Jhansi Tragedy: अस्पताल आग में 10 नवजातों की मौत, 37 बचाए गए
झांसी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु वार्ड में आग लगने से 10 नवजातों की मौत, 16 झुलसे। जानिए सीएम योगी का निर्देश और घटना से जुड़ी हर जानकारी।
झांसी। उत्तर प्रदेश के झांसी में शुक्रवार रात रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु वार्ड में अचानक आग लगने से बड़ा हादसा हो गया। इस दर्दनाक घटना में 10 नवजातों की जान चली गई, जबकि 16 से अधिक बच्चे झुलस गए। घटना के समय वार्ड में 49 नवजात भर्ती थे।
कैसे हुआ हादसा?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। हालांकि, अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है। हादसे के बाद अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई। प्रशासन ने तुरंत हरकत में आते हुए 37 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया।
सीएम योगी का कड़ा रुख
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर गहरा दुख जताते हुए इसे गंभीरता से लिया है। उन्होंने इस मामले की जांच के लिए तीन स्तरीय कमेटी गठित की है। साथ ही कमिश्नर, डीआईजी और स्थानीय पुलिस को निर्देश दिया है कि 12 घंटे के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपें। मजिस्ट्रेट इंक्वायरी भी शुरू कर दी गई है।
सीएम योगी ने पोस्ट किया, "यह घटना बेहद दुखद है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। बच्चों के इलाज में कोई कमी नहीं होने दी जाएगी।"
डिप्टी सीएम का बयान
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने तुरंत मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया। उन्होंने कहा, "जो भी इस घटना के लिए जिम्मेदार होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। झुलसे हुए बच्चों को वर्ल्ड क्लास मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।"
झांसी के अस्पतालों की सुरक्षा सवालों के घेरे में
इस हादसे ने झांसी और आसपास के अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। क्या यह हादसा अस्पताल की लापरवाही का नतीजा है? क्या आग बुझाने के पर्याप्त इंतजाम थे? यह पहली बार नहीं है जब किसी सरकारी अस्पताल में ऐसी घटना हुई है।
अस्पतालों में आग की घटनाएं: एक नजर
भारत में अस्पतालों में आग की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। 2021 में महाराष्ट्र के एक अस्पताल में आग लगने से 11 नवजातों की मौत हुई थी। इसी तरह दिल्ली और गुजरात में भी ऐसी घटनाएं सामने आई थीं। सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा मानकों की कमी और लापरवाही इन घटनाओं का मुख्य कारण मानी जाती है।
सरकार की प्राथमिकता: बच्चों का इलाज और जांच
सरकार ने झुलसे हुए बच्चों को बेहतर इलाज देने का आश्वासन दिया है। स्वास्थ्य विभाग ने विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम गठित की है, जो बच्चों का इलाज करेगी। इसके अलावा, घटना की जांच में तेजी लाने के लिए कई विभागों को शामिल किया गया है।
क्या हो सकते हैं समाधान?
अस्पतालों में आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए फायर सेफ्टी सिस्टम को मजबूत करना जरूरी है। हर अस्पताल में नियमित फायर ड्रिल, प्रशिक्षित स्टाफ और इमरजेंसी प्लान होना चाहिए। इसके अलावा, सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा उपायों की नियमित जांच होनी चाहिए।
झांसी की इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है। 10 मासूमों की मौत से जुड़ी यह त्रासदी न केवल प्रशासन बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी है। जांच के नतीजों का इंतजार है, लेकिन सवाल यह है कि कब तक मासूम जानें ऐसी घटनाओं की भेंट चढ़ती रहेंगी।
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