Gorakhpur Incident: मेडिकल कॉलेज में छत का प्लास्टर गिरा, डॉक्टर गंभीर रूप से घायल
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में जर्जर छत का प्लास्टर गिरने से डॉक्टर वाणी आदित्य गंभीर रूप से घायल। जानिए कैसे यह हादसा मेडिकल कॉलेज की लापरवाही को उजागर करता है।
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गोरखपुर: बीआरडी मेडिकल कॉलेज, जो कभी अपनी चिकित्सा सेवाओं के लिए गर्व करता था, अब अपनी जर्जर इमारतों के कारण सुर्खियों में है। शुक्रवार को नेहरू अस्पताल के पास छत का प्लास्टर गिरने से डॉ. वाणी आदित्य गंभीर रूप से घायल हो गईं। यह घटना कॉलेज की सुरक्षा और रखरखाव की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
कैसे हुआ हादसा?
घटना उस समय हुई जब स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. वाणी आदित्य लेबर कांप्लेक्स की ओर जा रही थीं। जैसे ही वह रैंप के पास पहुंचीं, जर्जर छत का प्लास्टर अचानक उनके ऊपर गिर गया।
प्लास्टर गिरने से उनके सिर पर गहरा घाव हुआ, और उन्हें तुरंत मेडिकल टीम की सहायता लेनी पड़ी। डॉक्टरों ने सर्जरी के बाद उनके सिर पर आठ टांके लगाए।
डॉ. वाणी ने खून से लथपथ हालत में प्रिंसिपल कार्यालय पहुंचकर घटना की जानकारी दी, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया।
प्रिंसिपल ने जताया खेद, मरम्मत का वादा
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. रामकुमार जायसवाल ने घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा:
"हम जल्द ही सभी जर्जर भवनों की मरम्मत का कार्य शुरू करेंगे। यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाए जाएंगे।"
हालांकि, यह बयान कॉलेज प्रशासन की लापरवाही को छिपाने के लिए पर्याप्त नहीं है।
मेडिकल कॉलेज की जर्जर इमारतें: एक पुरानी समस्या
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज की इमारतें पिछले कुछ वर्षों से जर्जर स्थिति में हैं। यह समस्या आज की नहीं है, बल्कि वर्षों से उपेक्षित रखरखाव और मरम्मत कार्य के कारण बढ़ती गई है।
1956 में स्थापित यह मेडिकल कॉलेज उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थानों में से एक है। लेकिन समय के साथ, इसकी इमारतें टूट-फूट का शिकार हो गईं। प्रशासनिक लापरवाही के कारण आज ये इमारतें न केवल चिकित्सा कर्मचारियों के लिए बल्कि मरीजों और उनके परिवारों के लिए भी खतरनाक साबित हो रही हैं।
कर्मचारियों और छात्रों का आक्रोश
इस हादसे के बाद, कॉलेज के कर्मचारियों और छात्रों ने प्रशासन पर जमकर निशाना साधा।
- कर्मचारियों का आरोप:
"कई बार जर्जर इमारतों की शिकायतें की गईं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।" - छात्रों का आक्रोश:
"क्या हमें अपनी सुरक्षा के लिए भी अब आंदोलन करना पड़ेगा?"
उन्होंने प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की मांग की है और कहा कि अगर समय पर कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में और भी गंभीर हादसे हो सकते हैं।
इतिहास और प्रशासन की उपेक्षा
बीआरडी मेडिकल कॉलेज का इतिहास गौरवशाली रहा है। यह संस्थान न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि आसपास के राज्यों से भी मरीजों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान करता है।
लेकिन पिछले एक दशक में रखरखाव और मरम्मत की उपेक्षा के कारण यह संस्थान एक ticking time bomb बन गया है।
2017 में भी, यह कॉलेज ऑक्सीजन की कमी के कारण बड़ी संख्या में बच्चों की मौत के चलते चर्चा में आया था। प्रशासन ने तब भी सुरक्षा और सुविधाओं में सुधार का वादा किया था, लेकिन हालिया हादसा यह दिखाता है कि वादे केवल कागजों तक सीमित रह गए।
क्या होना चाहिए समाधान?
यह घटना केवल एक हादसा नहीं है, बल्कि एक चेतावनी है कि जर्जर भवनें किसी भी समय और भी बड़े हादसे का कारण बन सकती हैं।
- तत्काल मरम्मत:
जर्जर भवनों की तुरंत मरम्मत शुरू की जानी चाहिए। - सुरक्षा ऑडिट:
सभी इमारतों की स्थिति की समीक्षा के लिए एक सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य है। - स्थायी रखरखाव:
भवनों के नियमित रखरखाव के लिए एक दीर्घकालिक योजना बनाई जानी चाहिए।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज का यह हादसा केवल एक डॉक्टर की चोट तक सीमित नहीं है। यह एक संकेत है कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो इसकी कीमत छात्रों, कर्मचारियों और मरीजों को चुकानी पड़ेगी।
क्या प्रशासन समय पर कार्रवाई करेगा, या यह हादसा भी बाकी वादों की तरह भुला दिया जाएगा? आपकी क्या राय है? नीचे कमेंट में जरूर बताएं।
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