Musabani Murder: खाना बनाने पर विवाद, पति ने साड़ी से घोंटा पत्नी का गला
मुसाबनी में 8 दिसंबर को मिली महिला की लाश का रहस्य खुल गया। केवल खाना बनाने के विवाद में क्यों हुई पत्नी की निर्मम हत्या। पति संजय शर्मा ने दो बच्चों की माँ का शव झाड़ियों में क्यों फेंका। आरोपी पति की दो अन्य शादियों का राज क्या है। पुलिस ने कैसे की त्वरित गिरफ्तारी।
मुसाबनी, 9 दिसंबर 2025 – पूर्वी सिंहभूम जिले के मुसाबनी क्षेत्र में हुई एक महिला की निर्मम हत्या का मामला पुलिस ने सुलझा लिया है। यह खुलासा अत्यंत चौंकाने वाला है, क्योंकि हत्या का आरोपी कोई और नहीं, बल्कि मृतका का पति ही निकला। मुसाबनी थाना प्रभारी अनुज कुमार सिंह ने मंगलवार को एक पत्रकार सम्मेलन आयोजित कर इस मामले की पूरी जानकारी दी।
विवाद से हत्या तक, कुछ ही पलों में सब कुछ खत्म
थाना प्रभारी ने बताया कि 8 दिसंबर को मुसाबनी के बेनाशोल नामक स्थान पर एक महिला का शव मिलने की सूचना पुलिस को मिली थी। जाँच के दौरान महिला की पहचान निशा शर्मा के रूप में हुई, जो हरिजन बस्ती की रहने वाली थी। निशा का विवाह 7 वर्ष पहले संजय शर्मा (45) से हुआ था और उनके दो छोटे बच्चे भी हैं।
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साड़ी से घोंटा गला: जाँच में पता चला कि पति-पत्नी के बीच खाना बनाने जैसी छोटी बात को लेकर तीखा विवाद हुआ। गुस्से में आए पति संजय शर्मा ने अपनी पत्नी निशा की साड़ी से ही उसका गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। पुलिस ने अपराध के सबूत के तौर पर जली हुई साड़ी की राख भी बरामद की है।
हत्या के बाद शव को झाड़ियों में फेंका
निशा की हत्या करने के बाद, संजय शर्मा ने अपराध को छिपाने की कोशिश की। उसने पत्नी के शव को वहां से उठाकर नजदीक की झाड़ियों में फेंक दिया। पुलिस को जैसे ही मामले की सूचना मिली, उन्होंने तेजी से कार्रवाई करते हुए आरोपी पति को कुछ ही समय में गिरफ्तार कर लिया।
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आरोपी की पिछली ज़िंदगी: पुलिस ने बताया कि आरोपी संजय शर्मा ने वर्तमान शादी से पहले भी दो अन्य महिलाओं से शादी की थी। इससे भी उसके दो बच्चे हैं। आरोपी के इस तरह के विवाह संबंधों और पत्नी की हत्या के मामले से उसके चरित्र और पारिवारिक जीवन में चल रहे असंतोष का पता चलता है। फिलहाल आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेजा जा रहा है।
पारिवारिक विवाद और हिंसा का इतिहास
यह घटना एक बार फिर परिवार के भीतर होने वाली हिंसा की गंभीरता को दर्शाती है। अक्सर छोटे-छोटे घरेलू झगड़े बढ़कर एक हिंसक रूप ले लेते हैं, जिसका खामियाजा निर्दोष महिलाओं और बच्चों को भुगतना पड़ता है। यह मामला समाज को एक कड़ा संदेश देता है कि पारिवारिक हिंसा को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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