Jamshedpur Event: महिला दिवस पर एया फाउंडेशन का बड़ा कदम, जानें कैसे दी नारी शक्ति को सलामी!
जमशेदपुर में एया फाउंडेशन ने महिला दिवस पर नारी शक्ति को सलाम किया। जानें कैसे सफाई कर्मचारियों, डॉक्टरों, इंजीनियरों और शिक्षिकाओं को सम्मानित किया गया और क्यों यह पहल समाज के लिए अहम है!

जमशेदपुर – अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर एया फाउंडेशन ने नारी शक्ति को सम्मानित करते हुए एक प्रेरणादायक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस समारोह में सफाई कर्मचारियों, डॉक्टरों, इंजीनियरों, गार्डों और शिक्षिकाओं को उनकी मेहनत और योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
महिला सशक्तिकरण का मंच बना साउथ पार्क डिस्पेंसरी
साउथ पार्क डिस्पेंसरी में आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ. लतिका ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि हर महिला के भीतर एक शक्ति होती है, जो अगर सही दिशा में काम करे, तो समाज की तस्वीर बदल सकती है।
टाटा स्टील फाउंडेशन की प्रबंधक शालिनी कुजुर और कांग्रेस नेता धर्मेंद्र सोनकर ने भी इस मौके पर महिलाओं को आगे बढ़ने और समाज में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराने के लिए प्रोत्साहित किया।
इतिहास में झांकें तो हर युग में महिलाओं ने दिखाई ताकत
अगर इतिहास पर नजर डालें, तो महिलाओं ने हर दौर में अपनी शक्ति और प्रतिभा का परिचय दिया है। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से लेकर कल्पना चावला और मैरी कॉम तक – हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी ताकत का लोहा मनवाया है। फिर भी, समाज में आज भी महिलाओं को बराबरी का दर्जा पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
एया फाउंडेशन ने दिलाई शपथ – महिलाओं के सम्मान की होगी रक्षा
एया फाउंडेशन के संस्थापक दीपक मिश्रा ने सभी उपस्थित सदस्यों से शपथ दिलाई कि वे महिलाओं का सम्मान करेंगे, उनके अधिकारों की रक्षा करेंगे और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। उन्होंने कहा कि महिलाओं को समान अधिकार और अवसर मिलना बेहद जरूरी है, और यही समाज की प्रगति की असली पहचान है।
महिलाओं ने बांटे अपने अनुभव, कार्यक्रम को बताया प्रेरणादायक
कार्यक्रम में मौजूद महिलाओं ने एया फाउंडेशन के इस प्रयास की सराहना की और कहा कि ऐसे कार्यक्रम समाज में जागरूकता लाने का काम करते हैं। कुछ महिलाओं ने अपने अनुभव भी साझा किए और बताया कि इस तरह के मंच उन्हें आगे बढ़ने की ऊर्जा देते हैं।
महिला दिवस के इस विशेष अवसर पर एया फाउंडेशन ने जो पहल की, वह एक मिसाल है। समाज को यह समझना होगा कि महिलाएं किसी से कम नहीं हैं, और जब तक उन्हें बराबरी का दर्जा नहीं मिलेगा, तब तक सही मायनों में विकास संभव नहीं होगा। महिलाओं का सशक्तिकरण सिर्फ एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया होनी चाहिए।
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