Saraikela Ganga Mela : गंगा मेले का समापन, तड़का दहन और श्रद्धा से गूंज उठा बड़ा कांकड़ा!
बड़ा कांकड़ा में सात दिवसीय गंगा मेला तड़का दहन के साथ हुआ समापन, जानिए इस अद्भुत आयोजन के बारे में और किस प्रकार यह मेला लाखों दर्शकों को आकर्षित करता है।
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सरायकेला के बड़े कांकड़ा गांव में नवयुवक आदिवासी कल्याण समिति द्वारा आयोजित सात दिवसीय गंगा मेले का भव्य समापन हुआ। इस अवसर पर तड़का दहन का आयोजन किया गया, जो पूरे क्षेत्र में एक अलग ही उत्साह और श्रद्धा का माहौल बना गया। आज इस मेले के समापन के साथ ही मूर्ति विसर्जन भी किया जाएगा। इस आयोजन में सरायकेला के जिला परिषद अध्यक्ष सोनाराम बोदरा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे और परंपरागत तरीके से राक्षसी ताड़का की मूर्ति का दहन किया।
क्या है तड़का दहन का महत्व?
तड़का दहन का यह परंपरागत आयोजन न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस मौके पर सोनाराम बोदरा ने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से हमें यह सिखने को मिलता है कि असत्य और असुरी शक्तियों का अंत सच्चाई और धर्म से ही संभव है। यह हमें प्रेरित करता है कि हम हमेशा सत्य के मार्ग पर चलें, क्योंकि असत्य का जीवन अधिक समय तक नहीं चलता है। तड़का दहन का यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक कार्य नहीं, बल्कि समाज में सच्चाई और अच्छाई के प्रति विश्वास का प्रतीक बन चुका है।
गंगा पूजा का ऐतिहासिक संदर्भ
बड़ा कांकड़ा गांव में प्रतिवर्ष गंगा पूजा उत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य वार्षिक कृषि कार्यों में अच्छे मौसम और वर्षा की प्राप्ति है। इस पूजा में गांव के लोग बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ भाग लेते हैं। गंगा पूजा का इतिहास गांव के कृषि कार्यों से जुड़ा हुआ है, और यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। कृषि के महत्व को समझते हुए इस पूजा के माध्यम से अच्छे मौसम और सुखमय जीवन की कामना की जाती है।
मेला की छटा और दर्शकों की भीड़
इस सात दिवसीय मेले में लाखों दर्शक पहुंचे, न केवल आसपास के इलाकों से, बल्कि झारखंड, उड़ीसा, बंगाल और बिहार के दूर-दराज इलाकों से भी लोग तड़का दहन और गंगा पूजा के इस अद्भुत दृश्य को देखने पहुंचे। मेला स्थल पर विविध प्रकार के झूले, दुकानें और बूगी-बूगी डांस का आयोजन भी किया गया, जिससे छोटे-बड़े सभी लोग आनंदित हुए। यह मेला न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी एक बहुत ही आकर्षक आयोजन बन गया था, जिसमें लोग हर पल का आनंद लेते रहे।
समिति की मेहनत और आयोजन का सफल संचालन
इस ऐतिहासिक आयोजन के सफल संचालन के लिए नवयुवक आदिवासी कल्याण समिति के अध्यक्ष श्याम चरण तियु, सचिव विष्णु तियु, जयदेव महतो, कोषाध्यक्ष धनंजय तियु, संयोजक शैलेंद्र महतो, और सक्रिय सदस्य जैसे केदार दास, चित्रसेन महतो, कृष्णा महतो, विश्वजीत तियु, समीर महतो, राजेश महतो, अमित महतो, हराधन महतो, सुकरा मुखी, सुंदर तियु, मनोज महतो, श्याम महतो तथा ग्राम प्रधान एवं ग्रामवासियों का अत्यधिक योगदान रहा। इन सभी के सामूहिक प्रयासों से इस मेले का आयोजन सफल और यादगार बना।
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