Tiger Escape: चाकुलिया में बाघिन का रहस्यमय सफर,जंगल में छुपा खतरा
ओडिशा के सिमलीपाल से भागी तीन वर्षीय आक्रामक बाघिन झारखंड के चाकुलिया वन क्षेत्र में पहुंच गई। जानिए कैसे वन विभाग उसकी तलाश में जुटा है और इस घटना का इतिहास।
9 दिसंबर 2024: झारखंड के चाकुलिया क्षेत्र में जंगलों में तनाव बढ़ गया है। ओडिशा के सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान से भागी एक तीन वर्षीय आक्रामक बाघिन सोमवार सुबह चाकुलिया वन क्षेत्र के राजाबासा जंगल में देखी गई। वन विभाग की टीमें उसकी हर गतिविधि पर नजर रखे हुए हैं। यह बाघिन न केवल वन्यजीव संरक्षण की चुनौतियों को उजागर करती है, बल्कि जंगल के आसपास रहने वाले लोगों के लिए भी खतरा बन चुकी है।
सिमलीपाल से चाकुलिया तक का सफर
बाघिन ने दो दिन पहले ओडिशा के सिमलीपाल जंगल को छोड़कर झारखंड के जंगलों में प्रवेश किया। वन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार सुबह राजाबासा और हाथीभारी जंगलों के बीच उसका लोकेशन ट्रैक किया गया था। हालांकि, शाम 4 बजे के बाद उसका कोई पता नहीं चल पाया। गोदराशोल के साल जंगल के रास्ते पर उसके पंजों के निशान मिलने से यह साफ हो गया कि बाघिन लगातार अपनी लोकेशन बदल रही है।
GPS और सैटेलाइट ट्रैकिंग से भी मदद
बाघिन के गले में GPS लगा हुआ है, जिसके माध्यम से उसकी लोकेशन ट्रैक करने की कोशिश की जा रही है। ओडिशा के सहायक मुख्य वन संरक्षक (ACF) हिमांशु कुमार ने बताया कि सैटेलाइट डेटा का भी उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चाकुलिया वन विभाग के साथ ओडिशा की ट्रैकिंग टीम के 10 सदस्य लगातार क्षेत्र में बाघिन की तलाश कर रहे हैं।
स्थानीय लोगों को सतर्क किया गया
वन विभाग ने स्थानीय लोगों को सतर्क कर दिया है। ग्रामीणों को जंगल में जाने से बचने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत विभाग को देने के निर्देश दिए गए हैं। बाघिन के आक्रामक स्वभाव को देखते हुए क्षेत्र में डर का माहौल बना हुआ है।
इतिहास की एक झलक
सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान अपने बाघों के लिए प्रसिद्ध है। यहां से बाघों का निकलना बेहद असामान्य घटना है। इससे पहले भी जंगल के बाघों के क्षेत्र बदलने के मामले सामने आए हैं, लेकिन GPS और आधुनिक ट्रैकिंग तकनीकों ने इस प्रक्रिया को सरल बना दिया है। यह घटना वन्यजीव संरक्षण की जटिलताओं को दर्शाती है और यह सोचने पर मजबूर करती है कि जंगलों के पास बसे इलाकों में इंसानों और जानवरों के बीच सह-अस्तित्व कैसे संभव है।
क्या होगी आगे की योजना?
ACF हिमांशु कुमार ने बताया कि बाघिन को जल्द से जल्द ट्रैक कर सिमलीपाल जंगल में वापस ले जाने की कोशिशें जारी हैं। वन विभाग की टीम क्षेत्र का गहन निरीक्षण कर रही है और हर संकेत को ध्यान में रख रही है। बाघिन को सुरक्षित पकड़ने और उसके स्वाभाविक आवास में वापस लाने के लिए विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है।
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