Chakulia Threat: चाकुलिया में बाघिन और हाथियों का आतंक, ग्रामीण दहशत में क्यों हैं?
चाकुलिया प्रखंड के गांवों में बाघिन और हाथियों का डर, ग्रामीण परेशान। जानें कैसे वन्यजीवों की गतिविधियां ग्रामीणों के लिए संकट बन गई हैं।
चाकुलिया, झारखंड: चाकुलिया प्रखंड के कालियाम, जमुआ और भातकुंडा पंचायतों के ग्रामीण इन दिनों दोहरी मुसीबत का सामना कर रहे हैं। ओड़िशा से आयी बाघिन के आतंक से पहले ही ग्रामीण सहमे हुए थे, लेकिन अब सुनसुनिया जंगल में आठ जंगली हाथियों का झुंड पहुंचने से उनकी दहशत और बढ़ गई है।
सुबह का खतरा: रेलवे ट्रैक पर हाथियों का झुंड
मंगलवार की सुबह करीब 6:30 बजे सुनसुनिया जंगल के पास रेलवे की थर्ड लाइन, अप लाइन और डाउन लाइन को पार करते हुए हाथियों का झुंड राजाबासा जंगल की ओर बढ़ गया। गेटमैन कौशिक महतो ने इन हाथियों को रेल ट्रैक पार करते देखा और तुरंत सूचना दी।
ग्रामीणों में डर है कि ये हाथी रात के समय जंगल से निकलकर गांवों में घुस सकते हैं और बड़ी तबाही मचा सकते हैं। साथ ही, रेल ट्रैक पर हाथियों की मौजूदगी से दुर्घटना की आशंका बनी हुई है।
हाथियों और बाघों के साथ संघर्ष का इतिहास
झारखंड और ओड़िशा के सीमावर्ती जंगल वन्यजीवों की गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं। चाकुलिया का सुनसुनिया जंगल कोई अपवाद नहीं है। यहां अक्सर हाथी आते हैं और रेलवे ट्रैक पार करते हैं। कई बार ऐसे घटनाओं में ट्रेनों और हाथियों की टक्कर से जान-माल का नुकसान भी हुआ है।
बाघों का आतंक भी नया नहीं है। ओड़िशा से कई बार बाघ झारखंड के जंगलों में घुस आते हैं और गांवों के करीब पहुंचकर दहशत फैलाते हैं। लेकिन यह पहली बार है जब बाघिन और हाथियों का संकट एक साथ ग्रामीणों के लिए सिरदर्द बन गया है।
ग्रामीणों की मुश्किलें क्यों बढ़ रहीं?
- बाघिन का डर:
पिछले नौ दिनों से ओड़िशा से आयी बाघिन ने ग्रामीणों को घर से बाहर निकलने में भी डराना शुरू कर दिया है। - हाथियों का आतंक:
अब आठ हाथियों का झुंड भी जंगल से निकलकर गांवों के पास मंडरा रहा है। - रेलवे ट्रैक का खतरा:
रेल ट्रैक पार करते हुए हाथी ट्रेनों के चपेट में आ सकते हैं, जिससे बड़ी दुर्घटना हो सकती है। - रात का खतरा:
ग्रामीणों को डर है कि रात में हाथी उनके गांवों में प्रवेश कर उनकी फसलों और घरों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
वन्यजीवों की गतिविधियों पर रेलवे का एहतियात
सुनसुनिया जंगल के पास हाथियों के पहुंचने की सूचना पर रेलवे प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई की। ट्रेनों की गति को धीमा कर दिया गया ताकि किसी अप्रिय घटना से बचा जा सके। लेकिन यह समाधान स्थायी नहीं है। ग्रामीणों और वन्यजीवों के बीच संघर्ष को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
वन्यजीवों और मानव के बीच संघर्ष का समाधान
भारत के कई राज्यों में हाथियों और बाघों के कारण ग्रामीणों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। झारखंड और ओड़िशा जैसे राज्यों में यह समस्या ज्यादा गहरी है।
- वन विभाग की जिम्मेदारी:
वन विभाग को तुरंत कदम उठाकर इन हाथियों और बाघिन को जंगलों की गहराई में वापस भेजना चाहिए। - ग्रामीणों के लिए सुरक्षा उपाय:
गांवों के आसपास सुरक्षा दीवारों का निर्माण और वन्यजीवों की गतिविधियों की निगरानी के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग जरूरी है। - रेलवे की भूमिका:
रेलवे को हाथियों के आवागमन वाले इलाकों में अंडरपास बनाने की योजना पर काम करना चाहिए।
ग्रामीणों की दहशत: क्या कहते हैं लोग?
कालियाम पंचायत के एक ग्रामीण ने कहा, "हमने पहले ही बाघिन के डर से जंगल में जाना बंद कर दिया था। अब हाथी हमारे गांव के पास मंडरा रहे हैं। हम दिन-रात डर के साए में जी रहे हैं।"
वहीं, एक अन्य ग्रामीण ने कहा, "अगर रेलवे ट्रैक पार करते समय हाथी किसी ट्रेन की चपेट में आ गए तो बहुत बड़ा हादसा हो सकता है। प्रशासन को जल्द से जल्द कोई उपाय करना चाहिए।"
वन विभाग और प्रशासन की जिम्मेदारी
जंगली जानवरों और इंसानों के बीच संघर्ष बढ़ रहा है। यह केवल चाकुलिया तक सीमित नहीं है। वन विभाग और प्रशासन को इस दिशा में व्यापक योजना बनानी होगी ताकि इंसानों और वन्यजीवों के बीच सामंजस्य बनाया जा सके।
चाकुलिया के ग्रामीण इन दिनों असुरक्षा के माहौल में जी रहे हैं। ओड़िशा से आयी बाघिन और सुनसुनिया जंगल में पहुंचे हाथियों का झुंड उनकी चिंताओं को बढ़ा रहा है। प्रशासन को इन समस्याओं का जल्द समाधान निकालना होगा ताकि ग्रामीणों को सामान्य जीवन जीने का मौका मिल सके।
क्या चाकुलिया के ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान निकलेगा? या वन्यजीवों का यह आतंक यूं ही चलता रहेगा? आपके विचार क्या हैं? नीचे टिप्पणी करें और अपनी राय साझा करें।
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