JSSC CGl Exam: Ranchi में JSSC-CGL परीक्षा पर राजनीति गरमाई, बाबूलाल मरांडी का तगड़ा आरोप
रांची में JSSC-CGL परीक्षा को लेकर राजनीति और छात्र आंदोलन तेज हो गए हैं। बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर गंभीर आरोप लगाए, जानें इस पूरी खबर में क्या है नया मोड़।
रांची: झारखंड में JSSC-CGL परीक्षा को लेकर राजनीति अब तेज हो गई है। इस मुद्दे पर अब पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार, खासकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, छात्र आंदोलनों को दबाने के लिए सख्त कदम उठा रहे हैं। बाबूलाल मरांडी ने सीधा आरोप लगाया है कि परीक्षा में धांधली की साजिश के पीछे हेमंत सोरेन का हाथ है।
यह मुद्दा काफी संवेदनशील हो गया है, क्योंकि राज्य भर में छात्रों के प्रदर्शन के दौरान माहौल गर्माया हुआ है। मरांडी का कहना है कि पहले हेमंत सोरेन ने सीआईडी जांच का झूठा आश्वासन दिया था, लेकिन अब झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) ने अपनी सफाई पेश की है, और छात्रों के आंदोलन पर सख्ती से कार्रवाई की जा रही है। मरांडी ने आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन सरकार छात्रों की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है, और यह राज्य की राजनीति के लिए खतरनाक संकेत हो सकता है।
झारखंड की ऐतिहासिक संघर्षों की भूमि में नया आंदोलन
झारखंड की भूमि संघर्षों और आंदोलनों का गवाह रही है। यहां की जनसंख्या हमेशा से न्याय की लड़ाई में रही है, चाहे वह आदिवासी अधिकारों की बात हो या फिर राज्य के निर्माण की। बाबूलाल मरांडी ने इसे याद दिलाया और कहा कि राज्य का युवा दमनकारी नीतियों का करारा जवाब देना जानता है। झारखंड का युवा कभी भी अन्याय को बर्दाश्त नहीं करता।
उन्होंने आगे कहा कि हेमंत सोरेन को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करना चाहिए और छात्रों के आंदोलनों के प्रति अपनी सोच को बदलना चाहिए। मरांडी ने यह भी मांग की कि सरकार छात्रों के आंदोलनों को शांत करने के बजाय, CGL परीक्षा की सीबीआई जांच करवाए और छात्रों के खिलाफ तुगलकी फरमान वापस ले।
राज्यभर में छात्र आंदोलन तेज
झारखंड के विभिन्न जिलों में छात्र इस मुद्दे पर एकजुट हो रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, छात्र सोशल मीडिया के जरिए संदेश भेज रहे हैं और अपने अधिकारों के लिए आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। इस बीच, संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा में उत्तीर्ण उम्मीदवारों का डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन कल से शुरू होने जा रहा है, जिससे यह मामला और भी संवेदनशील हो सकता है।
पुलिस की कड़ी तैयारी
हालांकि, रांची पुलिस ने इस बढ़ते आंदोलन को लेकर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है। सूत्रों से पता चला है कि पुलिस का योजना यह है कि छात्र किसी भी हाल में जेएसएससी कार्यालय तक न पहुंच सकें। इस उद्देश्य से नामकुम इलाके में स्थित जेएसएससी कार्यालय के पास की सभी सड़कें बैरिकैडिंग से बंद कर दी गई हैं, ताकि आंदोलनकारियों को रोका जा सके। पुलिस का कहना है कि वे किसी भी प्रकार के हिंसात्मक प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
आखिरकार क्या होगा इस मामले का हल?
अब सवाल यह है कि झारखंड सरकार इस तनावपूर्ण स्थिति को कैसे संभालेगी। क्या सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी, या फिर छात्रों के प्रदर्शन को और सख्ती से दबाएगी? यह भविष्य ही बताएगा। हालांकि, झारखंड का युवा हमेशा से अपने हक के लिए आवाज उठाता रहा है, और इस बार भी यह आंदोलन खत्म होने के बजाय और तेज होने की संभावना है।
समाज और राजनीति के इस संघर्ष में छात्रों की आवाज को दबाना आसान नहीं होगा। देखते हैं कि क्या सरकार अपने फैसले पर विचार करती है, या फिर यह मुद्दा और बड़ा बनता है।
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