ठंड में गरीबों को मिला सिर्फ कंबल, जर्जर रैन बसेरों पर विधायक की चिंता या ?

विधायक पूर्णिमा साहू ने ठंड में गरीबों को कंबल बांटकर रैन बसेरों की हालत पर चिंता जताई। जानें, क्या यह समस्याओं का हल है या ?

Jan 3, 2025 - 22:45
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ठंड में गरीबों को मिला सिर्फ कंबल, जर्जर रैन बसेरों पर विधायक की चिंता या ?

जमशेदपुर। सर्दी की रातें और बेसहारा लोगों की बेबसी... ऐसा ही एक नजारा दिखा जमशेदपुर के रैन बसेरों में, जहां विधायक पूर्णिमा साहू ने कंबल बांटते हुए गरीबों की मदद का बीड़ा उठाया। लेकिन सवाल ये है कि क्या कंबल भर से उनकी समस्याएं हल हो जाएंगी?

"रैन बसेरे या जर्जर खंडहर?"

बर्मामाइंस, बारीडीह, छायानगर, किशोरी नगर और मानगो बस स्टैंड के रैन बसेरों का दौरा करने के बाद विधायक साहू ने उन हालातों का खुलासा किया, जो प्रशासनिक लापरवाही की पोल खोलते हैं।

  • किशोरी नगर रैन बसेरा: यहां का शौचालय सड़क पर बहता पानी और जर्जर इमारतों के हालात लोगों की जान को खतरे में डाल रहे हैं।
  • बुनियादी सुविधाओं की कमी: सफाई नहीं, पानी की आपूर्ति ठप, बिजली गायब, और सुरक्षा तो जैसे किसी को याद ही नहीं।

"कंबल बांटकर समस्या हल या सवाल खड़ा?"

पूर्णिमा साहू ने प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की और रैन बसेरों की हालत सुधारने के लिए सुझाव दिए।

  1. नियमित जल आपूर्ति और स्वच्छता व्यवस्था।
  2. जर्जर भवनों की मरम्मत या पुनर्निर्माण।
  3. शौचालयों की मरम्मत और सफाई।
  4. सुरक्षा के लिए चौकीदार और प्रकाश की व्यवस्था।

लेकिन सवाल ये है कि क्या ये सुझाव केवल कागज पर ही रहेंगे? या प्रशासन इन्हें अमल में लाएगा?

"गरीबों का सहारा या पब्लिसिटी स्टंट?"

सर्दी में कंबल बांटना तो सराहनीय है, लेकिन क्या इससे उन लोगों की समस्याएं खत्म हो जाएंगी, जो रोजाना गंदगी, असुरक्षित इमारतों और प्रशासनिक अनदेखी का सामना कर रहे हैं? कंबल देकर फोटो खिंचवाने से ज्यादा जरूरी है कि विधायक और प्रशासन इन रैन बसेरों की असली समस्याओं को हल करें।

"क्या प्रशासन सुनेगा?"

विधायक ने जिला उपायुक्त को पत्र लिखकर समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल करने की मांग की है। लेकिन जब तक प्रशासन हरकत में आएगा, तब तक न जाने कितनी और सर्द रातें गरीबों को असहनीय ठंड में बितानी पड़ेंगी।

"संदेश क्या है?"

जर्जर रैन बसेरे न केवल गरीबों के लिए असुरक्षित हैं, बल्कि ये प्रशासन की कार्यक्षमता पर भी सवाल उठाते हैं। कंबल बांटने से समस्या की गंभीरता कम नहीं होती। जरूरत है ठोस कदम उठाने की।

कंबल बांटना एक अच्छा कदम है, लेकिन क्या इससे रैन बसेरों की दुर्दशा सुधरेगी? गरीबों को वास्तविक मदद तभी मिलेगी, जब प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाए और रैन बसेरों की स्थिति में सुधार करे। विधायक साहू की पहल सराहनीय है, लेकिन अब देखने वाली बात होगी कि ये केवल एक राजनीतिक बयान बनकर रह जाती है या इससे वाकई कोई बदलाव आता है।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।