Jharkhand CM Hemant Soren: झारखंड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 51 कैदी रिहा होंगे
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की 35वीं बैठक में 51 आजीवन कैदियों की रिहाई पर सहमति बनी। सीएम ने निर्देश दिया कि रिहा होने वाले कैदियों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ा जाए।

झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में शुक्रवार को आयोजित राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की 35वीं बैठक में बड़ा निर्णय लिया गया। इस बैठक में राज्य की विभिन्न जेलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 51 कैदियों को रिहा करने पर सहमति बनी।
बैठक का विवरण
यह बैठक मुख्यमंत्री के आवासीय कार्यालय में हुई। इसमें मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल, डीजीपी अनुराग गुप्ता, विधि परामर्शी नीरज कुमार श्रीवास्तव, महानिरीक्षक कारा एवं सुधारात्मक सेवाएं सुदर्शन प्रसाद मंडल, न्यायिक आयुक्त अनिल कुमार मिश्रा, प्रधान प्रोवेशन पदाधिकारी सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
बैठक में 37 नए मामलों के साथ-साथ उन 66 मामलों पर भी पुनर्विचार किया गया, जिन्हें पिछली बैठकों में अस्वीकृत कर दिया गया था।
मुख्यमंत्री का विचार-विमर्श
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अधिकारियों के साथ राज्य की विभिन्न जेलों में सजा काट रहे 103 कैदियों के मामलों पर गहन विमर्श किया। विस्तृत चर्चा और अनुशंसा के आधार पर कुल 51 कैदियों की रिहाई को अंतिम स्वीकृति दी गई।
मुख्यमंत्री के निर्देश
सीएम सोरेन ने स्पष्ट निर्देश दिए कि रिहा हो रहे कैदियों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं।
-
रिहा कैदियों को बेहतर सामाजिक जीवन जीने के लिए प्रेरित किया जाए।
-
बीमार कैदियों को शारीरिक और मानसिक चिकित्सा उपलब्ध कराई जाए।
-
सभी रिहा कैदियों को राज्य की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ा जाए, ताकि वे जीवन को नए सिरे से शुरू कर सकें।
जेल सुधार की दिशा में बड़ा कदम
झारखंड सरकार का यह फैसला राज्य में जेल सुधार और पुनर्वास नीति की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल न केवल कैदियों के जीवन में बदलाव लाएगी, बल्कि समाज में पुनर्वास और पुनर्संस्कार की प्रक्रिया को भी मजबूती देगी।
पुनरीक्षण पर्षद की भूमिका
झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद समय-समय पर कैदियों के मामलों की समीक्षा करता है। यह पर्षद कैदियों की सजा अवधि, उनके आचरण, स्वास्थ्य स्थिति और सामाजिक परिस्थितियों का अध्ययन करके रिहाई का निर्णय लेता है। इस बार की बैठक में भी कैदियों के चरित्र और उनके जेल में रहते हुए आचरण को ध्यान में रखकर निर्णय लिया गया।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में लिया गया यह निर्णय झारखंड में सुधारात्मक न्याय (Corrective Justice) की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि रिहा हुए कैदी किस तरह समाज में अपनी नई पहचान स्थापित कर पाते हैं।
What's Your Reaction?






