जमशेदपुर: करम पर्व की तैयारियों में जुटे ग्रामीण, परंपराओं और उत्साह से भरा त्योहार

जमशेदपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में करम पर्व की तैयारियां ज़ोरों पर हैं। यह त्योहार जनजातीय समुदाय के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ उत्साह से मनाया जाता है।

Sep 7, 2024 - 16:39
Sep 7, 2024 - 17:31
जमशेदपुर: करम पर्व की तैयारियों में जुटे ग्रामीण, परंपराओं और उत्साह से भरा त्योहार
जमशेदपुर: करम पर्व की तैयारियों में जुटे ग्रामीण, परंपराओं और उत्साह से भरा त्योहार

जमशेदपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों करम पर्व की तैयारियां ज़ोरों पर हैं। भादो महीने की एकादशी को मनाया जाने वाला यह पारंपरिक पर्व विशेष रूप से जनजातीय समुदायों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। इस त्योहार के माध्यम से न सिर्फ खेती-बाड़ी से जुड़े पारंपरिक तरीकों को संजोया जाता है, बल्कि सामूहिक नृत्य और गीतों के जरिये सामाजिक सौहार्द्र भी बढ़ाया जाता है।

करम पर्व का महत्व और परंपराएं:

करम पर्व से ठीक 5, 7 या 9 दिन पहले गांव की कुंवारी लड़कियां जावा (विभिन्न प्रकार के बीज) उगाने की प्रक्रिया शुरू करती हैं। इन बीजों को अंकुरित किया जाता है, जिसमें 11 या 9 प्रकार के बीजों का उपयोग होता है। हल्दी और पानी का इस्तेमाल कर बीजों को सिंचने की यह प्रक्रिया पुराने समय से चली आ रही है। इसका उद्देश्य यह है कि खेती कार्य से पहले बीजों की गुणवत्ता की जांच की जा सके। यह एक पुरखों से चली आ रही परंपरा है, जो आज भी ग्रामीण समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

जावा उगाने के बाद लड़कियां प्रतिदिन कारम पर्व तक जावा को बाहर निकालती हैं और आंगन में पुरकेनी करम गीत गाते हुए नाचती हैं। ये गीत और नृत्य जनजातीय समुदाय की धरोहर हैं, जो इस पर्व को और भी खास बनाते हैं। करम पर्व खासकर आदिवासी समुदाय के लोगों के बीच बहुत उत्साह और उल्लास से मनाया जाता है, क्योंकि यह न सिर्फ धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है।

तैयारियों का दौर:

ग्रामीण क्षेत्रों में इस पर्व की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। गांव के हर परिवार के सदस्य इस पर्व की तैयारियों में गहराई से डूबे हुए हैं। हर घर में उत्सव का माहौल है और लोग अपने-अपने स्तर पर आयोजन की तैयारियों में जुटे हुए हैं। कुछ लोग जावा उगाने में व्यस्त हैं तो कुछ करम गीतों की प्रैक्टिस कर रहे हैं। यह पर्व सामूहिकता का प्रतीक है, जहां पूरे गांव के लोग एक साथ मिलकर इसे मनाते हैं।

समुदाय के लिए विशेष पर्व:

यह पर्व न केवल परंपराओं को संजोने का माध्यम है बल्कि समुदाय के लोगों को एक साथ लाने का भी मौका प्रदान करता है। करम देवता की पूजा इस पर्व का मुख्य हिस्सा होती है, जिसे आदिवासी समुदाय समृद्धि और खुशहाली के देवता के रूप में मानता है। इस अवसर पर गांव के लोग सामूहिक रूप से करम वृक्ष की पूजा करते हैं और करम कथा सुनते हैं, जिसमें करम देवता के बलिदान और उनके महत्व को बताया जाता है।

करम पर्व न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह पर्व ग्रामीण समाज की सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर को भी संजोए रखता है। खेती-बाड़ी के साथ-साथ यह पर्व सामाजिक एकता और पारिवारिक संबंधों को भी मजबूत करता है। यह त्योहार हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है और आने वाली पीढ़ियों को भी इस सांस्कृतिक धरोहर से परिचित कराता है।

Chandna Keshri मैं स्नातक हूं, लिखना मेरा शौक है।