Pitru Paksha 2024 : जानें कब से शुरू होगा, क्या करें और पूजा विधि का महत्व

Pitru Paksha 2024 : पितृपक्ष 2024 की पूरी जानकारी: कब से शुरू हो रहा है, कब तक रहेगा, इस दौरान कौन-कौन से कार्य किए जाने चाहिए, और कैसे करें पितरों की पूजा? जानें पूरी विधि।

Sep 18, 2024 - 11:19
Sep 18, 2024 - 11:29
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Pitru Paksha 2024 : जानें कब से शुरू होगा, क्या करें और पूजा विधि का महत्व
पितृपक्ष 2024: जानें कब से शुरू होगा, क्या करें और पूजा विधि का महत्व
Pitru Paksha 2024 :पितृपक्ष 2024: कब से शुरू होगा, क्या करें, और पूजा की विधि

पितृपक्ष 2024 इस साल 17 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक चलेगा। यह हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण समय है, जब हम अपने पूर्वजों (पितरों) को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस अवधि में श्राद्ध कर्म और तर्पण के माध्यम से पितरों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद की कामना की जाती है। पितृपक्ष हर साल भाद्रपद पूर्णिमा से अश्विन अमावस्या तक रहता है, और इस दौरान कई धार्मिक और आध्यात्मिक कर्म किए जाते हैं।

पितृपक्ष का महत्व  
हिन्दू धर्म के अनुसार, पितृपक्ष का समय पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान पितर पृथ्वी पर आते हैं और अपने वंशजों से तर्पण व श्राद्ध की अपेक्षा रखते हैं। सही तरीके से की गई श्राद्ध पूजा से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन में सुख-समृद्धि और उन्नति लाता है।

श्राद्ध करने की विधि  
श्राद्ध के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद पवित्र स्थान पर तर्पण विधि की तैयारी करें। तर्पण में तिल, जल, और कुश का उपयोग किया जाता है। पितरों को श्रद्धा के साथ भोजन अर्पण करें, जिसे पिंडदान कहा जाता है। भोजन में आमतौर पर खीर, पूड़ी, सब्जी और मिठाइयाँ शामिल होती हैं। 

पितरों की आत्मा के लिए विशेष मंत्रों का उच्चारण करें। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना भी आवश्यक माना जाता है। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

 पितृपक्ष के दौरान क्या न करें  

Pitru Paksha 2024 : पितृपक्ष में शादी, सगाई, या कोई अन्य शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। इस दौरान मांसाहार, शराब का सेवन और तामसिक भोजन से भी बचना चाहिए। यह समय पूरी तरह से संयम और पवित्रता का पालन करने का है। 

पितृपक्ष में कौन से कार्य करना चाहिए?  
पितरों की प्रसन्नता के लिए इस समय में रोजाना तर्पण और पूजा की जाती है। गायों को भोजन खिलाना, कौवों और अन्य पक्षियों को अन्न देना भी पुण्यकारी होता है। इसके साथ ही, जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करना चाहिए।
पितृपक्ष का समय हिन्दू धर्म में पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का सबसे महत्वपूर्ण अवसर होता है। यह वह समय है जब पितरों को सम्मान देते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण करना अनिवार्य होता है। पितरों की कृपा से जीवन में शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।