहल ने इसे केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बना दिया।

मंदिर परिसर में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। हर उम्र के लोग, खासकर युवा, दीयों को सजाने और प्रज्वलित करने में शामिल हुए। यह आयोजन एक उदाहरण है कि कैसे धार्मिक परंपराएं समाज को जोड़ती हैं और उन्हें एक उद्देश्य के तहत एकत्र करती हैं।

अद्वितीय दृश्य: रोशनी में डूबी आस्था

5000 दीयों से सजे इस आयोजन ने न केवल मंदिर परिसर को जगमग कर दिया, बल्कि उपस्थित लोगों के दिलों में भी एक अद्वितीय छाप छोड़ी। मां काली की प्रतिमा के पास सजे दीयों की रोशनी ने प्रतिमा को और अधिक प्रभावशाली बना दिया।

मंदिर की चहारदीवारी से लेकर मैदान तक हर जगह जलते दीपकों की कतारें, रोशनी और भक्ति का एक अविस्मरणीय दृश्य प्रस्तुत कर रही थीं। श्रद्धालुओं ने इसे अपनी जिंदगी का एक यादगार पल बताया।

समृद्धि और खुशहाली की प्रार्थना

श्री सरयू राय ने सभी श्रद्धालुओं के साथ मिलकर भगवान श्री हरि और मां लक्ष्मी से समृद्धि और खुशहाली की प्रार्थना की। उन्होंने कहा, "यह आयोजन न केवल हमारे धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि समाज को एकजुट करने और हमारी परंपराओं को जीवंत रखने का माध्यम भी है।"

देव दीपावली: आस्था और भव्यता का प्रतीक

यह आयोजन एक बार फिर साबित करता है कि हमारी परंपराएं और धार्मिक उत्सव न केवल आस्था को मजबूत करते हैं, बल्कि समाज में एकता और सौहार्द भी लाते हैं। श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर में मनाई गई यह देव दीपावली इस बात का जीवंत उदाहरण है।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।