झारखंड सिख समन्वय समिति का विस्तार: समाज के मुद्दों पर बनी नई रणनीति, CGPC की दोहरी नीति पर उठाए गए सवाल
झारखंड सिख समन्वय समिति की बैठक में समाज के आर्थिक पिछड़ेपन से लेकर गुरुद्वारा कमेटी चुनावों में हो रहे पक्षपात पर चर्चा हुई। बैठक में समिति का विस्तार भी किया गया और भविष्य की रणनीति पर निर्णय लिया गया।
मंगलवार को सोनारी गुरुद्वारा में झारखंड सिख समन्वय समिति की महत्वपूर्ण बैठक प्रधान तारा सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस बैठक में सिख समाज के समक्ष उपस्थित गंभीर मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ। मुख्य रूप से यह बैठक आर्थिक रूप से पिछड़े समाज के सदस्यों की मदद पर केंद्रित रही। समाज के गरीब परिवारों की शादी-ब्याह और इलाज में कैसे सहयोग किया जा सकता है, इस पर गहन चर्चा की गई।
बैठक में महासचिव बलजीत सिंह ने गुरुद्वारा के चुनाव में हो रही अनियमितताओं पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने सीजीपीसी (CGPC) की दोहरी नीति पर नाराजगी जताते हुए कहा कि एक ओर सीजीपीसी निष्पक्ष चुनाव कराने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर बारीडीह गुरुद्वारा कमेटी के चुनाव में संविधान को ताक पर रखकर जबरन अवतार सिंह सोखी को प्रधान बनाया गया। उन्होंने कहा कि न तो कोई चुनाव हुआ और न ही बैलेटिंग की प्रक्रिया अपनाई गई। यह सीजीपीसी के पदाधिकारियों की दोहरी मानसिकता को दर्शाता है।
बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि यदि भविष्य में किसी गुरुद्वारा कमेटी के चुनाव में पक्षपात होता है और वहां की संगत (समुदाय) उस निर्णय से असंतुष्ट होती है तो झारखंड सिख समन्वय समिति उनकी मदद के लिए आगे आएगी।
इस बैठक में समिति का विस्तार भी किया गया। प्रधान तारा सिंह के द्वारा नई जिम्मेदारियां सौंपी गईं ताकि समाज के विभिन्न मुद्दों का समाधान बेहतर ढंग से किया जा सके। बैठक के अंत में जसबीर सिंह पदरी ने सभी उपस्थित लोगों का धन्यवाद ज्ञापन किया।
नए जिम्मेदार सदस्य:
– गुरमुख सिंह मुखे (चेयरमैन)
– तरसेम सिंह सेमे (प्रधान)
– महेन्द्र सिंह बोझा (प्रधान)
– दलजीत सिंह दल्ली (सीनियर मीत प्रधान)
– हरविंदर सिंह मंटू और इन्द्र सिंह इदंर (सदस्य)
– अमरजीत सिंह अंबे और गुरदीप सिंह काके (सदस्य)
– गुरविंदर सिंह, पिंटू सैनी, चंचल सिंह और हरजीत सिंह विरदी (सदस्य)
– सुखविंदर सिंह, समशेर सिंह सोही, सिकंदर सिंह, इंदरपाल सिंह और जीतेन्द्र सिंह शालू (सदस्य)
– अवतार सिंह भाटिया, पुरण सिंह, दलजीत सिंह बिल्ला और दलबीर सिंह पदरी (सदस्य)
– चरणजीत सिंह (सदस्य)
यह बैठक एक महत्वपूर्ण पहल थी, जिसमें न सिर्फ समिति का विस्तार हुआ, बल्कि समाज के प्रति और अधिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करने की दिशा में भी कदम बढ़ाए गए।
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