Rameswaram Pamban Bridge: नया पंबन ब्रिज बना देश का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज, जानें इसकी खासियतें

रामेश्वरम का नया पंबन ब्रिज देश का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे सी ब्रिज है। जानें इसकी तकनीकी खूबियां, सांस्कृतिक महत्व और राष्ट्रीय प्रगति में योगदान।

Dec 11, 2024 - 18:26
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Rameswaram Pamban Bridge: नया पंबन ब्रिज बना देश का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज, जानें इसकी खासियतें
Rameswaram Pamban Bridge: नया पंबन ब्रिज बना देश का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज, जानें इसकी खासियतें

रामेश्वरम, तमिलनाडु: भारतीय रेलवे ने रामेश्वरम और मुख्य भूमि के बीच एक ऐतिहासिक पुल का निर्माण कर देश को इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे सी ब्रिज, नया पंबन ब्रिज, न केवल आधुनिक तकनीक का उदाहरण है, बल्कि यह सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को भी जोड़ने का प्रतीक है।

यह 2.07 किलोमीटर लंबा पुल पाक जलडमरूमध्य के नीले जल को पार करता है और लाखों श्रद्धालुओं के पवित्र रामेश्वरम नगर तक पहुंचने का आसान और सुरक्षित मार्ग प्रदान करता है।

इतिहास की झलक: एक सदी पुराना पंबन ब्रिज

पुराना पंबन ब्रिज, जो भारत का पहला समुद्री पुल था, 1914 में बनाया गया था। यह 110 वर्षों तक सेवा प्रदान करता रहा और नवाचार और इंजीनियरिंग की मिसाल बना रहा। लेकिन 21वीं सदी में यह पुल आधुनिक रेल यातायात की आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ साबित होने लगा।

बढ़ती रेल सेवाओं और सुरक्षित कनेक्टिविटी की मांग ने एक नई संरचना के निर्माण को जरूरी बना दिया। वर्ष 2019 में, भारत सरकार ने इस परियोजना को स्वीकृति दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह पुल राष्ट्रीय प्राथमिकता बना और अब यह क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और आर्थिक विकास का प्रतीक है।

पंबन ब्रिज की अनूठी विशेषताएं

1. वर्टिकल लिफ्ट स्पैन:
नया पंबन ब्रिज देश का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे सी ब्रिज है। इसका 72.5 मीटर लंबा लिफ्ट स्पैन समुद्री यातायात को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। इस तकनीक से बड़े जहाजों को गुजरने का रास्ता मिलता है, जिससे यह पुल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्राप्त कर चुका है।

2. संरचनात्मक मजबूती:
ब्रिज में कुल 99 छोटे स्पैन हैं और इसकी ऊंचाई पुराने पुल से 3 मीटर अधिक है। इसकी नींव 333 मजबूत पाइल्स और 101 पाइल कैप्स पर बनाई गई है, जो इसे भविष्य की जरूरतों को संभालने में सक्षम बनाते हैं।

3. टिकाऊ निर्माण:
पुल को 58 साल तक सुरक्षित रखने के लिए पॉलिसिलोक्सेन पेंट और स्टेनलेस स्टील रिइंफोर्समेंट का उपयोग किया गया है। खारे पानी के संपर्क में रहने के बावजूद, यह नवीन तकनीक इसे जंग से बचाती है।

4. पर्यावरण और सौंदर्य का संगम:
यह पुल न केवल तकनीकी उत्कृष्टता का उदाहरण है, बल्कि इसकी संरचना पर्यावरण के साथ सामंजस्य बनाए रखती है।

सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व

रामेश्वरम हिंदुओं के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थल है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने यहीं से लंका तक पहुंचने के लिए पुल का निर्माण किया था। नया पंबन ब्रिज न केवल श्रद्धालुओं को सुरक्षित और सुगम यात्रा का अनुभव प्रदान करता है, बल्कि यह इस पवित्र स्थल के महत्व को भी बढ़ाता है।

अभूतपूर्व इंजीनियरिंग और संचालन परीक्षण

ब्रिज की संरचना को मजबूत और टिकाऊ बनाने के लिए IIT चेन्नई और IIT मुंबई के विशेषज्ञों द्वारा डिजाइन का सत्यापन किया गया। इसके वर्टिकल लिफ्ट स्पैन को समुद्री यातायात की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया। हाल ही में, 15 किलोमीटर लंबे खंड पर एक मालगाड़ी का सफल परीक्षण किया गया, जिससे इसकी परिचालन तत्परता सिद्ध हुई।

राष्ट्रीय महत्व का प्रतीक

नया पंबन ब्रिज भारत की प्रगति और नवाचार का प्रतीक है। यह परियोजना न केवल रामेश्वरम को मुख्य भूमि से जोड़ती है, बल्कि भारत को वैश्विक इंजीनियरिंग उत्कृष्टता के मंच पर गर्व से स्थापित करती है।

परंपरा और तकनीक का संगम

यह पुल अतीत और भविष्य, परंपरा और आधुनिकता, तथा सांस्कृतिक और तकनीकी उत्कृष्टता के बीच का एक सेतु है। यह केवल भौगोलिक जुड़ाव नहीं है, बल्कि यह भारत के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक गौरव का नया अध्याय भी है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।