जमशेदपुर के जूनियर डॉक्टरों ने झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से मुलाकात करके अपनी मांगों को रखा। रविवार को मंत्री के कदमा आवास पर मिलकर जूनियर डॉक्टरों ने एसोसिएशन जेडीए के बैनर तले स्वास्थ्य मंत्री को ज्ञापन सौंपा। डॉक्टरों का कहना था कि पटना में डॉक्टरों को स्टाइपेंड ज्यादा मिलता है।
जेडीए के डॉक्टर राघवेंद्र कुमार ने कहा कि बिहार की तर्ज पर झारखंड के डॉक्टरों को भी स्टाइपेंड मिलना चाहिए। इसी तरह नन-एकेडमिक जेआर और इंटर्न को भी यहां स्टाइपेंड काफी कम मिलता है।
डॉक्टरों ने यह भी कहा कि झारखंड में तीन साल का बांड है जिसे कम करने की मांग की गई। उनका मानना है कि यह बांड डॉक्टरों के लिए अनुचित है और इसे घटाकर एक या दो साल किया जाना चाहिए।
स्वास्थ्य मंत्री ने उनकी बातों को गंभीरता से सुनते हुए स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव से भी बात की। मंत्री बन्ना गुप्ता ने आश्वासन दिया कि उनकी मांगों पर जल्द से जल्द विचार किया जाएगा और आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
इस दौरान शहर सहित पूरे झारखंड के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों से लगभग 150 डॉक्टर शामिल थे। उन्होंने अपने स्टाइपेंड और अन्य सुविधाओं को लेकर कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की। डॉक्टरों का कहना था कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे भविष्य में और बड़े आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।
यह मुलाकात डॉक्टरों के लिए महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इससे उन्हें अपनी समस्याओं को सीधे स्वास्थ्य मंत्री के सामने रखने का अवसर मिला। इससे पहले भी डॉक्टरों ने कई बार अपनी मांगों को लेकर आवाज उठाई थी, लेकिन इस बार उन्हें मंत्री के आश्वासन से कुछ राहत मिली है।
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि सरकार डॉक्टरों की समस्याओं को लेकर गंभीर है और जल्द ही उनके लिए सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है और डॉक्टरों की मांगों पर ध्यान दिया जाएगा।
इस मुलाकात से डॉक्टरों को उम्मीद है कि उनकी समस्याओं का जल्द ही समाधान निकलेगा और उन्हें बेहतर कार्य स्थितियां मिलेंगी। डॉक्टरों का मानना है कि यदि सरकार उनकी मांगों को मान लेती है तो इससे राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।