Delhi Loot: डिलीवरी बॉय के भेष में बुजुर्गों को बनाया निशाना, नकली बंदूक से दहशत!
दिल्ली के कालकाजी में डिलीवरी एजेंट बनकर घर में घुसा एक युवक, बुजुर्ग दंपति को चाकू और नकली बंदूक से डराकर लूट ले गया। जानिए कैसे आरोपी ने प्लानिंग के साथ दिया वारदात को अंजाम…

दिल्ली की व्यस्त ज़िंदगी में कब कौन दरवाजे पर दस्तक देगा, और उस दस्तक के पीछे कौन सा खतरा छिपा होगा, कोई नहीं जानता। ऐसा ही एक सनसनीखेज मामला सामने आया है कालकाजी के नेहरू अपार्टमेंट से, जहां एक बुजुर्ग दंपति के घर में लूटपाट की वारदात ने राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
20 अप्रैल की दोपहर, एक 35 वर्षीय युवक खुद को डिलीवरी एजेंट बताकर एक बुजुर्ग दंपति के फ्लैट तक पहुंचता है। दरवाज़ा खुलवाते ही वो चाकू और नकली बंदूक निकालकर दोनों को बंधक बना लेता है। अगले कुछ मिनटों में वह घर से ₹18,000 नकद और सोने के गहने लेकर फरार हो जाता है।
चाय-नाश्ते की उम्र में डर का साया
बुजुर्ग दंपति, जिनकी उम्र 70 के पार है, उस समय घर पर अकेले थे। आरोपी आशीष को ये बात पहले से पता थी। पेशे से एक स्कूल में चपरासी, आशीष ने महीनों पहले इस फ्लैट को टारगेट किया था। वह जानता था कि बुजुर्ग अकेले रहते हैं और सुरक्षा व्यवस्था बेहद ढीली है।
घटना के तुरंत बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया और साउथ ईस्ट दिल्ली के विशेष स्टाफ की एक टीम ने जांच शुरू की। सीसीटीवी फुटेज खंगाली गई और संदिग्ध की पहचान के लिए तकनीकी साक्ष्य जुटाए गए।
जुर्म के पीछे की कहानी: तैयारी पूरी, ट्रेसिंग का डर भी साफ
पूछताछ में आरोपी आशीष ने बताया कि उसने इस वारदात की पूरी तैयारी की थी। न केवल उसने अपनी पहचान छिपाने के लिए चेहरे पर दुपट्टा और हाथों में दस्ताने पहन रखे थे, बल्कि अपनी बाइक का रजिस्ट्रेशन नंबर भी टेप से ढक दिया था ताकि कोई पहचान न सके।
नकली बंदूक दिखाकर डर फैलाने की तरकीब, और बुजुर्गों की कमज़ोरी का फायदा उठाना, ये दर्शाता है कि अपराधी अब किसी भी हद तक जा सकते हैं।
इतिहास की गवाही: जब दिल्ली में ऐसे मामलों ने मचाया था हड़कंप
दिल्ली में बुजुर्गों को टारगेट कर लूटने के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। 2018 में द्वारका में ऐसा ही एक मामला सामने आया था जहां नकली गैस एजेंट बनकर एक गिरोह ने एक बुजुर्ग महिला को निशाना बनाया था। सालों से ऐसे अपराध यह बताते हैं कि वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा को लेकर व्यवस्था कितनी लचर है।
डर का माहौल, कानून का इंतज़ार
कालकाजी की इस घटना ने एक बार फिर से समाज में असुरक्षा की भावना को जन्म दे दिया है। बुजुर्गों के लिए अब डोरबेल भी खतरे का संकेत बन गई है। पुलिस की तत्परता से आरोपी जरूर पकड़ लिया गया, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या ये आख़िरी वारदात होगी?
पुलिस उपायुक्त रवि कुमार सिंह ने बयान दिया कि आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और आगे की कानूनी कार्रवाई चल रही है। लेकिन असल चुनौती है – इस तरह की घटनाओं को दोबारा न होने देना।
क्या सीखा समाज ने?
इस घटना से एक बात और साफ हो जाती है—बुजुर्गों को सतर्क रहना होगा। हर दस्तक पर दरवाज़ा खोलने से पहले पहचान पक्की करनी होगी। साथ ही पुलिस और समाज को भी एकजुट होकर ऐसी घटनाओं के खिलाफ मुहिम चलानी चाहिए।
दिल्ली जैसे शहर में अगर बुजुर्ग भी अपने ही घर में सुरक्षित न हों, तो यह चेतावनी है—सिर्फ प्रशासन के लिए नहीं, हम सबके लिए। डिलीवरी बॉय के वेश में आए खतरनाक इरादों ने जो सच्चाई उजागर की है, वो सिर्फ एक खबर नहीं—एक सच्ची सीख है।
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