Jamshedpur Inspection: पंचायतों में पहुंची सरकार की नज़र, अधिकारियों ने किया ज़मीनी हकीकत का खुलासा
जमशेदपुर के सभी प्रखंडों और पंचायतों में अफसरों ने किया औचक निरीक्षण। सरकारी योजनाओं की असल सच्चाई उजागर, लोगों को मिल रही सुविधाओं पर पड़ी सख्त नजर।

जमशेदपुर में इन दिनों कुछ अलग ही हलचल है। न तो कोई चुनाव की तैयारी थी, न कोई आंदोलन। फिर भी हर पंचायत, हर वार्ड में अफसरों की चहलकदमी अचानक तेज़ हो गई। वजह थी – सरकार की योजनाओं की असली स्थिति जानने की पहल। ज़िला प्रशासन ने खुद नोडल पदाधिकारियों को भेजा, ताकि देखा जा सके कि जनता को मिल रही बुनियादी सेवाएं कागजों तक सीमित हैं या वाकई ज़मीन पर उतरी हैं।
हर कोना खंगाला गया – नोडल अफसरों ने संभाली कमान
इस बड़े निरीक्षण अभियान में जमशेदपुर के विभिन्न प्रखंडों और पंचायतों का दौरा किया गया। पलाशबनी पंचायत में एडीएम (लॉ एंड ऑर्डर) अनिकेत सचान खुद मौजूद थे। बोड़ाम का बोंटा पंचायत देखी अनुमंडल पदाधिकारी शताब्दी मजूमदार ने, जबकि दिघी पंचायत का जायजा लिया अपर उपायुक्त भगीरथ प्रसाद ने। इसी तरह चाकुलिया, पोटका, धालभूमगढ़, मुसाबनी, गुड़ाबांदा, पावड़ा, माटिहाना और धोलबेड़ा जैसे सुदूर पंचायतों तक पहुंचकर निरीक्षण किया गया।
क्या देखा गया निरीक्षण में?
निरीक्षण केवल औपचारिकता नहीं थी। अफसरों ने हर पंचायत भवन, स्वास्थ्य उपकेंद्र, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, मनरेगा योजना स्थल और पीडीएस दुकान का गहन मूल्यांकन किया। क्या वाकई लोगों को राशन मिल रहा है? क्या आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की उपस्थिति है? क्या स्वास्थ्य केंद्र में दवाएं और स्टाफ हैं? इन सवालों के जवाब现场 से लिए गए, न कि दफ्तरों की रिपोर्ट से।
उपायुक्त का सख्त निर्देश – जवाबदेही तय करो
इस अभियान की गंभीरता का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उपायुक्त ने सभी नोडल पदाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए – "प्रखंड एवं नगर निकाय कर्मियों की जवाबदेही सुनिश्चित करो और निरीक्षण के आदेश का शत-प्रतिशत पालन हो।" इसके साथ ही उन्होंने सुधारात्मक कदमों पर भी ज़ोर दिया।
इतिहास में पहली बार इतनी गहराई से निगरानी
झारखंड में पंचायतों और ग्राम स्तर की योजनाओं का समय-समय पर मूल्यांकन होता रहा है, लेकिन इस बार की बात कुछ अलग थी। पहली बार इतने विस्तृत और एक साथ कई जगहों पर निरीक्षण किया गया, जिसमें हर एक संस्था की उपयोगिता, जनता से उसका संबंध और पारदर्शिता की पड़ताल की गई।
जनता से जुड़ी हर संस्था पर पड़ी नजर
चाहे स्कूल हों या स्वास्थ्य केंद्र, चाहे आंगनबाड़ी हो या पीडीएस – ये सभी सेवाएं ग्रामीण जनता के जीवन की रीढ़ हैं। ऐसे में यदि इनमें गड़बड़ी हो, तो उसका असर सीधे जनता की जिंदगी पर पड़ता है। इस पहल से यह संदेश गया कि सरकार अब कागजों के भरोसे नहीं बैठी है, बल्कि असल ज़मीन पर जाकर खुद देख रही है कि जनता को हक मिल भी रहा है या नहीं।
भविष्य के लिए संदेश – निगरानी और सुधार साथ-साथ
उपायुक्त ने कहा कि यह निरीक्षण अभ्यास केवल कमियों को उजागर करने के लिए नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य यह देखना है कि आम लोग सरकार की योजनाओं से कितना लाभ ले रहे हैं। साथ ही जो संस्थाएं सीधे जनता से जुड़ी हैं – उनकी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही लाई जाए।
जमशेदपुर में हुआ यह निरीक्षण अभियान एक मिसाल है – यह बताता है कि अब सरकारें केवल घोषणाएं नहीं कर रहीं, बल्कि उनके क्रियान्वयन की हकीकत जानने के लिए जमीन पर भी आ रही हैं। यदि ऐसे प्रयास लगातार होते रहें, तो ग्रामीण भारत का चेहरा और उसकी उम्मीदें दोनों बदल सकती हैं।
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