दीपावली पर मुरली पारा मेडिकल रिसर्च कॉलेज का अनोखा कदम, छात्रों ने असहाय और मानसिक विकृत लोगों के संग बिताया समय

मुरली पारा मेडिकल रिसर्च कॉलेज के छात्रों ने इस दीपावली पर एक अनोखा कदम उठाते हुए आर. पी. पटेल चेशायर होम के मानसिक रूप से असहाय और परित्यक्त लोगों के संग विशेष समय बिताया। इस कार्यक्रम में छात्रों ने बुजुर्गों के संग गहरे रिश्ते बनाए, अनुभव साझा किए और मिठाई बाँटी। पढ़ें इस प्रेरणादायक यात्रा की कहानी!

Oct 30, 2024 - 08:53
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दीपावली पर मुरली पारा मेडिकल रिसर्च कॉलेज का अनोखा कदम, छात्रों ने असहाय और मानसिक विकृत लोगों के संग बिताया समय
दीपावली पर मुरली पारा मेडिकल रिसर्च कॉलेज का अनोखा कदम, छात्रों ने असहाय और मानसिक विकृत लोगों के संग बिताया समय

दीपावली, जो अमूमन घरों को रोशन करने और खुशियाँ मनाने का पर्व है, इस बार मुरली पारा मेडिकल रिसर्च कॉलेज के छात्रों के लिए बेहद खास और अनोखा रहा। मंगलवार, 29 अक्टूबर 2024 को कॉलेज के छात्रों ने एक ऐसी पहल की, जो उनकी उम्र से परे उनकी संवेदनशीलता और समाज के प्रति उनके गहरे जुड़ाव को दर्शाता है। कॉलेज ने शैक्षिक भ्रमण कार्यक्रम के तहत जमशेदपुर के पटेल बगान स्थित आर. पी. पटेल चेशायर होम का दौरा किया, जो असहाय, मानसिक विकृत और समाज द्वारा परित्यक्त बुजुर्गों का आश्रय स्थल है। इस अनोखे यात्रा में कॉलेज की डायरेक्टर डॉ. नूतन रानी और शिक्षिकाओं के मार्गदर्शन में छात्रों ने वहां के निवासियों से मुलाकात की और उनके साथ उत्साहपूर्ण दीपावली मनाई।

चेशायर होम: एक संक्षिप्त परिचय

आर. पी. पटेल चेशायर होम जमशेदपुर का एक प्रमुख केंद्र है, जहां मानसिक विकलांग और परित्यक्त बुजुर्गों को आश्रय और देखभाल मिलती है। इसका उद्देश्य समाज के इन असहाय वर्गों को एक ऐसा सुरक्षित स्थान प्रदान करना है, जहां वे सम्मानपूर्वक जीवन बिता सकें। यहाँ के निवासियों में कई बुजुर्ग ऐसे भी हैं जिन्हें उनके अपने परिजनों ने छोड़ दिया है। इस विशेष कार्यक्रम का उद्देश्य इन बुजुर्गों की दुनिया में थोड़ी सी खुशियाँ लाना था।

बुजुर्गों से संवाद और उनके अनुभव

डॉ. नूतन रानी के नेतृत्व में पहुंचे छात्रों का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। चेशायर होम की संचालिका सिस्टर इशमिता और सिस्टर रोशिला ने छात्रों को वहाँ मौजूद बुजुर्गों से परिचित कराया। छात्रों ने बुजुर्गों के साथ व्यक्तिगत संवाद स्थापित किया और उनकी जीवन-यात्रा के अनुभवों को समझा। हर बुजुर्ग की आँखों में एक अलग कहानी थी, और छात्रों ने उन्हें पूरी संवेदनशीलता के साथ सुना। बातचीत के दौरान छात्रों ने पाया कि इन बुजुर्गों के जीवन में एकाकीपन के साथ ही जीवन जीने की प्रेरणा भी है।

खुशियों का साझेदार बनना: नृत्य, खेल और उपहार

बातचीत के बाद छात्रों ने बुजुर्गों के साथ नृत्य किया और खेल खेले, जिसमें सभी ने बड़े उत्साह से भाग लिया। यह अनुभव न केवल बुजुर्गों के चेहरे पर मुस्कान लाने में सफल रहा बल्कि छात्रों के जीवन में भी एक अनमोल याद बन गया। इसके बाद छात्रों ने बुजुर्गों के बीच मिठाई और फलों का वितरण किया, जो दीपावली के मौके को और भी खास बना गया।

शिक्षकों और छात्रों की सीख

प्रिसिंपल महोदया ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि इस यात्रा ने जीवन के एक अनदेखे पहलू से रूबरू कराया। शिक्षिका श्रीमती टीना ने भी इस कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यहाँ आकर जीवन के वास्तविक संघर्ष को महसूस किया। इसी तरह शिक्षिका श्रीमती प्रियंका तिवारी ने कहा कि यह भ्रमण जीवन में कभी हार ना मानने की प्रेरणा देता है। सुश्री छवि ने भी भावुक होकर कहा कि यह यात्रा दर्द और मुस्कान का एक मिला-जुला एहसास है।

अगली यात्रा की उम्मीद और आभार

इस अंत में संस्थापक श्रीमती रंजना देवी ने कॉलेज की इस अनोखी पहल के लिए छात्रों और शिक्षकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस अनुभव को साझा करना और अगली बार फिर से आने का वादा करना उनके लिए एक प्रेरणा है।

दीपावली पर बुजुर्गों के जीवन में खुशियाँ बाँटना मुरली पारा मेडिकल रिसर्च कॉलेज के छात्रों का एक छोटा सा प्रयास था, लेकिन इसका असर उनके दिलों में बड़ा था।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।