Sakchi Celebration: बिरसा मुंडा जयंती और झारखंड दिवस पर गूंजा गोंड समाज का गौरव
साकची में अखिल भारतीय गोंड आदिवासी संघ ने बिरसा मुंडा जयंती और झारखंड दिवस का आयोजन किया। समाज के महिला-पुरुषों ने बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनकी विरासत को सम्मानित किया।
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जमशेदपुर,15 नवंबर, 2024: साकची में शुक्रवार को बिरसा मुंडा जयंती और झारखंड दिवस का भव्य आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अगुवाई अखिल भारतीय गोंड आदिवासी संघ के अध्यक्ष दिनेश साह ने की। यह आयोजन साकची स्थित आई हॉस्पिटल के पास शहीद स्मारक पर आयोजित किया गया, जहां बिरसा मुंडा की प्रतिमा के चरणों में माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
बिरसा मुंडा: धरती आबा का संघर्ष
बिरसा मुंडा, जिन्हें धरती आबा के नाम से जाना जाता है, झारखंड के आदिवासी समाज के नायक और स्वतंत्रता संग्राम के वीर योद्धा थे। उन्होंने आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए अंग्रेजी शासन के खिलाफ एक सशक्त आंदोलन छेड़ा। बिरसा मुंडा ने अपने छोटे से जीवनकाल में आदिवासी संस्कृति, परंपरा और अधिकारों को जीवित रखने के लिए संघर्ष किया। उनकी जयंती पर झारखंड दिवस मनाकर समाज उनके बलिदान को याद करता है।
गोंड समाज की भागीदारी
इस कार्यक्रम में गोंड समाज के पुरुषों और महिलाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रमुख समाजसेवी अजित तिरके, जो शहीद स्मारक समिति के संरक्षक हैं, ने गोंड समाज के लोगों से संवाद किया। उन्होंने समाज की एकता और प्रगति पर जोर देते हुए बिरसा मुंडा के आदर्शों पर चलने की प्रेरणा दी।
कार्यक्रम में महिला समिति की ओर से नीतू कुमारी, अंबे ठाकुर, मंजू देवी, चंपा देवी, और अंजु देवी ने सक्रिय भूमिका निभाई। पुरुषों में रामेश्वर प्रसाद, मुन्ना प्रसाद, रामबचन ठाकुर, मनोज प्रसाद, और कामेश्वर प्रसाद जैसे कई प्रमुख व्यक्ति उपस्थित रहे।
झारखंड दिवस का महत्व
झारखंड दिवस, जो झारखंड राज्य के गठन की याद दिलाता है, राज्य की संस्कृति और परंपराओं के सम्मान का प्रतीक है। यह दिन बिरसा मुंडा जैसे वीरों की कुर्बानी को याद करने और झारखंड के समृद्ध इतिहास पर गर्व करने का अवसर प्रदान करता है।
समाज की एकजुटता पर जोर
अजित तिरके ने गोंड समाज के सदस्यों से कहा कि बिरसा मुंडा के संघर्ष और बलिदान से प्रेरणा लेकर समाज को एकजुट होकर आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने गोंड आदिवासी समाज की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और उसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने पर जोर दिया।
आदिवासी संस्कृति का उत्सव
कार्यक्रम में सांस्कृतिक झलकियों और पारंपरिक आदिवासी वेशभूषा में लोगों ने भाग लिया, जिससे झारखंड की अनूठी संस्कृति की झलक देखने को मिली। यह आयोजन न केवल बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि थी, बल्कि गोंड समाज की शक्ति और एकजुटता का प्रतीक भी था।
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