Ramgarh Rescue: कुएं में फंसी हथिनी और उसका बच्चा, 10 साल पुरानी दर्दनाक यादें ताज़ा
रामगढ़ के गोला प्रखंड में हथिनी और उसका बच्चा अर्धनिर्मित कुएं में गिर गए। 10 साल पहले भी ऐसी ही घटना यहां हुई थी। जानें कैसे चल रहा है रेस्क्यू ऑपरेशन।
झारखंड का रामगढ़ जिला एक बार फिर से चर्चा में है। गुरुवार की सुबह यहां के गोला प्रखंड के परसाडीह वन क्षेत्र से ऐसी घटना सामने आई जिसने ग्रामीणों को दहला दिया। एक हथिनी और उसका छोटा बच्चा अर्धनिर्मित कुएं में गिर गए। जैसे ही यह खबर फैली, इलाके में अफरातफरी मच गई और लोग बड़ी संख्या में घटनास्थल पर जुट गए।
कुएं में कैसे गिरी हथिनी?
ग्रामीणों के अनुसार, हाथियों का झुंड बीते कई दिनों से गोला वन क्षेत्र में घूम रहा है। इन्हीं में से एक हथिनी अपने बच्चे के साथ भोजन की तलाश में गांव के पास पहुंची और अनजाने में अधूरे पड़े कुएं में गिर गई। कुआं गहरा था, लेकिन आधा भरा होने के कारण हथिनी और उसका बच्चा उसमें फंसकर रह गए।
रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू
जैसे ही वन विभाग को जानकारी मिली, बचाव दल तुरंत मौके पर पहुंचा। रेस्क्यू टीम ने कुएं की दीवार को तोड़ने और रास्ता बनाने के लिए जेसीबी मशीन लगाई। आसपास मौजूद ग्रामीणों ने भी दल के साथ मिलकर मदद शुरू की। इस बीच, सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए गोला थाना पुलिस की टीम भी वहां मौजूद रही ताकि भीड़ से रेस्क्यू में बाधा न हो।
लोगों का कहना है कि हथिनी लगातार चिंघाड़ रही थी और उसका बच्चा डरा हुआ उसके पास चिपका हुआ था। इस दृश्य को देखकर ग्रामीणों की आंखें नम हो गईं।
10 साल पुरानी यादें ताज़ा
यह पहली बार नहीं है जब गोला वन क्षेत्र में ऐसी घटना हुई हो। लगभग 10 साल पहले भी एक हथिनी और उसका बच्चा इसी तरह कुएं में गिर गए थे। उस समय वन विभाग और ग्रामीणों की कड़ी मशक्कत के बाद दोनों को सुरक्षित बाहर निकाला गया था। लगभग 4-5 घंटे चले उस रेस्क्यू ऑपरेशन की कहानी आज भी लोग याद करते हैं।
वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इलाके में खुले और अधूरे कुएं हाथियों और अन्य जंगली जानवरों के लिए खतरा बने हुए हैं। तब भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी, लेकिन कई कुएं आज भी खुले पड़े हैं। यही वजह है कि इतिहास खुद को दोहराता दिख रहा है।
गोला वन क्षेत्र और हाथियों की मौजूदगी
जानकारी के मुताबिक, गोला वन क्षेत्र में इस समय एक दर्जन से ज्यादा हाथी डेरा डाले हुए हैं। इनमें से तीन हथिनियों ने हाल ही में बच्चों को जन्म दिया है। यही कारण है कि हाथियों की हलचल गांवों के आसपास बढ़ गई है।
ग्रामीणों का कहना है कि इन हथिनियों और बच्चों को देखने बड़ी संख्या में लोग पहुंच जाते हैं, लेकिन यह भी सच है कि हाथियों के गांव की ओर आने से फसलें और घर भी खतरे में रहते हैं।
ग्रामीणों की चिंता और सवाल
ग्रामीणों का सवाल है कि आखिर इतने सालों बाद भी ऐसे अधूरे कुएं क्यों खुले पड़े हैं। अगर समय रहते इन्हें ढक दिया जाता, तो शायद हथिनी और उसका बच्चा इस हादसे का शिकार नहीं होते। लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि सभी अधूरे और परित्यक्त कुओं की पहचान कर उन्हें बंद कराया जाए।
उम्मीद और दुआएं
रेस्क्यू ऑपरेशन अभी जारी है और लोग लगातार हथिनी और उसके बच्चे के सुरक्षित बाहर निकलने की दुआ कर रहे हैं। वहां मौजूद ग्रामीणों ने कहा कि यह सिर्फ जानवरों का मामला नहीं है, बल्कि इंसानियत की भी कसौटी है। अगर इन मासूमों को सही सलामत बाहर निकाल लिया गया, तो यह पूरे क्षेत्र के लिए राहत की बड़ी खबर होगी।
यह घटना न सिर्फ वन्यजीव संरक्षण की चुनौतियों को दिखाती है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही पर भी सवाल उठाती है। इतिहास दोहराया जा रहा है, और अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या हथिनी और उसका बच्चा सुरक्षित जंगल में वापस लौट पाएंगे।
What's Your Reaction?


