Jamshedpur Bulldozer Action: किताडीह में तड़के चला बुलडोजर, रेलवे की ज़मीन से हटाए गए 18 पक्के मकान
जमशेदपुर के किताडीह इलाके में रेलवे की ज़मीन पर बने 18 अवैध पक्के मकानों को रेलवे प्रशासन ने बुधवार को बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया। जानिए कैसे और क्यों चलाया गया यह बड़ा अभियान, जिसमें भारी पुलिस बल की तैनाती भी हुई।

जमशेदपुर के किताडीह इलाके में बुधवार की सुबह कुछ ऐसा हुआ जिसने स्थानीय लोगों को चौंका दिया। रेलवे की टीम तीन बुलडोजरों और भारी पुलिस बल के साथ पहुंची और देखते ही देखते इलाके में बने 18 पक्के मकानों को जमींदोज कर दिया गया। ये सभी मकान रेलवे की ज़मीन पर अवैध रूप से बने हुए थे।
इस कार्रवाई ने न सिर्फ किताडीह को हिला दिया बल्कि पूरे जमशेदपुर में चर्चा का विषय बन गया। यह अभियान टाटानगर रेलवे स्टेशन के विस्तार योजना के तहत अतिक्रमण मुक्त कराने की एक बड़ी कड़ी है।
रेलवे विस्तार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
टाटानगर रेलवे स्टेशन, जो कि पूर्वोत्तर रेलवे जोन के अंतर्गत आता है, वर्षों से यात्री भार के लिहाज से दबाव झेल रहा है। यह स्टेशन झारखंड के सबसे व्यस्त स्टेशनों में से एक है और इसे आधुनिक सुविधाओं से लैस करने की योजना लंबे समय से चल रही है। इसके तहत प्लेटफॉर्म विस्तार, अतिरिक्त ट्रैक निर्माण और यात्री सुविधाओं के उन्नयन का कार्य किया जा रहा है।
लेकिन इस विस्तार योजना में सबसे बड़ी बाधा थी—रेलवे की ज़मीनों पर हो चुका अतिक्रमण। खास तौर पर किताडीह क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से लोगों ने रेलवे की ज़मीन पर पक्के मकान बना लिए थे। हालांकि, यह अतिक्रमण कोई नया मामला नहीं था, लेकिन अब रेलवे ने इस पर निर्णायक कदम उठाया है।
कैसे चला बुलडोजर अभियान?
रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि यह कोई अचानक लिया गया निर्णय नहीं था। सभी 18 अवैध कब्जेदारों को पहले नोटिस जारी किया गया था। उन्हें स्पष्ट रूप से बताया गया था कि रेलवे की ज़मीन खाली करें अन्यथा विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी। जब नोटिस के बाद भी कब्जा नहीं हटाया गया, तब रेलवे ने अपने सुरक्षा बल और जिला प्रशासन की सहायता से यह कार्रवाई की।
बुधवार की सुबह तीन बुलडोजर लेकर रेलवे टीम मौके पर पहुंची और बिना किसी रुकावट के मकानों को गिरा दिया गया। इस दौरान किसी अप्रिय घटना से निपटने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था। रेलवे ने यह भी स्पष्ट किया कि आगे भी ऐसे अतिक्रमणों पर कार्रवाई जारी रहेगी।
लोगों की प्रतिक्रिया और स्थिति
अवैध रूप से ज़मीन पर रह रहे लोगों ने इस कार्रवाई पर विरोध जताया, लेकिन प्रशासन ने पहले ही सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर ली थीं। स्थानीय लोगों का कहना था कि उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था दी जानी चाहिए थी, लेकिन रेलवे का तर्क है कि कब्जाधारी पहले से जानकार थे और उन्हें कई अवसर दिए गए।
आगे क्या?
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, टाटानगर स्टेशन के विकास में किसी भी प्रकार का अतिक्रमण अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आने वाले हफ्तों में जमशेदपुर के अन्य हिस्सों में भी ऐसे बुलडोजर अभियान देखने को मिल सकते हैं।
इस तरह का एक्शन न केवल रेलवे की योजनाओं को गति देता है बल्कि एक स्पष्ट संदेश भी देता है कि सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा कर के बच पाना अब आसान नहीं।
किताडीह की कार्रवाई रेलवे के इरादों को साफ करती है—विकास में रुकावट बन रहे अतिक्रमण को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह खबर उन सभी के लिए चेतावनी है जो सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण करके बैठे हैं। जमशेदपुर अब बदल रहा है, और इस बदलाव में कानून का डंडा भी जरूरी हो चला है।
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