चंपई सोरेन का बेटा चुनावी मैदान में! झारखंड विधानसभा चुनाव में 'विरासत की सियासत' का दबदबा
झारखंड विधानसभा चुनाव में चंपई सोरेन समेत कई नेताओं ने अपने बेटों और बेटियों को मैदान में उतारने की तैयारी कर ली है। 'विरासत की सियासत' जोर पकड़ रही है।
रांची, 17 अक्टूबर: झारखंड विधानसभा चुनाव का बिगुल बजते ही सभी राजनीतिक दल मैदान में उतरने की तैयारी में जुट गए हैं। इस बार की चुनावी रेस में 'विरासत की सियासत' का खेल खुलकर सामने आ रहा है। झारखंड के कई दिग्गज नेता अपने बेटों, बेटियों और पत्नियों को चुनाव में उतारने की योजना बना रहे हैं।
भाजपा और झामुमो जैसी प्रमुख पार्टियों में टिकट पाने के लिए लॉबिंग शुरू हो गई है। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को घाटशिला सीट से भाजपा द्वारा चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी हो रही है। कोल्हान प्रमंडल में चंपई सोरेन का काफी प्रभाव माना जाता है, जिससे बाबूलाल की उम्मीदवारी को मजबूत समर्थन मिल रहा है।
सीता सोरेन और जयश्री की उम्मीदवारी पर विचार
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की पूर्व विधायक सीता सोरेन अब भाजपा में शामिल हो चुकी हैं और अपनी बेटी जयश्री सोरेन को जामा सीट से टिकट दिलाने की कोशिश कर रही हैं। इस सीट पर भाजपा के लिए मुश्किल यह है कि पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे सुरेश मुर्मू भी टिकट की दौड़ में हैं, जिससे पार्टी को फैसला लेने में दिक्कत हो रही है।
रामेश्वर उरांव और कांग्रेस की सियासी चुनौतियां
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मंत्री रामेश्वर उरांव की उम्र 77 वर्ष हो चुकी है, और इसलिए उनका टिकट कटने की संभावना है। ऐसे में वे अपने बेटे रोहित उरांव को लोहरदगा से चुनावी मैदान में उतारने की कोशिश कर रहे हैं। इसी सीट पर कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत भी अपने बेटे अभिनव भगत को टिकट दिलाने की कोशिश में लगे हुए हैं। अभिनव यूथ कांग्रेस में सक्रिय हैं और टिकट के लिए बायोडाटा भी जमा कर चुके हैं।
धनबाद में ढुल्लू महतो की परिवारिक सियासत
धनबाद जिले के बाघमारा सीट से भाजपा विधायक रहे ढुल्लू महतो, जो अब सांसद हैं, अपनी खाली हुई सीट पर अपनी पत्नी सावित्री देवी या पुत्र प्रशांत कुमार को टिकट दिलाने की योजना बना रहे हैं। वहीं, सिंदरी सीट के भाजपा विधायक इंद्रजीत महतो गंभीर बीमारी के चलते अस्पताल में हैं, और उनकी पत्नी तारा देवी इस सीट से दावेदारी कर रही हैं।
कोल्हान और पलामू में भी विरासत की सियासत
कोल्हान प्रमंडल की मनोहरपुर सीट से झामुमो की पूर्व विधायक जोबा मांझी, जो अब सांसद हैं, अपनी सीट अपने बेटे उदय मांझी के लिए छोड़ रही हैं। वहीं, झामुमो नेता स्टीफन मरांडी भी अपनी बेटी उपासना मरांडी को महेशपुर सीट से चुनाव लड़ाने की योजना बना रहे हैं।
पलामू जिले की विश्रामपुर सीट पर भाजपा के पूर्व मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी अपने बेटे ईश्वर सागर चंद्रवंशी को चुनावी मैदान में उतारना चाहते हैं। इसी सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि उनके बेटे अभय दुबे उनका सियासी उत्तराधिकारी होंगे।
हजारीबाग और सिमडेगा में भी विरासत का बोलबाला
हजारीबाग जिले की बरही सीट पर कांग्रेस विधायक उमाशंकर अकेला और उनके बेटे रविशंकर अकेला ने टिकट के लिए दावेदारी पेश की है। इसी जिले की बड़कागांव सीट पर कांग्रेस विधायक योगेंद्र साव और उनकी बेटी अंबा प्रसाद ने भी टिकट की मांग की है।
सिमडेगा सीट पर भाजपा नेता निर्मल बेसरा अपने बेटे श्रद्धानंद बेसरा को फिर से चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी में हैं। पिछले चुनाव में श्रद्धानंद केवल कुछ सौ वोटों से हार गए थे, लेकिन इस बार वे फिर से टिकट के मजबूत दावेदार हैं।
झारखंड विधानसभा चुनाव में 'विरासत की सियासत' का यह दौर जोर पकड़ता जा रहा है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन-कौन से नेता अपने परिवार के सदस्यों को चुनावी मैदान में उतारने में कामयाब होते हैं।
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