Delhi Seminar : जीवन एक संघर्ष विषय पर कुशलता पूर्वक और उत्कृष्ट विचारों से संपन्न हुआ काव्य कार्यक्रम
दिल्ली में समाज सेवा पर आधारित अंतरराष्ट्रीय काव्य गोष्ठी का आयोजन, जहां प्रख्यात साहित्यकारों ने सेवा की परिभाषा और इसके महत्व पर अपने विचार साझा किए। जानिए इस खास कार्यक्रम की पूरी जानकारी।
नई दिल्ली, 22 दिसंबर 2024: अंतरराष्ट्रीय मानवीय मूल्यों की माला मंच भारत ने रविवार, 22 दिसंबर को एक प्रेरणादायक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का विषय "जीवन एक संघर्ष है" था, जिसमें देशभर से आए साहित्यकारों ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम दोपहर 1 बजे से लेकर 3:30 बजे तक चला और इसमें संघर्ष, सफलता, और जीवन के अनुभवों पर आधारित रचनात्मक चर्चा हुई।
कार्यक्रम की मुख्य झलकियां
गोष्ठी की शुरुआत मंच के संस्थापक माला सिंह और संगठन मंत्री महेश प्रसाद शर्मा द्वारा की गई। मुख्य अतिथि डॉ ब्रजेंद्र नारायण द्विवेदी शैलेश और अन्य विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति ने कार्यक्रम को ऊंचाई दी।
मीडिया प्रभारी श्रीमती प्रेरणा बुड़ाकोटी ने बताया कि यह मंच साहित्य, कला और मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।
साहित्यकारों की भागीदारी
कार्यक्रम में प्रमुख साहित्यकारों ने अपने विचार और कविताएं प्रस्तुत कीं। इनमें शामिल थे:
- उर्मिला कुमारी, जिन्होंने संघर्ष को आत्मनिर्भरता का मार्ग बताया।
- डॉ अंबे कुमारी, जिन्होंने कहा कि संघर्ष सफलता की कुंजी है।
- प्रोफेसर डॉ शरद नारायण खरे, जिन्होंने जीवन को संघर्ष का पर्याय बताया।
- मीरा सक्सेना माध्वी ने संघर्ष को कला के रूप में परिभाषित किया।
- डॉ मधुसूदन तिवारी और नाहिदा शाहीन ने संघर्ष को नई दृष्टि से प्रस्तुत किया।
संघर्ष का महत्व: विचार और कविता के माध्यम से
सभी साहित्यकारों ने अपने विचार और कविताओं के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि जीवन में संघर्ष का महत्व क्या है।
- संघर्ष हर प्राणी का साथी है, चाहे वह इंसान हो या प्रकृति का कोई अन्य हिस्सा।
- सफलता का कोई भी बड़ा मुकाम बिना संघर्ष के हासिल नहीं होता।
- संघर्ष के अनुभव व्यक्ति को मजबूत बनाते हैं और जीवन की गहराई को समझने का मौका देते हैं।
डॉ शशिकला अवस्थी ने अपनी कविता में कहा:
"संघर्ष में छिपा है जीवन का सार,
जो हिम्मत रखे वही बने सितार।"
संघर्ष की परिभाषा: नई दृष्टि
साहित्यकारों ने इस बात पर जोर दिया कि संघर्ष केवल बाहरी परिस्थितियों से नहीं, बल्कि भीतर के डर, असुरक्षा और असफलताओं से भी होता है।
- डॉ देवी दीन अविनाशी ने कहा, "संघर्ष का सामना करना हमें मानसिक रूप से मजबूत बनाता है।"
- प्रियंका भूतड़ा प्रिया ने अपने विचार रखते हुए कहा, "संघर्ष का मतलब हारना नहीं, बल्कि अपने लक्ष्य के लिए लड़ते रहना है।"
कार्यक्रम का निष्कर्ष
गोष्ठी का समापन इस संदेश के साथ हुआ कि संघर्ष केवल जीवन का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह जीवन की धड़कन है। कार्यक्रम ने उपस्थित सभी साहित्यकारों और दर्शकों को संघर्ष के सकारात्मक पहलुओं को समझने और अपनाने की प्रेरणा दी।
संघर्ष का सार:
जीवन की राह में आने वाले हर संघर्ष को एक नए अवसर के रूप में देखना चाहिए। यह न केवल हमें सिखाता है, बल्कि हमें मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बनाता है।
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