Jharkhand Proud: राष्ट्रपति ने दिव्यांगों के लिए काम करने वाले विनीत सरायवाला को किया सम्मानित
झारखंड के विनीत सरायवाला को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिव्यांगों के सशक्तिकरण के लिए किए गए काम के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। जानिए उनकी प्रेरक कहानी और उनके योगदान की पूरी जानकारी।
झारखंड,3 दिसंबर: समाज में बदलाव लाने वाले लोगों की पहचान उनके किए गए कार्यों से होती है, और जब बात दिव्यांगों के अधिकार और अवसरों की हो, तो विनीत सरायवाला का नाम पहले स्थान पर आता है। 3 दिसंबर को नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें एक विशेष सम्मान से नवाजा। विनीत सरायवाला, जो कि एटिपिकल एडवांटेज के संस्थापक हैं, दिव्यांगों के लिए काम करने वाले देश के सबसे बड़े आजीविका मंच के पीछे की प्रेरक शक्ति हैं।
एटिपिकल एडवांटेज का सफर
एटिपिकल एडवांटेज एक ऐसा मंच है जो दिव्यांग व्यक्तियों को अपनी क्षमताओं को उजागर करने का अवसर प्रदान करता है। यह संगठन दिव्यांगों को विभिन्न कंपनियों और एजेंसियों के साथ जोड़कर उन्हें आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करता है। 2008 में स्थापित यह प्लेटफ़ॉर्म कई लोगों के लिए एक नई शुरुआत साबित हुआ है। विनीत सरायवाला का मानना है कि समाज में हर व्यक्ति की समान भागीदारी होनी चाहिए और उनके प्रयासों से हजारों दिव्यांगों की ज़िंदगी में बदलाव आया है।
राष्ट्रपति द्वारा सम्मान की उपलब्धि
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 3 दिसंबर को नई दिल्ली में आयोजित एक विशेष समारोह में विनीत सरायवाला को राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा। यह पुरस्कार सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा उन्हें उनकी संस्था के द्वारा किए गए उल्लेखनीय कार्यों के लिए दिया गया है। इस पुरस्कार ने न केवल विनीत के प्रयासों की सराहना की, बल्कि उनके नेतृत्व में दिव्यांगों के सशक्तिकरण की दिशा में किए गए कार्यों को भी एक नई पहचान दी।
भगेरिया परिवार की गर्व की कहानी
इस सम्मान से केवल विनीत सरायवाला ही नहीं, बल्कि पूरे भगेरिया परिवार को गर्व हुआ है। विनोद भगेरिया, जो कि शहर के जाने माने समाजसेवी हैं, ने कहा, "हमारा भांजा विनीत को राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किए जाने से पूरा भगेरिया परिवार गर्वित है। उनका यह सम्मान समाज के प्रति उनके समर्पण और उनकी मेहनत का परिणाम है।"
दिव्यांगों के लिए एक नई उम्मीद
विनीत सरायवाला के कार्यों ने यह साबित कर दिया है कि समाज में हर व्यक्ति के लिए एक स्थान है। उनके द्वारा किए गए प्रयासों से दिव्यांग समुदाय के लोगों को सम्मान और अवसर मिलने लगे हैं, जिससे उनकी आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई है। उनका सपना है कि दिव्यांगों के लिए एक ऐसा समाज बने, जहां वे पूरी तरह से स्वतंत्र और आत्मनिर्भर हो सकें।
समाज को एक संदेश
विनीत सरायवाला का यह सम्मान समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि जब समाज के कमजोर वर्गों के लिए काम किया जाता है, तो समाज का पूरा तंत्र मजबूत बनता है। उनके काम ने यह दर्शाया है कि सच्ची समाज सेवा का मतलब सिर्फ मदद करना नहीं, बल्कि लोगों को आत्मनिर्भर बनाना है।
विनीत सरायवाला का यह सम्मान उनके जीवन की उपलब्धि ही नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति की प्रेरणा है जो समाज में बदलाव लाना चाहता है। उनका यह सम्मान उनके सपनों और उनकी मेहनत का गवाह है।
इस महान कार्य को सराहने के लिए इस कहानी को साझा करें और जानिए कैसे आप भी समाज में बदलाव ला सकते हैं
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