स्वांसपुर गांव में जमीन फर्जीवाड़ा: पांचवी बार रद्द हुई मापी, पीड़ित परिवार ने लगाए गंभीर आरोप

स्वांसपुर गांव में जमीन फर्जीवाड़ा का मामला: पांचवी बार रद्द हुई मापी की नोटिस, पीड़ित परिवार ने लगाया अंचल कार्यालय पर गंभीर आरोप। पढ़ें पूरी खबर।

Jul 29, 2024 - 21:19
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स्वांसपुर गांव में जमीन फर्जीवाड़ा: पांचवी बार रद्द हुई मापी, पीड़ित परिवार ने लगाए गंभीर आरोप
स्वांसपुर गांव में जमीन फर्जीवाड़ा: पांचवी बार रद्द हुई मापी, पीड़ित परिवार ने लगाए गंभीर आरोप

मुसावनी प्रखंड के जादूगोड़ा स्थित स्वांसपुर गांव में फर्जी तरीके से खरीदी गई जमीन की मापी की नोटिस सोमवार को पांचवी बार भी रद्द हो गई। क्षेत्र के खाता नंबर 40 के फर्जी प्लॉट नंबर 442 पर अंचल कार्यालय ने सोमवार को बंदोबस्ती जमीन का सत्यापन करने को लेकर 12 ग्रामीणों को नोटिस भेजी थी। पीड़ित परिवार के लोग दिनभर जमीन सत्यापन की नोटिस लेकर इंतजार करते रहे, लेकिन मुसाबनी अंचल कार्यालय से कोई अमीन नहीं पहुंचा।

फर्जी प्लॉट नंबर पर मापी की नोटिस

गौर करने वाली बात यह है कि खाता संख्या 40 का प्लॉट नंबर 442 है ही नहीं। पीड़ित परिवार के सदस्य शुभंकर सिंह ने आरोप लगाया कि मुसाबनी अंचल कार्यालय में जमीन फर्जीवाड़ा कर दखल दिलाने का खेल चल रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि स्वांसपुर गांव में खाता नंबर 40 में प्लॉट नंबर 442 है ही नहीं। बार-बार फर्जी प्लॉट नंबर बताकर मापी की नोटिस जारी कर परेशान किया जा रहा है।

वर्ष 1976 से बंदोबस्ती की जमीन पर विवाद

शुभंकर सिंह ने बताया कि वर्ष 1976 में उनके पिता नागेन सिंह भूमिज को सरकार से बंदोबस्ती में जमीन मिली थी। उन्होंने आरोप लगाया कि 1985 में मुसावनी अंचल कार्यालय ने उनके पिता के नाम पर मिली एक एकड़ दो डिसमिल जमीन को स्व. हरेलाल भूमिज महतो के नाम खाता नंबर 40 के प्लॉट नंबर 442 की 70 डिसमिल और प्लॉट नंबर 443 खाता संख्या 40 में 32 डिसमिल जमीन को 2012 में कैसे बेच दी। किसने बेची, इसका आज तक जवाब अंचलाधिकारी के पास नहीं है।

फर्जीवाड़ा की उच्च स्तरीय जांच की मांग

शुभंकर सिंह ने आरोप लगाया कि अंचल कार्यालय में फर्जीवाड़ा कर उनकी बंदोबस्ती जमीन को दूसरे के नाम किया गया है। उन्होंने मांग की कि इस साजिश की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए, ताकि जमीन फर्जीवाड़ा का पूरा खुलासा हो सके।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।