E-Saakshi app: झारखंड में अपराध पर Action तेज, पुलिस को ई-साक्ष्य ऐप का अनिवार्य उपयोग निर्देशित
झारखंड में अपराध नियंत्रण के लिए नई पहल! एडीजी सुमन गुप्ता की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक में ई-साक्ष्य ऐप के अनिवार्य उपयोग पर जोर। जानिए कैसे बदलेंगे अनुसंधान के तरीके।
झारखंड पुलिस ने अपराध नियंत्रण और न्याय प्रक्रिया में तकनीकी सुधार के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। एडीजी प्रशिक्षण एवं आधुनिकीकरण पुलिस सुमन गुप्ता की अध्यक्षता में पुलिस मुख्यालय सभागार में आयोजित समीक्षा बैठक में सभी जिलों के वरीय पुलिस अधीक्षक और पुलिस अधीक्षक (रेल जमशेदपुर और धनबाद सहित) के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा हुई। बैठक का मुख्य फोकस था - अपराध दृश्य, घटनास्थल की तलाशी, जप्ति प्रक्रिया, और साक्ष्य के डिजिटलीकरण को मजबूत बनाना।
ई-साक्ष्य ऐप: अपराध अनुसंधान का नया आधार
बैठक में ई-साक्ष्य ऐप के उपयोग को अनिवार्य रूप से लागू करने का निर्देश दिया गया। यह ऐप अनुसंधानकर्ताओं को अपराध के घटनास्थल की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी के माध्यम से साक्ष्य रिकॉर्ड और अपलोड करने में मदद करेगा। विशेष रूप से उन मामलों में, जहां सात साल या उससे अधिक की सजा का प्रावधान है, ऐप का उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा।
एडीजी सुमन गुप्ता ने स्पष्ट निर्देश दिया कि अनुसंधानकर्ताओं को 100% ई-साक्ष्य ऐप का उपयोग करना होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अनुसंधान में वांछित वीडियोग्राफी या फोटोग्राफी की कमी के कारण भविष्य में न्यायालय द्वारा अनुसंधान को खारिज किया जाता है या प्रतिकूल टिप्पणी की जाती है, तो इसकी पूर्ण जिम्मेदारी अनुसंधानकर्ता पर होगी।
तकनीकी प्रजेंटेशन और प्रशिक्षण
बैठक के दौरान, पुलिस मुख्यालय टीम ने एक प्रजेंटेशन के माध्यम से ई-साक्ष्य ऐप की उपयोग विधि की जानकारी साझा की। इसमें बताया गया कि यह ऐप कैसे न्यायिक प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाएगा।
बैठक में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी, सीसीटीएनएस राज्य नोडल पदाधिकारी कार्तिक एस, आइटीएनआइसी के वरीय निदेशक राजीव कुमार सिन्हा, और डिप्टी डायरेक्टर व आईसीजेएस को-ऑर्डिनेटर अनुप रंजन भी मौजूद थे। इनके साथ इंस्पेक्टर चितरंजन मिश्रा और अन्य तकनीकी विशेषज्ञ भी भौतिक रूप से उपस्थित थे।
डिजिटलीकरण और अपराध नियंत्रण का इतिहास
डिजिटल तकनीक का उपयोग भारत में अपराध नियंत्रण में तेजी से बढ़ रहा है। झारखंड पुलिस का यह कदम, डिजिटल भारत के दृष्टिकोण के तहत, आधुनिक पुलिसिंग का एक हिस्सा है। 2015 में सीसीटीएनएस (Crime and Criminal Tracking Network & Systems) का शुभारंभ इसी उद्देश्य के लिए हुआ था। अब, ई-साक्ष्य ऐप जैसे प्लेटफार्म इस प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाएंगे।
सख्त निर्देश: न्याय प्रक्रिया में लापरवाही नहीं होगी बर्दाश्त
समीक्षा बैठक में, एडीजी ने अनुसंधानकर्ताओं को सख्त निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अपराध के मामलों में साक्ष्यों का डिजिटलीकरण अनिवार्य होगा और इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
ई-साक्ष्य ऐप के फायदे
- पारदर्शिता: साक्ष्य डिजिटल रूप से रिकॉर्ड और अपलोड होने से प्रक्रिया अधिक पारदर्शी होगी।
- विश्वसनीयता: वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी न्यायालय में साक्ष्यों की प्रमाणिकता को मजबूत बनाएंगे।
- प्रबंधन: ई-साक्ष्य ऐप साक्ष्यों के व्यवस्थित प्रबंधन और त्वरित उपलब्धता में मदद करेगा।
- सुरक्षा: डिजिटल साक्ष्य सुरक्षित रूप से संग्रहीत किए जाएंगे, जिससे उनके साथ छेड़छाड़ की संभावना कम होगी।
क्या बदलेगा आगे?
यह नई पहल न केवल झारखंड पुलिस को तकनीकी रूप से सशक्त बनाएगी, बल्कि अपराधियों को पकड़ने और न्याय दिलाने की प्रक्रिया को भी तेज करेगी। इस डिजिटल कदम से पुलिस और न्यायिक प्रक्रिया के बीच तालमेल बेहतर होगा।
समाप्ति पर एक नज़र
झारखंड पुलिस की यह पहल अपराध नियंत्रण में तकनीकी युग की शुरुआत है। ई-साक्ष्य ऐप का उपयोग न्याय प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा। यह कदम न केवल अपराध अनुसंधान को आसान बनाएगा, बल्कि डिजिटल इंडिया के सपने को भी साकार करेगा।
इस नई प्रणाली के लागू होने के बाद झारखंड पुलिस अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण बन सकती है, जहां अपराध अनुसंधान को डिजिटलीकरण के माध्यम से अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाया जा सकता है।
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