Jharkhand Tax: कोयले पर सेस 100 से 250 रुपये! आम जनता पर कितना पड़ेगा असर?
झारखंड सरकार ने कोयले पर सेस 100 से 250 रुपये प्रति टन कर दिया! जानें इस फैसले से कोयला, बिजली, उद्योग और आम जनता पर क्या असर पड़ेगा?

रांची: झारखंड सरकार ने कोयले पर सेस को 100 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 250 रुपये प्रति टन करने का फैसला किया है। इस फैसले का सीधा असर कोयला कंपनियों, उद्योगों और आम जनता की जेब पर पड़ने वाला है।
क्या है नया फैसला?
झारखंड कैबिनेट ने खनिज धारित भूमि पर सेस की दरें बढ़ाने के लिए अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी है। इस फैसले के तहत:
अप्रैल 2025 से कोयले पर नया सेस लागू होगा।
अब कोयले की कीमत बढ़ेगी, जिससे बिजली और अन्य कोयला-आधारित उद्योगों की लागत में वृद्धि होगी।
झारखंड सरकार को इस बढ़े हुए सेस से भारी राजस्व मिलेगा।
कोयला कंपनियों पर क्या असर पड़ेगा?
झारखंड में हर साल औसतन 140 मिलियन टन से अधिक कोयला उत्पादन होता है।
सीसीएल (CCL) – फरवरी 2025 तक 75.85 मिलियन टन उत्पादन कर चुका है।
बीसीसीएल (BCCL) – 36.17 मिलियन टन कोयला निकाल चुका है।
ईसीएल (ECL) – 20 मिलियन टन कोयला उत्पादन की संभावना है।
मतलब, झारखंड सरकार को कोयले से सेस के जरिए हजारों करोड़ का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा।
कोयला महंगा होने से आम जनता को क्या नुकसान होगा?
बिजली महंगी होगी:
कोयला मुख्य रूप से थर्मल पावर प्लांट्स में बिजली उत्पादन के लिए इस्तेमाल होता है।
सेस बढ़ने से बिजली कंपनियों की लागत बढ़ेगी, जिसका असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।
बिजली दरें महंगी हो सकती हैं, जिससे घरेलू और औद्योगिक उपभोक्ताओं को झटका लगेगा।
सीमेंट और स्टील उद्योग पर असर:
कोयला सीमेंट और स्टील इंडस्ट्री का प्रमुख ईंधन है।
सेस बढ़ने से इन उद्योगों की उत्पादन लागत बढ़ेगी, जिससे सीमेंट और स्टील की कीमतों में इजाफा होगा।
घर बनाना और बुनियादी ढांचा प्रोजेक्ट महंगे हो सकते हैं।
ट्रांसपोर्ट और अन्य सेक्टर्स भी होंगे प्रभावित:
कोयला परिवहन पर खर्च बढ़ेगा, जिससे कोयले से जुड़ी सभी चीजों के दाम बढ़ेंगे।
रेलवे, थर्मल पावर, ईंट भट्टे और छोटे उद्योगों को भी नुकसान होगा।
सरकार को कितना फायदा होगा?
झारखंड सरकार खनिज भूमि धारित सेस के जरिए 15,000 करोड़ रुपये राजस्व जुटाने की योजना बना रही है।
कोयले से सिर्फ सेस ही नहीं, बल्कि रॉयल्टी और DMFT (District Mineral Foundation Trust) के जरिए भी सरकार को अच्छी कमाई होती है।
यह पैसा झारखंड के विकास कार्यों में लगाया जाएगा, लेकिन सवाल यह है कि इसका बोझ आम जनता पर कितना पड़ेगा?
क्या कोल इंडिया को सेस बढ़ने की आधिकारिक जानकारी है?
कोल इंडिया के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, अभी तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक सूचना कोयला कंपनियों को नहीं मिली है।
हालांकि, यह साफ है कि सेस बढ़ने से कोयले की कीमतों पर सीधा असर पड़ेगा।
इतिहास में ऐसा पहले भी हो चुका है!
2015 में सरकार ने पहली बार खनिज सेस लागू किया था।
2021 में लौह अयस्क और कोयले पर 100 रुपये प्रति टन सेस तय किया गया था।
अब इसे 250 रुपये प्रति टन कर दिया गया है, जिससे झारखंड सरकार की कमाई में भारी इजाफा होगा।
अब आगे क्या होगा?
कोल इंडिया और अन्य कोयला कंपनियां इस फैसले का विरोध कर सकती हैं।
बिजली कंपनियां और उद्योगपतियों का दबाव सरकार पर बढ़ सकता है।
आम जनता पर बढ़ी हुई कीमतों का बोझ पड़ेगा, जिससे महंगाई और बढ़ सकती है।
झारखंड सरकार का यह फैसला राजस्व बढ़ाने के लिए सही हो सकता है, लेकिन इसका सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ेगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या केंद्र सरकार या कोयला कंपनियां इस फैसले को चुनौती देती हैं या नहीं!
What's Your Reaction?






