Nawada Fraud: फर्जी प्रमाणपत्र पर बहाल चौकीदार की पोल खुली, महिला ने की जांच की मांग
नवादा के वारिसलीगंज थाना में फर्जी प्रमाणपत्र के सहारे काम कर रहे चौकीदार का मामला उजागर। बेबी देवी ने गृह सचिव और जिला प्रशासन से जांच की मांग की।
नवादा जिले के वारिसलीगंज थाना में फर्जी प्रमाणपत्र के सहारे चौकीदार की नौकरी करने का मामला तूल पकड़ रहा है।
- दोसुत गांव की निवासी बेबी देवी ने चौकीदार मनोज पासवान पर फर्जी तरीके से नियुक्ति पाने का आरोप लगाते हुए इसकी जांच की मांग की है।
- यह मामला इतना गंभीर हो गया है कि बेबी देवी लगातार एसपी, डीएम और गृह सचिव के कार्यालयों का चक्कर काट रही हैं।
क्या है पूरा मामला?
बेबी देवी के अनुसार, मनोज पासवान ने अपनी नियुक्ति के लिए फर्जी प्रमाणपत्र, कम उम्र के दस्तावेज और गलत जानकारियां पेश कीं।
- मनोज पासवान वर्तमान में वारिसलीगंज थाना में चौकीदार के पद पर कार्यरत हैं।
- बेबी देवी ने यह मामला गृह सचिव, मगध कमिश्नर और जिला लोक शिकायत कार्यालय तक पहुंचाया है।
फर्जीवाड़े की जांच की मांग
बेबी देवी ने प्रशासन से अपील की है कि:
- मनोज पासवान की नियुक्ति प्रक्रिया की जांच की जाए।
- फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बहाली की पुष्टि होने पर उनके खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की जाए।
- यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो नवादा पुलिस प्रशासन पर भी सवाल उठाए जाएंगे।
इतिहास में फर्जीवाड़ा और पुलिस भर्ती के विवाद
बिहार में पुलिस और प्रशासनिक पदों पर फर्जी प्रमाणपत्र के मामले पहले भी सामने आए हैं:
- 2018: बिहार पुलिस में 50 से अधिक कर्मचारियों की फर्जी डिग्री के आधार पर बहाली हुई थी।
- 2021: पटना में फर्जीवाड़े के जरिए शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों की भर्ती का बड़ा घोटाला सामने आया।
यह ताजा मामला बताता है कि पुलिस भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर अभी भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
प्रशासन का रवैया
इस मामले में अब तक प्रशासन की तरफ से कोई ठोस बयान नहीं आया है।
- स्थानीय पुलिस का कहना है:
- मामले की जांच शुरू कर दी गई है, और जल्द ही सच्चाई सामने लाई जाएगी।
- जिला प्रशासन:
- शिकायत के आधार पर प्रथम दृष्टया जांच रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
फर्जी चौकीदार के आरोप पर क्या बोले ग्रामीण?
दोसुत गांव के ग्रामीण इस मामले में दो भागों में बंटे हुए हैं।
- कुछ ग्रामीणों का कहना है कि:
- "मनोज पासवान ने अपनी नौकरी पाने के लिए गलत दस्तावेज पेश किए हैं।"
- वहीं, कुछ लोग इसे बेबी देवी की व्यक्तिगत दुश्मनी का परिणाम मानते हैं।
फर्जी चौकीदार: एक बड़े घोटाले का हिस्सा?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला पुलिस भर्ती प्रक्रिया में मौजूद खामियों की ओर इशारा करता है।
- यदि जांच में यह आरोप सही साबित होता है, तो यह नवादा पुलिस प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा।
- यह घोटाला सिर्फ एक चौकीदार तक सीमित नहीं हो सकता, बल्कि इसमें सिस्टम की व्यापक विफलता भी उजागर हो सकती है।
बेबी देवी की लड़ाई का क्या होगा परिणाम?
बेबी देवी की शिकायत के बाद यह मामला राज्य स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है।
- प्रशासन पर दबाव है कि वह मामले की निष्पक्ष जांच करे।
- यदि आरोप साबित होते हैं, तो मनोज पासवान की नौकरी तो जाएगी ही, साथ ही भर्ती प्रक्रिया में शामिल अन्य लोगों की भूमिका पर भी सवाल उठेंगे।
नवादा के वारिसलीगंज थाना में फर्जी चौकीदार का यह मामला एक गंभीर मुद्दा है।
क्या प्रशासन इस मामले में बेबी देवी को न्याय दिला पाएगा, या फिर यह मामला भी कागजी कार्रवाई में ही दब जाएगा?
फिलहाल, इस मामले का समाधान भविष्य की भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक उदाहरण बन सकता है।
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