Nawada Panchayat Bhavan : पंचायत भवन निर्माण को लेकर बिफरे ग्रामीण, प्रशासन पर लगाया भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप
नवादा जिले के अकबरपुर प्रखंड में पंचायत भवन निर्माण को लेकर ग्रामीणों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। धरने पर बैठे लोगों ने मुख्यालय गांव लेदहा में भवन निर्माण को न कराने का विरोध किया।
नवादा, अकबरपुर: नवादा जिले के अकबरपुर प्रखंड स्थित लेदहा पंचायत के ग्रामीणों ने पंचायत भवन निर्माण के फैसले के खिलाफ नगर थाना के पास धरना दिया। उनका आरोप है कि पंचायत भवन का निर्माण मुख्यालय गांव लेदहा में न होकर किसी अन्य गांव में कराया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि इस निर्णय के पीछे प्रशासनिक भ्रष्टाचार और मनमानी की वजह से मुख्यालय गांव की भूमि का सही उपयोग नहीं किया जा रहा है।
ग्रामीणों का आरोप:
धरने पर बैठे ग्रामीणों का कहना है कि अकबरपुर अंचल अधिकारी ने झूठा प्रतिवेदन प्रस्तुत किया, जिसमें यह कहा गया कि लेदहा गांव में बिहार सरकार की खाते की भूमि नहीं है। हालांकि, ग्रामीणों का दावा है कि प्रधान सचिव, पंचायती राज विभाग द्वारा संज्ञान लिए जाने के बाद राजस्व कर्मचारी ने प्रमाणित किया है कि लेदहा गांव में खाता संख्या 153 और प्लॉट संख्या 1266 में 40 डी भूमि बिहार सरकार के खाते में मौजूद है।
भूमि चयन पर सवाल:
ग्रामीणों का यह भी कहना है कि पंचायती राज विभाग द्वारा निर्धारित नियमों और जनहित सुविधा के मद्देनजर उपलब्ध कराई गई भूमि की अवहेलना करते हुए, मुख्यालय गांव लेदहा से हटकर किसी अन्य गांव में पंचायत भवन का निर्माण कराया जा रहा है। यह निर्णय प्रशासन की ओर से भ्रष्टाचार और असंगत आचरण को बढ़ावा देने जैसा प्रतीत हो रहा है। सुधीर कुमार नामक एक धरनास्थल पर बैठे ग्रामीण ने कहा, "यह जनहित और सरकारी नियमानुसार नहीं हो रहा है, बल्कि यह भ्रष्टाचार और प्रशासनिक मनमानी का परिणाम है।"
भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप:
स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि इस भूमि चयन प्रक्रिया में भ्रष्टाचार किया गया है, और प्रशासन ने जानबूझकर मुख्यालय गांव की भूमि का चयन नहीं किया। इससे यह स्पष्ट होता है कि नवादा प्रशासन इस मामले में आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है और यह कार्य कानून के खिलाफ हो रहा है।
पंचायत भवन निर्माण की स्थिति:
इस पूरे मामले में प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है, और ग्रामीणों की मांग है कि पंचायत भवन का निर्माण मुख्यालय गांव लेदहा में किया जाए, जहां भूमि उपलब्ध है और जो सरकार के खाते में दर्ज है। गांववासियों ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया जाता है, तो वे आगे भी धरना प्रदर्शन जारी रखेंगे और प्रशासन के खिलाफ संघर्ष करेंगे।
क्या है आगे की योजना?
ग्रामीणों ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है और साथ ही पंचायत भवन निर्माण पर रोक लगाने की मांग की है। अगर प्रशासन ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई नहीं की, तो ग्रामीणों ने आंदोलन को और तेज करने की धमकी दी है।
यह घटना यह दर्शाती है कि कभी-कभी सरकारी योजनाओं और फैसलों में भूमि चयन को लेकर विवाद उत्पन्न हो जाते हैं, जो समाज में असंतोष पैदा करते हैं। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मुद्दे को कैसे सुलझाता है और क्या सच्चाई सामने आती है।
What's Your Reaction?