Nawada Corruption: अधिकारियों को उंगलियों पर नचाना, बकसंडा मुखिया से सीखे; आयुक्त की सिफारिश के बावजूद कार्रवाई की बेरुखी
नवादा में बकसंडा पंचायत के मुखिया का अधिकारियों को नचाने का मामला। आयुक्त की सिफारिश के बावजूद कार्रवाई की निष्क्रियता, भ्रष्टाचार पर सवाल।
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नवादा, बिहार: नवादा जिले के अकबरपुर प्रखंड के बकसंडा पंचायत के मुखिया की करतूतें अधिकारियों को भी नचाने में सफल रही हैं। एक तरफ आयुक्त ने मुखिया को पदमुक्त करने और पंचायती सचिव निराला के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है, तो दूसरी ओर पंचायत राज विभाग, पटना में उनकी सिफारिश धूल फांक रही है। यह मामला भ्रष्टाचार और सरकारी नाकामी की कहानी बयां करता है।
मुखिया का दखल और अधिकारियों की चुप्पी
आमतौर पर प्रशासनिक अधिकारी ही अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हैं, लेकिन बकसंडा पंचायत के मुखिया ने अधिकारियों को अपनी उंगलियों पर नचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। डीएम द्वारा जांच में दोषी पाए जाने के बाद, आयुक्त सह लोक प्रहरी ने मुखिया को पदमुक्त करने और पंचायती सचिव निराला के खिलाफ प्राथमिक कार्रवाई की सिफारिश की थी। अधिकारियों को इस संबंध में पत्र भी भेजे गए, लेकिन कई महीने बीतने के बाद भी न तो मुखिया को पदमुक्त किया गया और न ही सचिव के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई।
विभागीय भ्रष्टाचार और योजनाओं में लूट
मुखिया और सचिव की मिलीभगत से सरकारी योजनाओं की राशि का गबन खुलेआम किया जा रहा है। यह भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा है कि अधिकारियों की आंखों के सामने ही सरकारी पैसे की लूट चल रही है। योजनाओं का लक्ष्य और जनता का हित दरकिनार कर केवल निजी लाभ की राजनीति की जा रही है।
आयुक्त की सिफारिश का महत्व
इस पूरी घटना से एक बड़ा सवाल उठता है कि क्या आयुक्त की सिफारिश का कोई महत्व नहीं रह गया है? अगर आयुक्त द्वारा की गई सिफारिशों का पालन नहीं किया जाता, तो इसका क्या मतलब? क्या यह सरकारी प्रणाली की कमजोरी को उजागर नहीं करता? अधिकारियों की इस निष्क्रियता से यह सवाल सामने आता है कि क्या भ्रष्टाचार से निपटने की प्रशासन की क्षमता पर सवाल उठने लगे हैं।
इतिहास में नवादा की स्थिति
नवादा जिले का इतिहास भी भ्रष्टाचार और प्रशासनिक निष्क्रियता से भरा पड़ा है। यहां तक कि कई बार ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जहां प्रशासन ने जनता की समस्याओं और शिकायतों पर आंखें मूंद ली हैं। अब बकसंडा पंचायत के इस मामले ने यह साबित कर दिया है कि सरकारी व्यवस्था में सुधार की कितनी आवश्यकता है।
जनता का गुस्सा और आवाज़
जिले के लोग इस बात से भली-भांति अवगत हैं कि उनकी समस्याओं का समाधान तभी संभव है जब प्रशासन की प्रणाली मजबूत हो और उसे ईमानदारी से चलाया जाए। बकसंडा के मामले ने जनता के बीच एक बड़ा गुस्सा पैदा किया है, और लोग सवाल पूछ रहे हैं कि जब प्रशासन खुद अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा सकता तो जनता किससे उम्मीद करे।
भ्रष्टाचार के खिलाफ जरूरी कदम
यह समय है कि प्रशासन इस मामले में सख्त कार्रवाई करे और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम उठाए। आयुक्त की सिफारिशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए एक ठोस नीति बनाई जाए ताकि ऐसे मामलों में ईमानदारी और पारदर्शिता बनी रहे।
नवादा जिले का यह मामला एक बार फिर बताता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। केवल कागजी कार्रवाई से काम नहीं चलेगा; जिम्मेदार अधिकारियों को भी अपनी भूमिका निभानी होगी और जनता के विश्वास को बहाल करना होगा।
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