चाईबासा में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य डॉ. आशा लकड़ा का निरीक्षण दौरा
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य डॉ. आशा लकड़ा ने चाईबासा के विभिन्न छात्रावासों का निरीक्षण किया और छात्रों से संवाद कर आयोग की कार्यप्रणाली की जानकारी दी।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य डॉ. आशा लकड़ा बुधवार को चाईबासा पहुंचीं। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में स्थित अनुसूचित जनजाति आवासीय विद्यालयों और छात्रावासों की स्थिति का जायजा लेना था। अपने निरीक्षण दौरे के दौरान, डॉ. लकड़ा ने अनुसूचित जनजाति आवासीय बालिका उच्च विद्यालय, आदिवासी बालिका छात्रावास महिला कॉलेज और आदिवासी कल्याण बालक छात्रावास टाटा कॉलेज का विस्तृत निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान, डॉ. आशा लकड़ा ने छात्रावास में छात्रों को उपलब्ध कराई जा रही विभिन्न सुविधाओं का अवलोकन किया। उन्होंने विशेष रूप से छात्रावासों में साफ-सफाई की स्थिति, शौचालयों की व्यवस्था और पेयजल की उपलब्धता का गहन निरीक्षण किया। डॉ. लकड़ा ने पाया कि अधिकांश छात्रावासों में साफ-सफाई की स्थिति संतोषजनक है, हालांकि कुछ स्थानों पर सुधार की आवश्यकता है।
डॉ. लकड़ा ने छात्रों से व्यक्तिगत रूप से बातचीत की और उनकी समस्याओं और आवश्यकताओं को सुना। उन्होंने छात्रों को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की कार्यप्रणाली और उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यदि किसी छात्र को किसी प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ता है, तो वे नि:शुल्क न्याय प्राप्त करने के लिए आयोग से संपर्क कर सकते हैं।
डॉ. लकड़ा ने कहा, "राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का उद्देश्य है कि हर छात्र को उचित शिक्षा और सुविधाएं मिलें। हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि छात्रों को किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े।"
निरीक्षण के दौरान, डॉ. लकड़ा ने स्थानीय प्रशासन और शिक्षकों से भी बातचीत की। उन्होंने उनसे अनुरोध किया कि वे छात्रावासों और विद्यालयों की स्थिति में सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाएं। उन्होंने कहा कि छात्रों की सुरक्षा और सुविधा हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
इस दौरे से यह स्पष्ट होता है कि राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग जनजातीय छात्रों की शिक्षा और उनके रहन-सहन की स्थिति को सुधारने के लिए गंभीरता से प्रयासरत है। डॉ. लकड़ा का यह दौरा न केवल छात्रों के लिए प्रेरणादायक था, बल्कि प्रशासन के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश था कि वे छात्रों की समस्याओं को हल करने के लिए तत्पर रहें।
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