सावन की महिमा - दीप गुप्ता जी,देहरादून
सावन की महिमा - दीप गुप्ता जी,देहरादून
सावन की महिमा
चातुर्मास में सावन पर्व है आता
भोले की भक्ति का खुमार चहुंओर छा जाता
हर कोई भोले की कृपा है पाना चाहता
इसलिए भोले को मनाने में है जुट जाता
देवासुर संग्राम में जब हुआ समुद्र का मंथन
उसमें से निकले तरह-तरह के कीमती चौदह रत्न
उसी में से निकला कालकूट जैसा हलाहल
जिसने देवों और असुरों के बीच पैदा कर दिया कोलाहल
कालकूट विष जब पूरी सृष्टि को लगा निगलने
तब सभी भोले शंकर को आतुर हो कर लगे पुकारने
भोले शंकर ने जब सुनी भक्तों की गुहार
भोले ने कालकूट विष को लिया अपने कंठ में उतार
कालकूट विष ने जब महादेव पर अपना प्रभाव दिखाया
महादेव के शरीर का ताप खूब बढाया
तब इन्द्रदेव ने आकाश से खूब जल बरसाया
जिससे महादेव के शरीर का ताप शान्त हो पाया
तब से भोले का दूसरा नाम नीलकंठ है कहलाया
इसीलिए सावन में भोले का जलाभिषेक किया है जाता
भोले को सावन मास बहुत है भाता
सावन की महिमा को जो कोई है गाता
वो भोले की शरण में है आ जाता।।
स्वरचित मौलिक रचना:
रचनाकार: दीप गुप्ता,देहरादून
उत्तराखण्ड
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