Durg: नकली पनीर की फैक्ट्री का खुलासा, खाने में मिल रही थी खतरनाक मिलावट

दुर्ग जिले में नकली पनीर बनाने वाली फैक्ट्री का खुलासा हुआ है, जहां पॉम ऑयल और दूध पाउडर से पनीर तैयार किया जा रहा था। फैक्ट्री को सील कर दिया गया और पनीर का सैंपल जांच के लिए भेजा गया।

Nov 15, 2024 - 16:45
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Durg: नकली पनीर की फैक्ट्री का खुलासा, खाने में मिल रही थी खतरनाक मिलावट
Durg: नकली पनीर की फैक्ट्री का खुलासा, खाने में मिल रही थी खतरनाक मिलावट

15 नवंबर, 2024: दुर्ग। दुर्ग जिले में नकली पनीर बनाने वाली एक फैक्ट्री का बड़ा खुलासा हुआ है, जो न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक थी बल्कि इस मिलावटी पनीर को प्रदेश के कई शहरों में बड़े पैमाने पर सप्लाई किया जा रहा था। यह खुलासा कुम्हारी अहिवारा मार्ग पर स्थित एक फैक्ट्री में हुआ, जहां पॉम ऑयल, दूध पाउडर और एसेंस का इस्तेमाल करके पनीर बनाया जा रहा था।

फैक्ट्री का गोरखधंधा

यह फैक्ट्री लंबे समय से चल रही थी, लेकिन प्रशासन को इसकी भनक नहीं लगी थी। जब फैक्ट्री का भंडाफोड़ हुआ, तो पाया गया कि यहां असली दूध का कोई नामो-निशान नहीं था, बल्कि दूध पाउडर, तेल और एसेंस से नकली पनीर तैयार किया जा रहा था। इस पनीर को बड़ी मात्रा में रायपुर, दुर्ग और आसपास के शहरों में बेचा जा रहा था।

फैक्ट्री में पनीर बनाने की प्रक्रिया भी बेहद अस्वस्थ और खतरनाक थी। एक बड़े प्लास्टिक ड्रम में मथनी से मिश्रित सामग्री को मथा जा रहा था और फिर उसे बड़े कंटेनरों में रखकर हीट किया जा रहा था। इस पनीर को तैयार करने में स्किम्ड मिल्क पाउडर, पॉम ऑयल और केमिकल्स का इस्तेमाल किया जा रहा था।

प्रशासन ने लिया सख्त एक्शन

जिला प्रशासन को इस मिलावट की सूचना मिलने के बाद, एसडीएम महेश राजपूत अपनी टीम के साथ कुम्हारी थाना स्टाफ के साथ फैक्ट्री का दौरा किया और उसे सील कर दिया। पनीर का सैंपल खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने लेकर जांच के लिए भेज दिया है। इस मामले में अब खाद्य सुरक्षा विभाग भी जांच कर रहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा था।

प्रति दिन 100-150 किलो नकली पनीर बन रहा था

फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों के मुताबिक, यहां हर दिन लगभग 100 से 150 किलो नकली पनीर तैयार किया जाता था। यह पनीर रायपुर, दुर्ग और आसपास के जिलों में सप्लाई किया जाता था। मजदूरों ने बताया कि स्किम्ड मिल्क पाउडर, पॉम ऑयल, और केमिकल मिलाकर पनीर तैयार किया जाता था, जो बिल्कुल असली पनीर जैसा दिखता था लेकिन इसके सेवन से स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता था।

खाद्य सुरक्षा पर बड़ा सवाल

यह घटना खाद्य सुरक्षा और उपभोक्ता अधिकारों पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। यदि प्रशासन ने समय रहते इस मिलावट का खुलासा नहीं किया होता, तो प्रदेश के नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ बड़ा धोखा हो सकता था। अब इस मामले में और जांच की जा रही है, ताकि इस गोरखधंधे के पीछे के असली अपराधियों का पर्दाफाश किया जा सके।

दुर्ग जिले में नकली पनीर बनाने वाली फैक्ट्री का खुलासा स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए एक बड़ी राहत है, लेकिन इस घटना ने यह भी साबित किया कि खाद्य सुरक्षा व्यवस्था में और अधिक सख्ती की जरूरत है। नकली और मिलावटी खाद्य पदार्थों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि जनता को सुरक्षित और शुद्ध भोजन मिल सके।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।