Jamshedpur BJP Crisis: सुधांशु ओझा की कार्यशैली से नाराज 200 से ज्यादा कार्यकर्ताओं का इस्तीफा!
भाजपा जिला अध्यक्ष सुधांशु ओझा की कार्यशैली से नाराज 200 कार्यकर्ताओं ने दिया इस्तीफा। जानें क्या था पूरा मामला और क्यों कार्यकर्ता अब भाजपा से नाराज हैं।
जमशेदपुर:भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) में इन दिनों जमशेदपुर में एक बड़ा राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है। भाजपा के जिला अध्यक्ष सुधांशु ओझा के नेतृत्व में कई कार्यकर्ता असंतुष्ट हो गए हैं और अपनी नाराजगी का इज़हार करते हुए संगठन से इस्तीफा देने का फैसला किया है। खासकर, भाजपा के मंडल अध्यक्ष, महामंत्री और प्रभारी सहित लगभग 200 कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा देने की घोषणा की है।
क्या है पूरा विवाद?
भाजपा के नए जिला अध्यक्ष सुधांशु ओझा के नेतृत्व में पार्टी में कई विवादों ने जन्म लिया है। जब से ओझा को जिला अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, उनके फैसलों और कार्यशैली ने पार्टी कार्यकर्ताओं को बुरी तरह प्रभावित किया है। सबसे बड़ा विवाद तब उत्पन्न हुआ, जब उन्होंने अपने चहेते को सदस्यता प्रभारी बना दिया। इसके बाद से पार्टी के कई पुराने और वफादार कार्यकर्ता नाराज हो गए।
मुख्य विवाद: सदस्यता प्रभारी के चुनाव में गड़बड़ी
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के कार्यकर्ता विशेषकर परसुडीह मंडल के कार्यकर्ता इस बात से खफा हैं कि जिला अध्यक्ष ने बिना किसी स्पष्ट कारण के अपने चहेते को प्रभारी बना दिया। परसुडीह मंडल के महामंत्री देवेंद्र कुमार सिंह ने खुद को दरकिनार किए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उनका कहना था, "जब सदस्यता अभियान के दौरान मंडल अध्यक्ष द्वारा दी गई नामों की लिस्ट को पूरी तरह से नकार दिया गया और एक बाहरी सदस्य को प्रभारी बना दिया गया, तो कार्यकर्ताओं में असंतोष फैल गया।"
सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार का आरोप
यह सिर्फ राजनीतिक नियुक्तियों तक ही सीमित नहीं था, बल्कि जिला अध्यक्ष पर सोशल मीडिया के माध्यम से प्रभारी और कार्यकर्ताओं के खिलाफ दुष्प्रचार करने का भी आरोप लगाया गया। आरोप है कि ओझा ने सोशल मीडिया के जरिए पार्टी के भीतर मतभेद और असहमति को बढ़ावा दिया। यही कारण था कि कार्यकर्ता, विशेषकर महिला मोर्चा की मंडल अध्यक्ष सीमा मुंडा, ने भी नाराजगी जताई और कहा कि "जब मंडल अध्यक्ष, महामंत्री और अन्य प्रभारी की बातों को नजरअंदाज किया जाता है, तो ऐसे में पार्टी के भीतर काम करना असंभव हो जाता है।"
इस्तीफे का बड़ा फैसला
इन तमाम घटनाओं और नाराजगी के बाद, भाजपा के 54 बूथों के प्रभारी और कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा देने का निर्णय लिया। पहले चरण में 70 से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने वरीय जिला उपाध्यक्ष संजीव सिंहा को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इन कार्यकर्ताओं का कहना है कि सुधांशु ओझा की कार्यशैली ने पार्टी के भीतर एकता और सामूहिक प्रयास को कमजोर कर दिया है।
क्यों नाराज हैं कार्यकर्ता?
मुख्य रूप से कार्यकर्ता इस बात से नाराज हैं कि सुधांशु ओझा ने पार्टी की स्थिरता और सामूहिक निर्णयों को नजरअंदाज किया। इसके बजाय, उन्होंने अपनी पसंद के कुछ लोगों को पदों पर नियुक्त किया, जिससे बाकी कार्यकर्ताओं को तवज्जो नहीं मिली। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि ओझा ने हमेशा अपनी बातों को पार्टी के लोगों पर थोपने की कोशिश की और जो कार्यकर्ता संगठन के लिए ईमानदारी से काम कर रहे थे, उन्हें नजरअंदाज किया।
संगठन के लिए क्या होगा अगला कदम?
अब सवाल यह उठता है कि भाजपा इस विवाद को कैसे सुलझाएगी। क्या जिला अध्यक्ष सुधांशु ओझा के नेतृत्व में पार्टी की कार्यशैली में बदलाव आएगा या फिर पार्टी में और भी इस्तीफों की झड़ी लगेगी?
क्या कह रहे हैं भाजपा के नेता?
भाजपा के वरीय जिला उपाध्यक्ष संजीव सिंहा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा नहीं दिया है, बल्कि उन्होंने अपनी समस्याओं को उजागर किया है।" उन्होंने कहा कि यह पत्र वरीय अधिकारियों के पास भेज दिया जाएगा और उचित कार्रवाई की जाएगी।
भाजपा में गहरा असंतोष
जमशेदपुर भाजपा में यह विवाद एक गंभीर मोड़ लेता जा रहा है, जिससे संगठन के भीतर असंतोष और मतभेद बढ़ रहे हैं। पार्टी को इस मुद्दे का जल्द समाधान तलाशने की जरूरत है ताकि आगामी चुनावों में पार्टी को कोई और नुकसान न उठाना पड़े।
क्या आपको लगता है कि भाजपा को इस विवाद को सुलझाने के लिए कदम उठाने चाहिए? अपनी राय हमें कमेंट करके बताएं!
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