प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का शुभारंभ होते ही आस्था का महासागर उमड़ पड़ा है। संगम तट पर भक्तों का ऐसा जनसैलाब उमड़ा कि अब तक 60 लाख श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। आज एक करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है, जिससे संगम नगरी अध्यात्म और आस्था का भव्य केंद्र बन चुकी है।
आस्था का अद्भुत संगम – 144 वर्षों बाद ऐतिहासिक आयोजन
महाकुंभ का यह दिव्य आयोजन 144 वर्षों बाद पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर हो रहा है। संगम तट पर उमड़े श्रद्धालु जाति, धर्म और क्षेत्रवाद से परे एकजुटता का अनोखा उदाहरण पेश कर रहे हैं। यह सिर्फ एक धार्मिक स्नान नहीं, बल्कि सनातन परंपरा, एकता और आध्यात्मिक ऊर्जा का अद्वितीय संगम है।
प्रधानमंत्री मोदी और सीएम योगी ने दी शुभकामनाएं
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ के शुभारंभ पर देशवासियों को बधाई दी। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया –
"पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर संगम तट पर महाकुंभ का शुभारंभ हो गया है। यह आयोजन हमारी संस्कृति और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम है। सभी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं। यह पर्व आप सभी के जीवन में ऊर्जा और उत्साह का संचार करे।"
40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान
महाकुंभ 2025 में देश-विदेश से लगभग 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई जा रही है। सुबह 9:30 बजे तक 60 लाख भक्तों ने स्नान कर लिया था, और पूरे दिन में यह आंकड़ा 1 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है।
महाकुंभ का ऐतिहासिक महत्व
महाकुंभ का इतिहास समुद्र मंथन से जुड़ा है। माना जाता है कि देवताओं और असुरों के बीच अमृत कलश को लेकर हुए संघर्ष में अमृत की बूंदें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरी थीं। तभी से इन चार पावन स्थलों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है।
प्रयागराज का महाकुंभ सबसे विशेष माना जाता है, क्योंकि यह गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर आयोजित होता है, जिसे 'त्रिवेणी संगम' कहा जाता है।
विदेशों से भी उमड़ रही आस्था
महाकुंभ की आध्यात्मिक आभा ने न केवल भारतीयों को बल्कि विदेशियों को भी आकर्षित किया है।
- रूस से आई श्रद्धालु ने कहा – "मेरा भारत महान! यहां आकर असली भारत को देखने और महसूस करने का अनुभव अद्भुत है।"
- ब्राजील के फ्रांसिस्को ने कहा – "मैं मोक्ष की तलाश में हूं, भारत दुनिया का आध्यात्मिक हृदय है।"
- स्पेन से आए श्रद्धालु ने कहा – "भारत की संस्कृति और यहां के मंदिर हमें बार-बार खींच लाते हैं।"
क्या है शाही स्नान का महत्व?
महाकुंभ में शाही स्नान का विशेष महत्व है। यह स्नान अखाड़ों के साधु-संतों द्वारा पवित्र मंत्रोच्चारण और वैदिक रीति-रिवाजों के साथ किया जाता है। इस स्नान को पवित्र और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है।
2025 कुंभ के प्रमुख स्नान तिथियां:
- पौष पूर्णिमा – 13 जनवरी 2025 (शुभारंभ)
- मकर संक्रांति शाही स्नान – 14 जनवरी 2025
- मौनी अमावस्या – 29 जनवरी 2025
- वसंत पंचमी – 3 फरवरी 2025
- महाशिवरात्रि – 26 फरवरी 2025
महाकुंभ में सुरक्षा और व्यवस्था
महाकुंभ 2025 की भव्यता को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा और सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा है। 24x7 मेडिकल सुविधाएं, आधुनिक सीसीटीवी, महिला सुरक्षा टीम और वॉलंटियर हर क्षेत्र में तैनात हैं।
भारत का आध्यात्मिक हृदय – प्रयागराज
महाकुंभ न केवल भारत बल्कि दुनिया के लिए आध्यात्मिक हृदय बन चुका है। यहां आने वाले श्रद्धालु भारतीय संस्कृति और आस्था के इस पावन संगम को आत्मसात कर रहे हैं।