Nawada Discovery: भगवान बुद्ध की मूर्ति मिली नींव खुदाई के दौरान, निर्माण स्थल पर मची हलचल
"नवादा के मोसमा गांव में पंचायत सरकार भवन के निर्माण के दौरान भगवान बुद्ध की तीन फीट ऊंची मूर्ति मिली है। यह ऐतिहासिक खोज ने पूरे क्षेत्र को धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बना दिया। जानें मूर्ति के बारे में पूरी जानकारी।"
Nawada Discovery: बिहार के नवादा जिले के वारिसलीगंज प्रखंड स्थित मोसमा गांव में पंचायत सरकार भवन के निर्माण के लिए की जा रही नींव की खुदाई के दौरान एक ऐतिहासिक मूर्ति की खोज ने सबको चौंका दिया। मंगलवार को लगभग तीन फीट ऊंची भगवान बुद्ध की मूर्ति निकली, जिसने न केवल ग्रामीणों को चकित कर दिया, बल्कि पूरे इलाके में हलचल मचा दी है।
खुदाई के दौरान मिली मूर्ति
मोसमा गांव स्थित गढ़पर पंचायत सरकार भवन के निर्माण के लिए चल रही नींव की खुदाई में यह मूर्ति प्राप्त हुई है। 70 वर्षीय विष्णुदेव पासवान, जो क्षेत्र के एक वरिष्ठ निवासी हैं, ने बताया कि गढ़पर पहले साम्बे स्टेट का कचहरी भवन हुआ करता था, जो समय के साथ टीला (मound) की शक्ल में बदल गया।
मूर्तियों के मिलने से यह क्षेत्र और भी ऐतिहासिक महत्व का बन गया है। निर्माण कार्य के दौरान करीब छह फीट की खुदाई के बाद जेसीवी से पत्थर टकराने की संभावना उत्पन्न हुई, जिसके बाद खुदाई को सावधानीपूर्वक आगे बढ़ाया गया। उसी दौरान यह मूर्ति प्राप्त हुई, जिसे देखने के लिए ग्रामीणों का हुजूम उमड़ पड़ा है।
मूर्ति का इतिहास और आकार
यह मूर्ति भूरे रंग के पत्थर से बनी हुई है और लगभग तीन फीट ऊंची है। मूर्ति के ऊपर के भाग में भगवान बुद्ध का सिर और गर्दन का आकार स्पष्ट रूप से उकेरा गया है। मूर्ति के मिलने की खबर फैलते ही ग्रामीणों ने इसे गौतम बुद्ध की प्रतिमा के रूप में पहचान लिया। अब इसे साफ करके पूजा-अर्चना की तैयारी की जा रही है।
ग्रामीण अखिलेश चौधरी, गुड्डू कुमार, नीतीश पासवान और सूरज पासवान जैसे युवा नेता इस मूर्ति की पूजा के लिए विशेष आयोजन की योजना बना रहे हैं। उनका कहना है कि वे बाबा वीर चौहरमल मंदिर के पास एक विशेष बुद्ध मंदिर का निर्माण करेंगे, ताकि यह महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर संरक्षित रहे।
ग्रामीणों का उत्साह और प्रशासन की चुप्पी
मूर्ति की प्राप्ति की खबर मिलते ही स्थानीय लोगों का उत्साह बढ़ गया है। अब गांव में हर कोई इस मूर्ति के दर्शन के लिए पहुंच रहा है, और यह स्थल एक प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में उभरने की ओर अग्रसर है। हालांकि, स्थानीय प्रशासन अभी तक इस घटनाक्रम के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
भूतकाल और ऐतिहासिक महत्त्व
यह क्षेत्र ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि गढ़पर क्षेत्र को पहले साम्बे स्टेट का हिस्सा माना जाता था, और यहाँ के कचहरी भवन का उल्लेख पुराने दस्तावेजों में मिलता है। गढ़पर टीला का इतिहास और यह स्थल अब तक कई पुरानी धरोहरों का गवाह रहा है।
ग्रामीणों का मानना है कि इस मूर्ति की प्राप्ति से न केवल क्षेत्र की धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता बढ़ी है, बल्कि यह भी संकेत है कि यहां अतीत में भगवान बुद्ध के अनुयायी रहे होंगे।
मूर्तियों के खोज के बाद के कदम
मौजूदा स्थिति में, स्थानीय लोग और युवा साथी इस मूर्ति को सुरक्षित रखने के लिए पहल कर रहे हैं। मंदिर निर्माण की योजना के तहत, वे इस मूर्ति को पूजा स्थल में स्थापित करेंगे। इसके साथ ही, यह मूर्ति पूरे इलाके के लिए एक पर्यटन स्थल बन सकती है, जिससे इलाके के विकास की दिशा में एक नया मोड़ आ सकता है।
ग्रामीणों के लिए एक नया अध्याय
यह मूर्ति सिर्फ एक पुरानी धरोहर नहीं, बल्कि इस गांव और इलाके के लिए एक नई पहचान बन सकती है। आने वाले समय में यह स्थल न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होगा, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी यह एक प्रमुख स्थल बन सकता है।
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